चीन के खिलाफ खड़े हुए यूरोपीय देश

By: Apr 20th, 2018 12:05 am

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का विरोध; कहा, मुक्त व्यापार पर पड़ेगा बुरा असर 

टॉकहोम— चीन में यूरोपियन यूनियन (ईयू) के 28 राजदूतों में से 27 ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की निंदा करते हुए कहा है कि इससे मुक्त व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा और चीन की कंपनियों को गैर वाजिब फायदा मिलेगा। इन राजदूतों की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ईयू के के ट्रेड के लिए उदार नियम बनाने के एजेंडा को बीआरआई से नुकसान होगा और सबसिडी प्राप्त करने वाली चीन की कंपनियों के पक्ष में स्थितियां बनेंगी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी यूरोप के दौरे पर हैं और वह भारत को यूरोप के एक प्रमुख सहयोगी के तौर पर पेश कर रहे हैं। पिछले दिनों भारत ने भी देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का हवाला देकर इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था। यह रिपोर्ट जुलाई में होने वाले ईयू-चीन समिट की तैयारियों के हिस्से के तौर पर जारी की गई है। यूरोपियन कमिशन बीआरआई को लेकर ईयू की एक साझा स्थिति बनाने पर काम कर रहा है। बीआरआई छह इकॉनोमिक कॉरिडोर में 65 देशों से गुजरेगा। पिछले साल मई में पेइचिंग में हुए पहले बीआरआई समिट में ईयू ने चीन के साथ बीआरआई ट्रेड डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। भारत ने हाल ही में बीआरआई को लेकर अपना रवैया दोहराते हुए कहा था इसमें शामिल चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर  से भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि कोई भी देश ऐसे प्रॉजेक्ट को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर उसकी प्रमुख चिंताओं को नजरअंदाज करता है। हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी से जुड़ी कोशिशें वैश्विक स्वीकृति वाले नियमों, कानून के शासन, पारदर्शिता और समानता पर आधारित होनी चाहिए। बीआरआई प्रोजेक्ट्स के लिए चीन की कंपनियों को फायदा का भी ईयू विरोध कर रहा है। ईयू के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में सभी सहभागियों के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए। जर्मनी के बड़े बिजनस ग्रुप सीमेंस के ष्टश्वहृ, जो काइजर ने जनवरी में वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम में कहा था कि चीन का ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट नया वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन होगा- चाहे हम इसे पसंद करें या नहीं।’ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले सप्ताह कहा था कि विदेश के कुछ लोगों का यह दावा गलत है कि बीआरआई चीन का एक षड्यंत्र है।

हंगरी का किनारा

बीआरआई पर ईयू के राजदूतों की रिपोर्ट में हंगरी के राजदूत शामिल नहीं हैं, क्योंकि उनके देश को बीआरआई से फायदा मिलना है। ईयू के ऑफिशल्स का कहना है कि यूरोप को चीन के साथ सहयोग करने से मना नहीं करना चाहिए और यूरोप को अपनी शर्तें रखनी चाहिए। भारत की तरह यूरोप में भी बीआरआई को लेकर आशंकाएं हैं।

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