नर्मदा नायिका ‘मेधा पाटकर’

By: Apr 11th, 2018 12:08 am

मेधा पाटकर का जन्म 1 दिसंबर,1954 में मुंबई के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। शुरू से ही सामाजिक कार्य में रुचि के कारण मेधा  ने टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई से 1976 में समाज सेवा की  मास्टर डिग्री हासिल की। टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस की स्थापना 1936 में सर सोराबजी टाटा स्कूल ऑफ सोशल वर्क के रूप में हुई। 1944 में इसे वर्तमान नाम (टीआईएसएस) दिया गया। 1964 में इसे यूजीसी द्वारा मान्यता मिली। तत्पश्चात पांच साल तक मुंबई और गुजरात की कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ  जुड़कर काम करना शुरू किया। साथ ही टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस में स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को पढ़ाने लगीं। तीन साल 1977 से 79 तक मेधा ने इस संस्थान में अध्यापन का काम किया । अध्यापन के दौरान ही शहरी और ग्रामीण सामुदायिक विकास में पीएचडी के लिए पंजीकृत हुईं। समाज कार्य में सक्रिय मेधा की पीएचडी की तैयारी भी चल रही थी, लेकिन पढ़ाई को अपने काम में बाधक बनते देख उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और पूरी तरह समाज सेवा में जुट गईं। सामाजिक कार्यकता मेधा पाटकर को नर्मदा घाटी की आवाज के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है। इनकी जिंदगी का ओर-छोर नर्मदा ही हैं। सूती साड़ी और हवाई चप्पल में वह साधारण स्त्री ही नजर आती हैं। जब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना शुरू करती हैं तो समझ आता है कि वह घाट की रहने वाली नहीं हैं। जब भाषण देती है तो वहां जमा होने वाली भीड़ को देख कर अंदाजा लगया जा सकता है। कि उनकी बातों का कितना असर घाटवासियों पर है। मेधा ने सामाजिक अध्ययन के क्षेत्र में गहन शोध किया है। गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित मेधा पाटकर ने सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित होने वाले लगभग 37 हजारों गांवों के लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी है। उनकी लड़ाई मध्यप्रदेश  गुजरात औश्र महाराष्ट्र सरकार के अलावा विश्व बैंक से भी है। उन्होंने एक नेटवर्क की शुरुआत की जिसका नाम है- नेशनल एलांयस फॉर पीपुल्स मूवमेंट। मेधा पाटकर देश में जनांदोलन को एक नई परिभाषा देने वाली नेताओं में हैं। आज भी मेधा विस्थापितों की लड़ाई लड़ रही हैं।  उनका कहना है कि सालों से चल रही यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक सभी प्रभावितों का पुनर्वास सही ढंग से नहीं हो जाता।

अवार्ड्ज

  1. दीनाथ मंगेशकर अवार्ड, 1999
  2. महात्मा फुले अवार्ड, 1999
  3. जनसेवा पुरस्कार, 1995
  4. राइट लाइफहुड पुरस्कार, 1992
  5. गोल्डन एन्वायरनमेंट अवार्ड, 1993
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