एक ख्वाब देखा था जो सच हुआ ….

By: Apr 15th, 2018 12:12 am

शिखर पर

मिस हिमाचल का खिताब पाकर मैं इतनी खुश हूं कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है। एक ख्वाब देखा था जो सच हुआ है। यह कहना है ‘मिस हिमाचल-2018’ का खिताब पाने वाली करुणा वर्मा का। हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीने वाली ‘मिस हिमाचल-2018’ की विजेता ने कुछ इस तरह साझा की  ‘ दिव्य हिमाचल ’ से मन की बात….

करुणा वर्मा एमएससी की छात्रा हैं। छोटी-छोटी आंखों में बड़े-बड़े सपने संजोने वाली करुणा कहती हैं कि इस तरह के मेगा इवेंट में खुद को साबित करना और सबसे आगे रखना सच में बहुत बड़ी चुनौती था, लेकिन मैंने पहले दिन से ही खुद से कमिट किया था कि मिस हिमाचल का खिताब मुझे अपने नाम करना ही है। नेरचौक के बाल्ट की रहने वाली करुणा की एक बड़ी बहन मोनिका और छोटी बहन दीया हैं, जो दीदी की कामयाबी पर फूले नहीं समा रहीं। माता-पिता दोनों अलग-अलग निजी स्कूल चला रहे हैं। माता कांता देवी आरजीएम मॉडल स्कूल बाल्ट, जबकि पिता लेख राज वर्मा आरजीएम सीनियर सेकेंडरी स्कूल मैरामसीत चलाते हैं।

11 मई 1997 में मंडी के बाल्ट में जन्मी करुणा ने दसवीं तक की पढ़ाई पिता के ही स्कूल मैरामसीत से हासिल की। इसके बाद भंगरोटू स्कूल से 12वीं की शिक्षा नॉन मेडिकल में की। करुणा ने ग्रेजुएशन की डिग्री बीएससी मैथ्स में वल्लभ कालेज मंडी से हासिल की, जबकि इन दिनों घुमारवीं से एमएसएसी मैथ्स की पढ़ाई कर रही हैं। करुणा ने बताया कि ‘दिव्य हिमाचल’ के इवेंट ‘मिस हिमाचल’ के फाइनल तक पहुंचने में माता-पिता ने बहुत हौसला बढ़ाया। मेरा लक्ष्य अब खुद को मिस इंडिया के लिए तैयार करने के साथ-साथ सेना में लेफ्टिनेंट बनने का भी है। इसके लिए मैं शुरू से ही तैयारी कर रही हूं। मैं एक मिडल क्लास फेमिली से हूं और अच्छी बात यह है कि मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे सपोर्ट किया। मैं एक बात दावे के साथ कह सकती हूं कि माता-पिता के आशीर्वाद और उनके साथ के बिना किसी के लिए भी आगे बढ़ पाना बहुत मुश्किल है। जब उनकी ब्लेसिंग साथ होती हैं तो बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

दिव्य हिमाचल की मैं शुक्रगुजार हूं जिसके माध्यम से प्रदेश के युवाओं को वे सारे अवसर मिल पा रहे हैं, जो यहां मिलना बहुत मुश्किल हैं। फिर चाहे वह गायकी का क्षेत्र हो, डांस का या फिर खेल का। करुणा वर्मा के अनुसार जब मिस हिमाचल का खिताब अपने नाम करने के बाद रविवार को वह अपने गांव पहुंची तो इतना सम्मान और प्यार अपनों से मिला कि ‘दिव्य हिमाचल’ के लिए मन से दुआएं ही निकल रही थीं। बकौल करुणा प्रदेश में टेलेंट की कमी नहीं है।

हर किसी के अंदर कोई न कोई प्रतिभा छिपी होती है, लेकिन कई बार ऐसा होता कि किसी को इसे दिखाने का मौका मिल जाता है तो कोई पर्दे के पीछे रह जाता है। मैं प्रदेश की सभी लड़कियों को संदेश देना चाहती हूं कि हमेशा पॉजिटिव सोच के साथ काम करें फिर चाहे वह कोई सा भी क्षेत्र हो, सफलता आपके कदम चूमेगी।

मुलाकात

स्वभाव से शर्मिली और हमेशा खुद में मस्त रहने वाली ग्रामीण परिवेश में जन्मी मिस हिमाचल का खिताब पाने वाली करुणा वर्मा खूबसूरत होने के साथ दूरदर्शी, जुझारू, मेहनतकश व्यक्तित्व वाली हैं। करुणा अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों के अलावा अपने दोस्तों को देती हैं जो होस्टल में रहते हुए हर पल उनके साथ रहे। ‘ दिव्य हिमाचल’ को दिए साक्षात्कार में मिस हिमाचल करुणा वर्मा से बातचीत के कुछ अंश…

जो सिर्फ ‘ दिव्य हिमाचल ’ के मंच पर, मिस हिमाचल के खिताब तक पहुंचने में सीखा?

हमीरपुर मे ऑडिशन से लेकर फिनाले तक इतना कुछ सीखा कि मैं बयां नहीं कर सकती। हार्डवर्क की ट्रू वैल्यू क्या होती है इसका पता मुझे ‘ मिस हिमाचल ’ में आकर पता चला। मैं बताना चाहूंगी कि ‘ मिस हिमाचल ’ के ऑडिशन से एक दिन पूर्व मुझे आंख के ऊपर चोट लग गई। मुझे स्टिचिंग लगे थे। उस दिन में काफी रोई कि मैं कैसे पार्टिसिपेट करूंगी, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैं सिलेक्ट हो गई।

इन दस दिनों के सफर में जो बदलाव आया?

बहुत बदलाव आया है। गू्रमिंग सेशन में पर्सनेलिटीडिवेलपमेंट हुई, आत्मविश्वास बढ़ा, लोगों के बीच उठना-बैठना और सबसे बड़ी बात खुद को पहचानने का मौका मिला।

आपकी कोई एक ताकत जिसने मिस हिमाचल बना दिया?

डिटर्मिनेशन और हार्डवर्क। शुरू से ही डिसाइड कर लिया था कि मिस हिमाचल बनना है।

इस ताज के बाद खुद की समीक्षा कैसे करेंगी और अब आपको जनता के बीच किस तरह का अनुभव हो रहा है?

मैं होस्टल में रहती हूं। पहले एक आम स्टूडेंट की तरह लाइफ थी, लेकिन अब सारे बहुत रिस्पेक्ट करते हैं। मैं शुरू से ही रिस्पेक्ट और पीस लवर रही हूं। अब जहां भी जाती हूं शिक्षक हों या स्टूडेंट सभी तारीफ करते हैं, रिस्पेक्ट करते हैं। मैं सबके लिए आइडल बनना चाहती थी। फॉर इग्जांपल पहले में मार्निंग वॉक पर जाती थी तो कई बार मिस भी कर देती थी। अब ऐसा नहीं रहा। मैं रोज जाती हूं ताकि दूसरी लड़कियां इस बात से इंस्पायर हों कि देखो वह मिस हिमाचल जा रही है, तो हमें भी उन जैसा बनना है।

अब तक की लाइफ में उल्लेखनीय पड़ाव क्या रहे और वास्तविक टर्निंग प्वाइंट कब आया?

बचपन से मैंने बहुत नॉर्मल लाइफ जी। मैं कभी किसी तरह की कल्चरल एक्टिविटी या फिर खेलों में भाग नहीं लेती थी। शर्मिलापन भी रहा। बस मैं खुद में मस्त रहती थी। मुझे पढ़ने और डेक्लामेशन में भाग लेने का शुरू से ही बहुत शौक रहा। पीजी करने के लिए जब मैं घुमारवीं आई तो वह मेरी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट था। यहां आकर मैं खुद के बेस्ट वर्जन से मिल पाई। यहीं से ‘मिस हिमाचल’ बनने का सोचा और खुद पर ध्यान देना भी शुरू किया।

क्या ‘ मिस हिमाचल ’ के हकीकत में सपने पूरे हो गए या अब सपने बड़े हो गए?

सक्सेस इज नॉट ए डेस्टिनेशन, सक्सेस इस द हाई-वे…। इसलिए मिस हिमाचल मेरा डेस्टिनेशन नहीं है। जब मैं ‘ मिस हिमाचल ’ बनी थी, तो उससे अगली सुबह ही मैंन मिस इंडिया बनने का सोच लिया था। इसलिए सक्सेस मेरे लिए एक हाई-वे की तरह है।

कोई ऐसा क्षण जो मिस हिमाचल की यात्रा में आपके व्यक्तित्व को छू गया?

फाइनल में हम 20 लड़कियां थीं। हमें बहुत कुछ सिखाते थे, लेकिन मेरी कभी पूछने की हिम्मत नहीं होती थी। मैं हमेशा मिरर के सामने खड़ी होकर प्रै्रेक्टिस किया करती थी। हमारे साथ सारिका और भाव्या थीं। फाइनल से एक दिन पहले सारिका ‘दी’ ने कहा कि ‘मुझे नहीं पता कि आप जीतोगे या नहीं, लेकिन आपके अंदर कुछ बात है और मैं दावे से कहती हूं कि आपको कोई न कोई टाइटल जरूर मिलेगा’। फाइनल वाले दिन स्टेज पर जाने से पहले भाव्या ‘दी’ ने मुझसे कहा था कि जो लोग दिल के अच्छे होते हैं उनके साथ हमेशा अच्छा होता है। ये दो मूमेंट मुझे आज तक याद हैं जिन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया था।

युवा पीढ़ी के अरमानों में संघर्ष या प्रतिस्पर्धा को किस तरह देखती हैं?

युवा पीढ़ी में बहुत संघर्ष है। प्रतिस्पर्धा भी बहुत है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग खुद को अच्छे से जान नहीं पाते। उन्हें पता नहीं कि वे क्या करना चाहते हैं और क्या कर रहे हैं। जैसे कई बार कुछ स्टूडेंट किसी ऐसे सब्जेक्ट को चुन लेते हैं जिसमें उनका इंट्रेस्ट नहीं होता। इसलिए मेरा मानना है कि पहले वे खुद को पहचानें कि वे करना क्या चाहते हैं। जब वे खुद को पहचान लेंगे तो समझो सफलता का पहला दरवाजा उनके लिए खुल गया।

एक हिमाचली होने के नाते आप खुद को कहां बुलंद पाती हैं और प्रदेश की बेटियों को क्या संदेश देना चाहती हैं?

पहले मैं एक नॉमर्ल लड़की थी। अब मैं खुद को इंस्पिरेशन का स्रोत मानती हूं ताकि मैं डे-वाई-डे किसी लड़की को कुछ सिखा सकूं। मुझे हिमाचली होने पर गर्व है। मैं प्रदेश की सभी लड़कियों को कहना चाहूंगी कि पहले खुद को पहचानें कि वे किस चीज में बेस्ट हैं। फिर उस दिशा में हार्डवर्क करें। उन्हें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

मिस हिमाचल प्रतिस्पर्धा का निर्णायक व कठिन दौर क्या रहा?

कठिन दौर तो कोई नहीं रहा। लेकिन फाइनल से पहले हम सब ‘ दिव्य हिमाचल’ के चेयमैन सर से मिले थे। उस वक्त उन्होंने एक लाइन कही थी कि ‘डरना नहीं है, जो चीज हो रही है उसे इंजॉय करना है, हम यह चीज फन के लिए कर रहे हैं आपके ऊपर प्रेशन बनाने के लिए नहीं’। उन सर की कही यही बात आखिर तक मेरे दिमाग में रही। जब हम स्टेज पर आए तो सर भी सामने बैठे थे तो मुझे उनकी वही लाइन याद आई और पता नहीं कहां से एकदम इतनी एनर्जी मिली। मैंने फन करते हुए पूरा कंपीटीशन कंप्लीट किया।

आपके लिए लक्ष्य के क्या मायने हैं और जीत हासिल करने की शर्तें क्या हैं?

लक्ष्य के बिना इनसान की कोई लाइफ नहीं। हर इनसान का गोल सेट होना चाहिए। गोल के बिना लाइफ के कोई मायने नहीं। जहां तक शर्तों की बात है तो ‘इफ यू वांट टू वी द बेस्ट ट्राई, टू वर्क हार्डर इन दी रेस्ट’। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक चीज यही है। हार्ड वर्क, हाई वर्क और हार्ड वर्क। हार्ड वर्क इज द की टू सक्सेस।

 कोई भारतीय चरित्र जिसने आपको प्रभावित किया या आपकी पसंद की मॉडल या अभिनेत्री, जिसका पीछा करती हैं?

मिस यूनिवर्स रहीं सुष्मिता सेन मैम को मैंने हमेशा फालो किया। जिस तरह उन्होंने वूमन इंपावरमेंट के लिए काम किया है, मेरी प्रेरणा स्रोत रही हैं वह। इंस्पिरेशन के लिए अब्दुल कलाम आजाद की मैं बहुत बड़ी फैन रही। मैं उनसे मिलना चाहती थी, लेकिन वह सपना मेरा पूरा नहीं हो पाया।

भाग्य या कर्म के बीच आपके लिए कितना अंतर है?

मैं हमेशा कर्म के साथ जाना चाहूंगी। क्योंकि कर्म हमेशा साथ रहता है। भाग्य कभी साथ हो सकता है कभी नहीं। इसलिए भाग्य के सहारे नहीं बैठ सकते। कर्म सबसे ऊपर है।

कोई हिमाचली गीत जो आपकी रुह में बसता है। अगर सफलता के पंख   उड़ान भरते रहे, तो किस मंजिल को छूना चाहेंगी?

हमेशा से पहाड़ी लोकगीत ‘अम्मा पुछदी सुण धिये मेरिये..’ मेरा फेवरिट रहा।  मैंने मिस हिमाचल के सेमीफाइनल में भी इसे गाया था। मिस हिमाचल का टाइटल एक शुरुआत है। जल्द ही मैं मिस इंडिया और मिस वर्ल्ड तक उड़ान भरना चाहूंगी। अगर मुझे मेरे स्टेट के लोग इसी तरह सपोर्ट करेंगे तो मैं जरूर उस मुकाम को पा लूंगी।

  • नीलकांत भारद्वाज, हैडक्वार्ट ब्यूरो चीफ, मटौर


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