पुलिस निष्क्रिय क्यों

By: Apr 19th, 2018 12:05 am

कांतिलाल मांडोत, सूरत

सूरत सहित देश में बलात्कार की अनेक घटनाओं में आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। गुजरात, दिल्ली, मुंबई, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार सहित देश भर में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। कैंडल मार्च में भाग लेकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। सरकार के लिए चिंता का विषय है। आखिर इतने कानून होने के बाद भी इन घटनाओं पर लगाम क्यों नहीं लगाई जा रही है। पिछले एक साल के आंकड़े देखें, तो यह बात सामने आती है कि दुष्कर्म के मामलों में अधिकांश मामले उन बच्चियों से जुड़े हैं, जो अमूमन दस साल से 12 के बीच की हैं। कठुआ, उन्नाव, सूरत, राजकोट और गत वर्षों में बिटिया, जियाव रोड और भेस्तान की दुष्कर्म की घटनाओं में आरोपी आज दिन तक पकड़े नहीं गए। लिहाजा सूरत की दुष्कर्म की घटना में आरोपी को अभी तक पुलिस पकड़ नहीं पाई है। सूरत की दुष्कर्म की घटनाओं में पुलिस प्रशासन की धीमी गति से पीडि़त परिवार को न्याय नहीं मिल पाया है। नतीजतन ऐसे जघन्य अपराध के लिए दोषियों को कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए। दुधमुंही बच्चियों के साथ दुष्कर्म करके उन बच्चियों का गला घोंट कर मार देना पौराणिक काल के राक्षस को भी पीछे छोड़ने वाले अपराधी को कठोर से कठोर दंड देना चाहिए। यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। ऐसी घटना पुलिस और प्रशासन के माथे पर कलंक समान है। सूरत की पुलिस की आमतौर पर प्रशंसा की जाती है। गुजरात और सूरत शहर पुलिस और क्राइम ब्रांच के आला अधिकारियों की सूझबूझ से जटिल केसों का निराकरण कुछ ही घंटों में कर देते हैं। गौरतलब है कि क्राइम ब्रांच के लिए बच्ची के दुष्कर्मियों तक नहीं पहुंच पाना चिंताजनक है। पुलिस प्रशासन से पीडि़ता की मौत और दुष्कर्म के अपराधी को पकड़ने के लिए जनता और पीडि़ता का परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है। पुलिस आयुक्त सतीष शर्मा के निर्देशन में पुलिस महकमा असफल साबित होता है, तो शहर में महिला और बच्चियों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा? जनता न्याय  की गुहार लगा रही है। दुष्कर्म के मामलों में राजनीतिक रोटियां सेंकना बंद कर सभी को एक साथ न्याय के साथ खड़े  होने की आवश्यकता  है। अपराध सामने आते ही अपराधी को सजा दे देनी चाहिए।

 


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