कालिका सहस्रनाम

By: Apr 14th, 2018 12:11 am

-गतांक से आगे…

सिंदूर-पूर-रुचिरा श्रीमत्त्रिपुर-सुंदरी।

सर्वांग-सुंदरी रक्ता रक्त-वस्त्रोत्तरीयिणी

।। 101।।

जवा-यावक-सिंदूर -रक्त-चंदन-धारिणी।

त्रिकूटस्था पंच-कूटा सर्व-वूट-शरीरिणी

।। 102।।

चामरी बाल-कुटिल-निर्मल-श्याम-केशिनी।

वंका-मौक्तिक-रत्नाढ्या-किरीट-मुकुटोवला

।। 103।।

रत्न-कुंडल-संसक्त-स्फुरद्-गंड-मनोरमा।

कुञ्जरेश्वर-कुम्भोत्थ-मुक्ता-रञ्जित-नासिका

।। 104।।

मुक्ता-विद्रुम-माणिक्य-हाराढ्य-स्तन-मंडला।

सूर्य-कांतेंदु-कांताढ्य-कांता-कंठ-भूषणा

।। 105।।

वीजपूर-स्फुरद्-वीज-दंत-पंक्तिरनुत्तमा।

काम-कोदंडकाभुग्न- रू-कटाक्ष-प्रवर्षिणी

।। 106।।

मातंग-कुंभ-वक्षोजा लसत्कोक-नदेक्षणा।

मनोज्ञ-शुष्कुली-कर्णा हंसी-गति-विडम्बिनी

।। 107।।

पद्म-रागांगदा-ज्योतिर्दोश्चतुष्क-प्रकाशिनी।

नाना-मणि-परिस्फूर्जच्दृद्ध-कांचन-वंकणा

।। 108।।

नागेंद्र-दंत-निर्माण-वलयांचित-पाणिनी।

अंगुरीयक-चित्रांगी विचित्र-क्षुद्र-घण्टिका

।। 109।।

पट्टा बर-परीधाना कल-मञ्जीर-शिंजिनी।

कर्पूरागरु-कस्तूरी-कुंकुम-द्रव-लेपिता

।। 110।। 

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