इस हफ्ते की फिल्म :   ऑक्टोबर

By: Apr 15th, 2018 12:05 am

रिलीज दिनांक : 13 अप्रैल 

निर्देशक : शुजीत सरकार

कलाकार : वरुण धवन, बनिता संधू्र, गीतांजलि राव

दिव्य हिमाचल रेटिंग : **/5

सच में प्यार कोई बोल नहीं, कोई आवाज नहीं, एक खामोशी है, सुनती है कहा करती है। शूजित की ‘अक्तूबर’ एक अनकहे प्यार की दास्तान को बयान करती है।  यह ऐसी प्रेम कहानी है जिसे वही समझ सकेगा जिसने कभी प्यार किया है। एक समय ऐसा आ जाता है कि आप सोचने में मजबूर हो जाते हैं कि प्यार ऐसा भी होता है। होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाला डैन (वरुण धवन)  एक फाइव स्टार होटल में इंटर्नशिप कर रहा है, लेकिन इंटर्नशिप के दौरान वरुण का ध्यान मस्ती में होता है वह उसको गंभीरता से नहीं लेता। सपना देखता है कि में अपना एक रेस्तरां खोलूंगा मगर इटर्नशिप के दौरान उसको बार-बार निकाले जाने से वह सपना कैसे पूरा होगा। दूसरी ओर उसकी बैचमेट शिवली डैन के मिजाज के विपरीत बहुत ही मेहनती और अनुशासनप्रिय स्टूडेंट है। वह अपनी इंटनर्शिप के दौरान पूरी लगन और मेहनत से काम करती है। एक दिन अचानक शिवली एक हादसे की शिकार होकर कोमा में चली जाती है। जिस वक्त उसके साथ यह हादसा होता है, डैन वहां मौजूद नहीं था, मगर हादसे का शिकार होने के ऐन पहले शिवली ने डैन के बारे में पूछा जरूर था। क्षत-विक्षत अवस्था में कोमा में जा चुकी शिवली की हालत का डैन पर गहरा असर पड़ता है। शिवली के अस्पताल के चक्कर काटते हुए वह एक ऐसे सफर पर निकल पड़ता है, जिसके बारे में उस जैसा 21 साल का लड़का कभी सोच ही नहीं सकता था।

‘मैं तेरा हीरो, जुड़वां 2,हम्पटी की दुल्हनिया’ जैसी तमाम फिल्मों में हिंदी सिनेमा के प्रचलित फिल्मी हीरो को साकार करने वाले वरुण धवन को देखकर आपको बिलकुल याद नहीं आता कि वे अपनी फिल्मों में नाच-गाना, रोमांस और फाइट के लिए जाने जाते हैं। यहां वे अपनी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी और नम आंखों से डैन के किरदार को जिंदा कर देते हैं। शिवली की भूमिका को बनिता संधू ने अपनी आंखों के हाव-भावों से असरदार बना दिया है। शिवली की मां का रोल करने वाली गीतांजलि राव के रूप में हिंदी सिनेमा को एक सहज और सशक्त अभिनेत्री मिली है। सहयोगी कलाकार भी बनावट से परे रियल नजर आते हैं।


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