जनता, जनप्रतिनिधि और जनतंत्र

By: Apr 19th, 2018 12:10 am

पीके खुराना

लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं

एक मजबूत जनतंत्र के लिए हमें अपने जनप्रतिनिधियों पर ‘जनप्रतिनिधि वापसी विधेयक’, ‘गारंटी विधेयक’, ‘जनमत विधेयक’ और ‘जनप्रिय विधेयक’ लाने के लिए दबाव बनाना है। इन कानूनों के अस्तित्व में आने से सरकारी कर्मचारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर आवश्यक अंकुश लगेगा, भ्रष्टाचार का अंत होगा, जनता की सर्वोच्चता स्थापित होगी और लोकतंत्र में ‘तंत्र’ के बजाय ‘लोक’ की महत्ता बढ़ेगी, जो अंततः जनतंत्र को सार्थक बनाएगा…

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से भारतवर्ष ने प्रगति के कई मरहले पार किए हैं। देश में भारी कल-कारखाने लगे  हैं, कृषि उत्पादन बढ़ा है, रिटेल  क्रांति आई है, शिक्षा संस्थान बढ़े हैं, आईटी और सेवा क्षेत्र के विकास के कारण रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भरता घटी है और मध्यमवर्ग पहले से ज्यादा संपन्न हुआ है। यही  नहीं, अब भारतीय कंपनियां भी अधिकाधिक देशों में अपना कारोबार फैला कर अथवा विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण करके बहुराष्ट्रीय कंपनियां बन रही हैं तथा विदेशी स्टाक एक्सचेंजों में उनकी लिस्टिंग हो रही है। प्रगति की यह कहानी बहुत लंबी है, परंतु प्रगति के इतने कीर्तिमान बनाने के बावजूद हमारी स्वतंत्रता अगर अधूरी है, तो  इसका कारण यह है कि जनता का अधिकांश भाग अभी भी गरीबी और वंचना की स्थिति में जी रहा है। पोषण, दवाई और रोटी की बात तो छोडि़ए, देश की जनता के बहुत बड़े  हिस्से को तो पीने का साफ पानी भी मयस्सर नहीं है। ऐसे में प्रगति की सारी कहानियां थोथी हो जाती हैं। हम हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाते हैं, घोषणाएं होती हैं और फिर नया साल आ जाता है। ऐसे में हमारे लिए यह सोचना अत्यंत  आवश्यक है कि हमारे लिए आजादी के मायने क्या हैं? हमारे यहां राजनीतिक स्वतंत्रता कई अर्थों में अधूरी है। आर्थिक स्वतंत्रता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता अर्थहीन है, क्योंकि स्वतंत्र होने के बावजूद वंचितों का शोषण जारी रहता है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपने कर्त्तव्यों और अधिकारों से अनजान रहता है और शोषण का शिकार हो जाता है, परंतु गरीबी से पिसा शिक्षित व्यक्ति भी अनचाहे समझौते करने के लिए विवश रहता है।

इसलिए लोकतंत्र की सच्ची सफलता के लिए शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ आर्थिक खुशहाली सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है, जो व्यक्ति को नेतृत्व करने, सोचे-समझे जोखिम लेने और रोजगार के सृजन के लिए भी तैयार करे। इससे गरीबी तो दूर होगी ही, राजनीतिक स्वतंत्रता भी सार्थक हो सकेगी। भारतवर्ष अभी भी ‘इंडिया’ और ‘भारत’ नामक दो हिस्सों में बंटा है। एक इंडिया वह है जिसने विकास की लहर का आनंद लिया है और भारत वह है, जो अभी भी पुराने ढर्रे का जीवन जी रहा है। उसके पास न वैसी सुविधाएं हैं, न वैसी सोच। एक तरफ बहुलता है, तो दूसरी तरफ अभाव। गरीबी से विवश लोग शोषण को बर्दाश्त करते हैं और संख्या में ज्यादा होने पर भी अपनी राय व्यक्त नहीं कर पाते। गरीबी और विवशता के कारण बिके वोटों से बना लोकतंत्र ‘मजबूत लोकतंत्र’ के बजाय ‘मजबूर लोकतंत्र’ बन कर रह जाता है, जिसमें भ्रष्टाचार फलता-फूलता है। इस मजबूर लोकतंत्र को मजबूत लोकतंत्र में बदलने की आवश्यकता है। ‘भारत’ और ‘इंडिया’ के बीच की खाई पाटने से ही हमारा लोकतंत्र ‘मजबूत लोकतंत्र’ बन पाएगा।

आइए, समर्थ और मजबूत लोकतंत्र के आवश्यक घटकों पर विचार करें। सबसे पहले देश में सहृदय पूंजीवाद के माध्यम से रोजगार के नए अवसरों के सृजन की आवश्यकता है, ताकि गरीबी दूर की जा सके। समृद्धि को स्थायी बनाने के लिए ऐसी शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है, जो विद्यार्थियों को रोजगार और स्व-रोजगार दोनों के योग्य बनाए, नागरिकों को उनके कर्त्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाए। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो आरंभ से ही विद्यार्थियों में समृद्धि और स्वास्थ्य के प्रति आवश्यक जागरूकता लाए। कर-प्रणाली न्यायसंगत हो और कर-प्रणाली के दोषों के कारण लोगों को काले धन की व्यवस्था का हिस्सा न बनना पड़े। राजनीतिक एवं आर्थिक विकास के साथ-साथ संवेदनशील मानसिकता का विकास भी हो, ताकि हम अत्यधिक लालच में पड़कर अपने ही साधनों और संसाधनों का दुरुपयोग न करें। विकास के साथ सभी नागरिकों और उनकी संपत्ति की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।

शासन व्यवस्था में जनता की भागीदारी हो, ताकि शासक निरकुंश न हो जाएं और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके। सस्ता राशन, सबसिडी और आरक्षण की जगह वंचितों के सशक्तिकरण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं और रिश्वतखोरों, भ्रष्टाचारियों व बलात्कारियों के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित की जाए। इससे हमारा लोकतंत्र समर्थ बनेगा, जो सब के लिए उपयोगी और मंगलकारी होगा। यह सब कैसे होगा? इसका एक ही तरीका है कि हम खुद भी जागें और अपने आसपास के लोगों में जागरूकता का भाव जगाएं। एक मजबूत जनतंत्र के लिए हमें अपने जनप्रतिनिधियों पर ‘जनप्रतिनिधि वापसी विधेयक’, ‘गारंटी विधेयक’, ‘जनमत विधेयक’ और ‘जनप्रिय विधेयक’ लाने के लिए दबाव बनाना है। इन कानूनों के अस्तित्व में आने से सरकारी कर्मचारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर आवश्यक अंकुश लगेगा, भ्रष्टाचार  का अंत होगा, जनता की सर्वोच्चता स्थापित होगी और लोकतंत्र में ‘तंत्र’ के बजाय ‘लोक’ की महत्ता बढ़ेगी, जो अंततः जनतंत्र को सार्थक बनाएगा। ‘जनप्रतिनिधि वापसी विधेयक’ जनता के पास एक महत्त्वपूर्ण हथियार होगा, ताकि चुने जाने के बाद जनप्रतिनिधि निरकुंश न हो जाएं। यदि चुना हुआ प्रतिनिधि जनता की उपेक्षा करने लगे या मनमानी पर उतर आए, तो जनता को उसे वापस बुलाने का हक होगा। इसी प्रकार ‘गारंटी विधेयक’ नामक कानून सरकारी अधिकारियों पर लागू होगा। यदि सरकारी कर्मचारी समय पर काम न करें, रिश्वत के जुगाड़ के लिए अकारण काम को टालते रहें, तो उनका वेतन कटेगा या उन पर जुर्माना लगेगा या दोनों सजाएं भुगतनी पड़ सकती हैं। ‘जनमत विधेयक’ का अर्थ है कि कोई भी कानून बनाने से पहले नागरिक समाज की राय ली जाएगी। एक निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से नागरिक समाज प्रस्तावित विधेयक में संशोधन सुझा सकेगा या फिर उसे पूरी तरह से रद्द करवा सकेगा। इस प्रकार कोई भी बिल, कानून उसी रूप में बन सकेगा, जिस रूप में जनता को उसकी आवश्यकता है। ‘जनप्रिय विधेयक’ का अर्थ है कि यदि नागरिक समाज कोई कानून बनवाना चाहता है, जो कि पहले से अस्तित्व में नहीं है, तो राज्य अथवा केंद्र के जनप्रतिनिधियों को वह कानून बनाना आवश्यक हो जाएगा।

सरकारें कभी क्रांति नहीं लातीं, क्रांति की शुरुआत सदैव जनता की ओर से हुई है। अब जनसामान्य और प्रबुद्धजनों को एकजुट होकर एक शांतिपूर्ण क्रांति की नींव रखने की आवश्यकता है। ई-गवर्नेंस, शिक्षा का प्रसार, अधिकारों के प्रति जागरूकता, भय और लालच पर नियंत्रण से हम निरकुंश अधिकारियों और राजनीतिज्ञों को काबू कर सकते हैं। यह आसान नहीं है, पर असंभव भी नहीं है। यदि हम जनप्रतिनिधियों से उत्तरदायी व्यवहार की अपेक्षा करते हैं, मजबूत जनतंत्र की इच्छा रखते हैं और जनता को जनार्दन के रूप में देखना चाहते हैं, तो हमें एकजुट होकर, जागरूक होकर, इसी लक्ष्य के लिए काम करना होगा। इसी में हमारा भला है, देश का भला है। अगर इंडिया और भारत के बीच का अंतर हमें पाटना है, तो इसके जनता को जागरूक होना पड़ेगा।

ईमेलःindiatotal.features@gmail. com


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