जरूरत है कठोर कानून की

By: Apr 16th, 2018 12:05 am

अजय भंडारी, चंबीधार, राजगढ़

आठ साल की मासूम बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद निर्दयतापूर्ण तरीके से हत्या कर के इनसान इनसानियत की सभी हदें पार कर गया है। आए दिन अखबार की सुर्खियों में सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद बेरहमी से हत्या की घटनाएं प्रकाशित होती रहती हैं, जो कि हमें अंदर से झकझोर कर रख देती हैं। कलियुगी इनसान न जाने क्यों इतना निर्दयी ओर बर्बर हो गया है, जो हैवानियत के रास्ते पर चल कर मासूमों तथा निर्दोष लड़कियों को अपनी दरिंदगी का शिकार बना रहा है। मुझे लगता है कि अब वह समय आ गया है कि इस दरिंदगी के खिलाफ आवाज उठाकर एक कठोर कानून बनाया जाए और इस कानून के तहत आरोपी को तत्काल ही कठोर सजा सजा दी जाए। चाहे वह सजा फांसी के रूप में ही क्यों न हो। कानून का डर प्रत्येक नागरिक को होना बेहद ही जरूरी है। लोग जानते हैं कि सालोंसाल केस चलते रहेंगे और कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। इस धीमी कानून व्यवस्था ने भी लोगों में निराशा पैदा कर दी है। भारत को आजादी दिलवाने वाले प्रत्येक स्वतंत्रता सेनानी व महापुरुष ने आजादी की लड़ाई के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा का भी बीड़ा उठाया था। उन महापुरुषों ने एक ऐसे राष्ट्र का सपना देखा था, जिसमें महिलाएं तथा लड़कियां अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें, परंतु मुझे नहीं लगता कि देश में घटित ऐसी घटनाओं के चलते यह सपना कभी पूरा भी हो पाएगा। इसके लिए आवश्यकता है एक कठोर कानून की, लोगों की तुच्छ मानसिकता में बदलाव लाने की। तभी हम महापुरुषों के सपनों के भारत का निर्माण हकीकत में कर पाएंगे।

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