शरीर को तंदुरुस्त रखने वाले व्यायाम

By: Apr 15th, 2018 12:07 am

शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखने वाला सबसे बेहतर साधन है व्यायाम। जो लोग प्रतिदिन व्यायाम करते हैं, उनका  शरीर हमेशा स्वस्थ व सुडौल बना रहता है, रोग- प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनी रहती है और आयु में भी बढ़ोतरी होती है। अतः सभी को कुछ चुनिंदा व्यायाम अवश्य करने चाहिए…

जीवन को सुखमय बनाने के लिए शरीर का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है। इसके लिए योगासन, सूर्य नमस्कार आदि को अपनाया जाता है, लेकिन अकसर ऐसा देखने को मिलता है कि चाहकर भी लोग नियमित रूप से इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल नहीं कर पाते। शुरुआत तो पूरे उत्साह से करते हैं, पर धीरे-धीरे समय के अभाव या व्यवस्तता के कारण नियमित रूप से जारी नहीं रख पाते। अतः कुछ ऐसे चुनिंदा व्यायामों की जानकारी दी जा रही है, जिनके लिए न तो अधिक समय की आवश्यकता है, न विशेष प्रकार के साधन (उपकरण) की। ये व्यायाम शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखने के लिए ,सेहत-सौंदर्य को बेहतर बनाए रखने के लिए पर्याप्त हैं।

शय्या त्याग: किसी भी मौसम में सूर्योदय से कम से कम 1 घंटा पहले शय्या का त्याग अवश्य कर दें, बिस्तर से उठ जाएं। शुरू में कुछ दिनों तक ऐसा करने में आलस्य महसूस होगा, लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास हो जाने पर स्वतः नींद खुल जाएगी। यहां तक कि कभी देर से सोने पर भी आप निश्चित समय पर जग जाएंगे।

नित्य क्रिया: सुबह में बिस्तर छोड़ने के बाद शौच आदि से निवृत्त होकर मुंह की सफाई, दातुन आदि कर लें। ब्रश की अपेक्षा नीम, बबूल आदि की दातुन का प्रयोग बेहतर है। इस प्रकार नित्य क्रिया से निवृत्त होकर व्यायाम के लिए खुली जगह में स्थान निर्धारित करें। यदि ऐसा संभव नहीं हो या तेज ठंड पड़ रही हो, तो घर में ही स्थान निर्धारित करें, जहां वायु का आवागमन संभव हो।

प्रारंभिक अभ्यास:  पांव से पांव को मिलाकर गर्दन सिर, कमर और रीढ़ को एक सीध में रखते हुए खड़े होकर दोनों हथेलियों को नमस्कार की मुद्रा में रखते हुए सूर्य का ध्यान करें। यहां उल्लेखनीय है कि सूर्य स्वास्थ्य के देवता हैं। इसी स्थिति में 3-5 बार गहरे श्वास लें और छोड़ें।

सर्वांगिक व्यायाम: तेज चलने, दौड़ने और तैरने से पूरे शरीर का व्यायाम एक साथ होता है। घर के अंदर इन तीनों में से कुछ भी संभव नहीं है। अतः ऐसी स्थिति में एक ही स्थान पर कदम उठाने व रखने की प्रक्रिया तीव्र गति से करें। कदमों की गिनती करते जाएं और कम- से कम 500 तक। जब तक शरीर में गर्मी न आ जाए अथवा पसीना न आ जाए, तब तक यह अभ्यास जारी रखें। उठाते समय कदम इतना ऊपर उठाएं जितना उठा सकें। इस व्यायाम से सारे शरीर के एक- एक अंग ही नहीं, बल्कि एक-एक ऊतक का भी व्यायाम हो जाता है, रक्त संचार संबंधी कोई विकार नहीं रह जाता और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में अंदर पहुंचता है।

हाथों के लिए व्यायाम

सर्वांगिक व्यायाम के बाद अपने स्थान पर ही खड़े रहें। शरीर को सीधा रखें। नजर से जैसे 100 मीटर की दूरी पर स्थित किसी वस्तु को देख रहे हों, ऐसी मुद्रा में सिर को सीधा रखो। अब दोनों हाथों को आगे से पीछे की ओर 50 बार, फिर पीछे से आगे की ओर 50 बार इस प्रकार घुमाएं, जैसे घड़ी की सूई अपनी धुरी पर घुमती है। यहां दोनों कंधे धुरी का काम करेंगे।

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