निजी स्कूलों के लिए बसें चलाए एचआरटीसी

By: Apr 17th, 2018 12:05 am

कांगड़ा जिला के तहत नूरपुर में हुए निजी स्कूली बस के सड़क हादसे के बाद प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया है। इसके चलते निजी स्कूलों में लगी प्राइवेट गाडि़यों और बिना परमिट की बसों को बंद तो कर दिया गया है, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। अभिभावक वर्ग का कहना है कि एचआरटीसी के पास जो अतिरिक्त बसें बिना रूट के खड़ी हैं, उन्हें बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए लगाना चाहिए। ‘दिव्य हिमाचल’ ने इस मसले को लेकर अभिभावकों की राय जानी तो अभिभावकों ने कुछ यूं रखी अपनी राय…

निजी स्कूलों ने तीन गुना बढ़ाई फीस

अभिभावक संजीव धीमान का कहना है कि आज के समय में प्राइवेट स्कूल में बच्चों का दाखिला करवाने की होड़ सी लग गई है, जिसका खामियाजा राज्य भर के अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। स्कूलों में मनमानी फीस और पहले के मुकाबले अब दो से तिगुना अधिक किराया वसूला जा रहा है। सरकारी स्कूल में सभी सुविधाएं मिलने के बावजूद पढ़ाई में गुणवत्ता और इन्फास्ट्रक्चर को डिवेलप करना होगा।

सरकारी स्कूलों में दी जाएं बेहतर सुविधाएं

रजंन चौधरी का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों और वाहन चालकों की मनमानी को रोकने के लिए कोई भी उचित कार्रवाई नहीं हो रही है।  सरकारी स्कूलों में व्यवस्था को सुधार करने पर सरकार और शिक्षा विभाग को कदम उठाने चाहिए। जिससे अभिभावकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में ही दाखिले देने के लिए प्रेरणा मिल सके।  इसके लिए सरकार से मोटा वेतन प्रदान करने वाले शिक्षकों को भी जागना होगा।

एकदम से बढ़ा दिया 800 रुपए किराया

अभिभावक पूजा चौधरी का कहना है कि वाहन चालकों ने एक दम से ही किराया दोगुना कर दिया गया है। टैक्सी चालक एक हजार रुपए की जगह 1800 रुपए किराया मांग रहे हैं। किराए के बारे में बाते करने पर ड्राइवरों का एक ही जवाब होता है बच्चे भेजने हैं, तो बोलो नहीं तो रहने दो।  प्राइवेट स्कूलों द्वारा बस सुविधा प्रदान न करने पर टैक्सी आपरेटरों की तानाशाही का शिकार होना पड़ रहा है।

लो फ्लोर बसों पर बच्चों को मिले सुविधा

सरिता देवी का कहना है कि नियमों के तहत वाहन चलाने पर वाहन चालक अब किराए में अपनी मनमानी पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि स्कूल प्रबंधन को अपने स्तर पर निगम की बसों को हायर करके बच्चों को सुरक्षित पहुंचाने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।  लो फ्लोर बसें बिना रूट परमिट के जंग खाने को मजबूर है, उन बसों को निजी स्कूलों में चलाना चाहिए।

कमाई के चक्कर में कानून दूर

आरटीआई एक्टिविस्ट प्रेम सागर शर्मा का कहना है कि प्राइवेट वाहन चालकों की मनमानी अब अच्छी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए बड़ा अभिशाप बन सकती है। उनका कहना है कि प्राइवेट स्कूलों और वाहन चालकों द्वारा मात्र अपनी मोटी कमाई करने के चक्कर में नियमों की पालना नहीं की जा रही है। प्राइवेट स्कूलों को नियमों के तहत चलकर अपनी सुरक्षित बसें बच्चों के लिए चलानी चाहिए।

अभिभावकों की बढ़ीं दिक्कतें

शहर के रमेश बाली का कहना है कि टैक्सी आपरेटरों ने अभिभावकों को स्कूल ले जाने और घर छोड़ने के नाम पर लूट का कार्य शुरू कर दिया है। वाहन चालक अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में सुबह जल्द ही बच्चों को पिकअप करके दूरदराज के स्थानों में भी अधिक छात्रों को भरने तक घूमाते रहते हैं। इतना ही नहीं, रातोंरात किराया दोगुना से तीगुना करने से अभिभावकों को आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है।

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