कंठमाला की सूजन

By: Apr 28th, 2018 12:05 am

लेरिन्जाइटिस को कंठमाला की सूजन भी कहा जाता है। यह समस्या होने पर गले में सूजन और जलन होने लगती है। इसके परिणामस्वरूप स्वर का बैठना और आवाज के नुकसान जैसे सामान्य लक्षण देखने को मिल जाते है। इस समस्या से बचने के लिए आपको  समाधान ढूंढना चाहिए। हालांकि कंठमाला की सूजन का इलाज घरेलू उपायों द्वारा बेहतर तरीके से हो सकता है। इस समस्या से बचने के लिए प्राकृतिक घरेलू उपचार में से कुछ इस प्रकार हैं।

प्याज का रस – प्याज का सिरप गले की सूजन के लिए प्राकृतिक इलाज के रूप में काम करता है और तुरंत राहत प्रदान करता हैं। समस्या होने पर प्याज को छोटे टुकड़ों में काटकर मिक्सी में पीसकर सिरप तैयार कर लें। अब इस सिरप के दो चम्मच को एक कप गर्म पानी में मिलाकर हर 4-5 घंटे में पीते रहें।

नमक – एक कप गर्म पानी में एक चुटकी नमक कंठमाला में सूजन को दूर करने में सहायक होती है। एक कप गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर हर दो घंटे बाद गरारे करें। दिन के अंत तक आपको सूजन से बहुत राहत मिलेगी।

लहसुन – लहसुन हमें एंटी-माइक्रोबियल गुण प्रदान करता है, जो बैक्टीरिया और वायरस को मारने में मदद करता है। जिससे गले में सूजन और बैठना की समस्या खुद ही कम हो जाती है। इसके लिए लहसुन की एक छोटी सी कली लेकर अपने मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसे।

अदरक – अदरक, गले के चारों ओर श्लेष्मा झिल्ली को शांत कर, सूजन से तुरंत राहत प्रदान करता है। समस्या होने पर एक पैन में कटा हुआ अदरक उबाल लें और कुछ देर उबालने के बाद इसे थोड़ा ठंडा होने के लिए रख दें। आप इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदे और मीठा करने के लिए शहद मिला सकते हैं। इस अदरक की चाय का सेवन दिन में कई बार करें। इसके अलावा आप अदरक के टुकड़े को ऐसे भी मुंह में रखकर चूस सकते हैं।

नींबू का रस– नींबू के रस की प्रकृति अम्लीय होती है, इसलिए यह बैक्टीरिया को मार कर कंठमाला की सूजन के लक्षणों से राहत प्रदान करने में मदद करता है। गले की सूजन की समस्या से बचने के लिए एक कप गर्म पानी में थोड़ा सा नमक और नींबू के रस की कुछ बूंदे मिलाकर इस मिश्रण से गरारे करें। तुरंत राहत पाने के लिए इस उपाय को दिन में कई बार करें।

सेब का सिरका – सेब का सिरका बैक्टीरिया के कारण होने वाली कंठमाला की सूजन के खिलाफ बहुत कारगर उपाय है। इसके लिए एक कप पानी में दो बड़े चम्मच सेब का  सिरका और थोड़ा सा शहद मिलाकर इस मिश्रण को एक दिन में दो बार पिएं।

नीलगिरी का तेल – नीलगिरी के तेल में एंटी-वायरल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी बैक्टीरियल जैसे गुण इसे कंठमाला में जलन को शांत करने का सबसे सर्वाेत्तम उपाय बनाते है। नीलगिरी के तेल को उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका इसकी भाप को लेना है। दिन में दो बार इस उपाय को करें।

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