पाक से वार्ता फिलहाल नामुमकिन

By: Apr 23rd, 2018 12:07 am

कुलदीप नैयर

लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं

हम पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक भी कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई लाभ मिलता नहीं लग रहा है। आज नहीं, तो कल दोनों देशों को अपने मसले सुलझाने के लिए बातचीत तो करनी ही होगी। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की पाकिस्तान के एनएसए से वार्ता सही दिशा में एक कदम है, लेकिन पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य से नवाज शरीफ को हटा देने से भविष्य की संभावनाएं क्षीण होंगी। पाकिस्तान अपने इस वर्तमान संकट से कैसे उबरता है, भारत को इस बात का इंतजार करना होगा…

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर आजीवन कोई सार्वजनिक पद ग्रहण करने पर जो प्रतिबंध लगाया है, वह बहुत ही कठोर सजा है तथा इससे एक विवाद उभर कर सामने आ गया है। कोर्ट को उन्हें दोषी ठहराने का हक है, किंतु उन्हें दंड देने का अधिकार सीनेट समेत केवल संसद को है। यही कारण है कि इसके विरोध में संसद के सदस्य, विशेषकर उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सदस्य प्रदर्शन कर रहे हैं। नवाज शरीफ को गत वर्ष जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई जांच के बाद अयोग्य घोषित किया गया था। पनामा पेपर लीक कांड में हुई जांच में पाया गया कि दुबई में उनके बेटे हुसैन नवाज की कंपनी से आए पैसों का उन्होंने खुलासा नहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने बेटे से पैसे लेने से इनकार किया है तथा कोर्ट के फैसले को उन्हें बदनाम करने के लिए रचे गए षड्यंत्र का हिस्सा बताया है। पिछले हफ्ते आए  फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस व्यक्ति को एक बार अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, देश के संविधान के अनुसार वह दोबारा पद हासिल करने के योग्य नहीं रहता है। 60 पृष्ठों के फैसले को पढ़ते हुए जस्टिस उमर अता बंदयाल ने कहा कि इस मामले में संविधान की व्याख्या और सार्वजनिक पद ग्रहण को स्थायी या अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए निश्चय का प्रश्न जुड़ा है। साथ ही चुनाव लड़ने पर पाबंदी का प्रश्न भी जुड़ा है। यह फैसला पांच सदस्यीय खंडपीठ ने दिया जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश मियां साकिब निसार ने की।

मुख्य न्यायाधीश मियां साकिब निसार ने फैसले की उद्घोषणा से पूर्व कहा कि जनता ऐसे नेता चाहती है जिनका उच्च चरित्र हो। जस्टिस बंदयाल ने व्यवस्था दी कि अनुच्छेद 62 (1) (एफ) के तहत संसद के किसी सदस्य अथवा सार्वजनिक ओहदेदार की अयोग्यता निर्धारण अपरिपक्व होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता तथा न ही संसद का सदस्य बन सकता है। यह अनुच्छेद संसद के सदस्य के लिए ईमानदार होने तथा अच्छे चरित्र की पूर्व शर्त लगाता है। तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ की अब इस फैसले के बाद सत्ता में वापसी की कोई संभावना नहीं है। गत वर्ष जुलाई माह में कोर्ट द्वारा बेईमान घोषित करने के बाद नवाज ने अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। जैसा कि होना था, सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। उसका आरोप है कि न्यायिक फैसले का राजनीतिकरण हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सर्वाधिक विवादास्पद बताते हुए सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि कोई राजनेता ठीक है या गलत, इसका फैसला करने का अधिकार कोर्ट को नहीं, बल्कि संसद अथवा चुनाव आयोग को है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सत्तारूढ़ पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। यह झटका इसलिए भी है क्योंकि कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान में आम चुनाव होने जा रहे हैं। नवाज शरीफ के पास पहले यह अधिकार था कि वह इस फैसले का विरोध करते तथा उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए अथवा नहीं, इस मसले को लेकर वह जनता के सामने जा सकते थे।

भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश में अकसर सुप्रीम कोर्ट की इस बात के लिए आलोचना होती रहती है कि वह दूसरे कार्यों, विशेषकर कार्यपालिका के क्षेत्राधिकार में अतिक्रमण करती रही हैं। ऐसे कई प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने इस तरह के फैसलों को मानने से इनकार किया है। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोग्य घोषित कर दिया था। पद त्याग के बजाय इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था तथा खुद ही कानून को बदल दिया था। इंदिरा गांधी ऐसा इसलिए कर पाईं क्योंकि विपक्ष के सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था तथा उन्हें चुनौती देने वाला बाकी कोई नहीं बचा था, सिवाय कश्मीर के सदस्य शमीम अहमद शमीम के, जिन्होंने कुछ हद तक इंदिरा को चुनौती दी थी। लेकिन इंदिरा उनसे नहीं डरी क्योंकि जवाहर लाल नेहरू के मित्र शेख अब्दुल्ला, शमीम के पीछे थे। हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लोकतंत्र को मजाक बना कर रख दिया है। उन्होंने चुनाव आयोग को वास्तव में अधिकार दिए बिना ही चुनाव करवा डाले। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया, किंतु शेख हसीना ने इस पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोई कोशिश नहीं की। अब यह मजाक ही लगता है कि संसद में कोई विपक्ष है ही नहीं। एचएम इरशाद की जातीय पार्टी मात्र वह पार्टी थी जो विपक्ष के रूप में मौजूद थी। उसके सदस्यों को मंत्रिमंडल में जगह देकर शेख हसीना ने प्रतीकात्मक विपक्ष को भी खत्म कर दिया। चुनाव की वैधानिकता का प्रश्न अभी भी सुप्रीम कोर्ट के सामने विचार के लिए है, परंतु कोर्ट के न्यायाधीश इतने डरे हुए हैं कि वह ढाका से बाहर जा रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री व विपक्ष की नेता खालिदा जिया को पांच साल की सजा के प्रश्न को लेते हैं। शेख हसीना की हेकड़ी के चलते न्यायाधीश भाग रहे हैं। एक जज विदेश चला गया है और उसके लौटने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि वह प्रधानमंत्री की गुड बुक में नहीं है। इस न्यायाधीश को डर है कि जैसे ही वह लौटेगा, प्रधानमंत्री उस पर कोई न कोई कार्रवाई करेंगी। यह भी चर्चा चल रही है कि खालिदा जिया के खिलाफ जितने भी फैसले आ रहे हैं, उनके पीछे शेख हसीना का हाथ है और वह कोर्ट के काम में भी दखल दे रही हैं। एक जज ने खालिदा जिया के खिलाफ निर्णय देते हुए कहा कि उन्हें उनके स्वास्थ्य व रुतबे को देखते हुए कम से कम सजा दी जा रही है। इसका मतलब यह है कि खालिदा जिया आगामी चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। उन पर आरोप है कि उन्होंने विदेशों से मिले चंदे, जिसकी कीमत 21 मिलियन टका है, का दुरुपयोग किया है। नवाज शरीफ का केस भी खालिदा जिया के केस की तरह है। खालिदा जिया ने यह आरोप लगाया है कि उन्हें राजनीति से बेदखल करने के लिए शेख हसीना उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रही हैं। उन्होंने कहा कि वह डरने वाली नहीं हैं, जेल जाने से वह डरती नहीं हैं, लोकतंत्र की बहाली के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि चूंकि वह अगला चुनाव नहीं लड़ पाएंगी, इसलिए उनका राजनीतिक कैरियर खत्म हो जाने की आशंका है। नवाज शरीफ की रैलियों में अभी भी भीड़ जुटती है।

भारत के लिए वह शत्रु देश पाकिस्तान में एक बेहतर विकल्प थे। भारत ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देना बंद नहीं करता, तब तक उससे कोई बात नहीं होगी। हम पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक भी कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई लाभ मिलता नहीं लग रहा है। आज नहीं, तो कल दोनों देशों को अपने मसले सुलझाने के लिए बातचीत तो करनी ही होगी। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की पाकिस्तान के एनएसए से वार्ता सही दिशा में एक कदम है। लेकिन पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य से नवाज शरीफ को हटा देने से भविष्य की संभावनाएं क्षीण होंगी। पाकिस्तान अपने इस वर्तमान संकट से कैसे उबरता है, भारत को इस बात का इंतजार करना होगा। इस समय यदि हम कोई कदम उठाते हैं तो वह अंधेरे में तीर चलाने के समान होगा।

ई-मेल : kuldipnayar09@gmail.com

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