भगवान का स्मरण मोक्ष का उपकरण

By: Apr 28th, 2018 12:05 am

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डॉ. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं ‘सुमिरन’ पर उनके विचार :

-गतांक से आगे…

यदि आप समझते हैं कि यह काम करने से आपके भीतर काम कर रही सारी ऊर्जा को सुखद एहसास होगा तो आप उसे याद कर रहे हैं तथा वह आपके दिमाग में है। आपके पिता आपको पशुचारा एकत्र करने के लिए लिखते हैं। यदि आप यह काम पहले ही कर चुके हैं, तो यह पत्र लिखने की जरूरत नहीं है। यदि आप पत्र में दिए गए निर्देश के अनुसार काम नहीं करते हैं और पत्र की पूजा शुरू कर देते हैं तो इसका कोई लाभ नहीं है, आप केवल बचने की कोशिश कर रहे हैं। आपका काम कार्रवाई की मांग करता है, परंतु आप अपने कर्त्तव्य से बचना चाहते हैं। अपने आप में मेडिटेशन कोई बुरी चीज नहीं है, लेकिन इससे भी बेहतर है अपने काम को अंजाम देना।

सुमिरन

नाम अर्थात भगवान का नाम तथा सिमरन-भगवान की स्मृति मोक्ष के उपकरण हैं। तथाकथित गुरु अर्थात नकली लोग अपनी धोखेबाजी की दुकानें चलाने के लिए लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए इन उपकरणों का उपयोग करते हैं। एक वैज्ञानिक के रूप में आप मुझे बताएं कि एक ओर लोगों से कुतर्क करने तथा साथ ही दूसरी ओर अन्य के साथ मनकों को  फेरते रहने का भाव क्या है। बिना किसी चिंतन के भगवान का नाम एक हजार बार रटने का अर्थ क्या है? पिता ने अपने पुत्र से पानी मांगा और पुत्र ने बार-बार पिता, पिता, पिता कहना शुरू किया। इसमें क्या अच्छा है? क्या उसके पिता को पानी मिल जाएगा? जप्पू, सिखों की प्रभातकालीन प्रार्थना, आपके लिए दोहराने का मंत्र नहीं है। अगर आपका दिमाग कहीं और रमा है, तो इसे कई बार दोहराने की जरूरत नहीं है। यह एक शिक्षा है। इसमें निहित आध्यात्मिक पाठ को समझने की कोई परवाह नहीं करता। लोग इसे 60 मील प्रति घंटा की रफ्तार से पढ़ते हैं। इसके कुछ ही छंद पढ़ें तथा उन पर मनन करें। यह इसका वास्तविक पाठन है। वेद आपकी भ्रांतियों को दूर करते हैं तथा आपको अपने को जानने के योग्य बनाते हैं। अनिश्चितता एक भ्रांति है तथा इसमें हम यह नहीं जानते कि हम क्या चाहते हैं?

भ्रांति में प्राकृतिक जरूरतें खामियां बन जाती हैं। वास्तव में कोई खामी नहीं होती है तथा सब कुछ एक भ्रांति है। आपने अपनी जरूरत को नहीं समझा है तथा वह पूरी नहीं हो पाई। एक जरूरत का पूरा हो जाना अपने आप में खुशी देता है। वंश वृद्धि के लिए संभोग जरूरी है। इसमें आनंद खोजने की इच्छा इसे वासना में बदल देती है। फिर व्यक्ति मदद के रूप में दवाइयां लेता है, इस तरह के साथी ढूंढता है और इस तरह के उपन्यास पढ़ता है। उसकी जरूरत अलग थी। वह इसे समझने में विफल रहा और वासना तक इसे पहुंचा दिया। डॉन जुआन ने कई शादियां कीं। वह एक संपूर्ण महिला प्राप्त करने की कोशिश कर रहा था जो उसे नहीं मिली। एक आदमी अपनी पत्नी से मिलने घर आता है। पत्नी पिछले कमरे के पिछले हिस्से में कहीं गहराई में बैठी है। कमरे के बाहर पति कई लोगों से मिलता है और बड़ों के पांव छूता है। उसकी जरूरत कुछ और है, परंतु वह कर कुछ और रहा है। इसके कारण उसका दिमाग भ्रांति से भर गया है। अगर उसकी पत्नी बाहर आई होती और उससे मिली होती तो उसका दिमाग स्पष्ट रहा होता अर्थात उसमें कोई भ्रांति न होती। अगर आप प्रतिदिन अपने आप को समझने के लिए पांच मिनट देते हैं तो आप 24 घंटे अपनी सूझबूझ में रहना सुनिश्चित कर लेते हैं। मुख्य बात यही है कि अपने आप को जानना है। तथाकथित अध्यात्मवादियों की मनमोहक शर्तों की अपनी शब्दावलि, दृष्टिकोण की आकर्षक तकनीक व मीठी बातंे होती हैं। उनके पास धर्मग्रंथों से उद्वरण देने की कला तथा भजन शैली में पवित्र ग्रंथों को पढ़ने की कला होती है। वे जानते हैं कि उन्हें अपनी दुकानें कैसे चलानी हैं। वे बाहर से विनम्र व भीतर से चतुर होते हैं। वे अपने भक्तों को तुरंत राहत देते हैं, परंतु स्थायी रूप से उपचार नहीं करते हैं।

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