शिक्षा के साथ-साथ खेल पर भी ध्यान दे हिमाचल

By: Apr 4th, 2018 12:05 am

ओपी शर्मा

लेखक,  पूर्व निदेशक युवा मामले

प्राथमिक स्तर पर खिलाडि़यों की नर्सरी पैदा होती है। प्रारंभिक स्तर पर युवा कुशल बनेंगे, तभी वह उच्च स्तर में कामयाबी हासिल कर सकते हैं। विभाग को प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में एक खेल अध्यापक नियुक्त करना चाहिए। युवा कार्य विकास के लिए सभी विभागों के तालमेल और सहयोग से रणनीति अपेक्षित है…

युवाओं का सर्वांगीण विकास करना प्रदेश सरकार की मुख्य जिम्मदारी है। इस कड़ी में प्रारंभिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय तक की शिक्षा, युवा कार्यकलाप व खेल गतिविधियां आती हैं। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग, खेल व युवा विभाग मुख्य तौर पर इन गतिविधियों का संचालन करते हैं। शिक्षा के साथ-साथ खेल व युवा गतिविधियों का महत्त्व जग जाहिर है। खेल के बिना शिक्षा अधूरी है और गीत-संगीत के बिना युवा विकास नहीं। हिमाचल में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। परंतु इन प्रतिभाओं को सही मार्गदर्शन और प्रशिक्षण की दरकार है। खेल व संगीत की प्रथम शिक्षा, बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में दी जाती है। खेल व युवा कार्यक्रम गांव में युवा-मंडल, खेल क्लब, महिला मंडल, खेल संघ तथा स्वयं सेवी संस्थाएं समय-समय पर आयोजित करती हैं। प्राथमिक स्तर पर इस कार्य के लिए कोई अध्यापक नियुक्त नहीं है। हमारे युवाओं की कार्य व खेल की नींव प्राथमिक अध्यापक पर आधरित है। अगर प्रारंभिक स्तर पर युवा कुशल बनेंगे, तभी वह उच्च स्तर में कामयाबी हासिल कर सकते हैं। प्रदेश के लगभग पांच हजार प्राथमिक विद्यालयों में प्राथमिक अध्यापक इस कार्य का श्री गणेश करता है। इन अध्यापकों में कई तो 20-30 वर्ष की सेवा कर चुके अध्यापक हैं। जिन्होंने अपने बचपन में जो सीखा वही बच्चों को सिखा दिया। खेलों के नियम बदल रहे हैं।

प्रदेश खेल संघ व राष्ट्रीय खेल संघ नियम बदलते हैं, तो उसकी जानकारी इन अध्यापकों को नहीं होती, जिससे बच्चों को सही नियमों से खेल नहीं खिलाया जाता। वहीं विद्यार्थी जब वरिष्ठ विद्यालयों में जाते हैं, तो उनकी खेल में अच्छी परफारर्मेंस नहीं होती। सही मार्गदर्शन और प्रशिक्षण न मिलने की वजह से हमारे युवाओं की खेल प्रतियोगिताओं में कमियां नजर आती हैं। इस प्रकार हमारा खेल स्तर ऊपर नहीं उठता। हिमाचल खेल के क्षेत्र में आगे निकल रहा है, परंतु अभी भी इस क्षेत्र को और सशक्त बनाने की जरूरत है, ताकि आने वाले निकट भविष्य में हिमाचली प्रतिस्पर्धी खुद को और बेहतर रूप में दिखा पाएं। विभाग में खेल अधिकारी न होने के कारण इन अध्यापकों को सही मार्गदर्शन नहीं मिलता, जिससे  विद्यार्थी इस क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं। खंड स्तर व जिला स्तर पर भी प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कोई शारीरिक शिक्षा अधिकारी नहीं है। माध्यमिक स्तर पर भी अधिकांश अधिकारी कामचलाऊ हैं या तदर्थ आधार पर हैं। राज्य का खेल व युवा विभाग कई वर्षों से कार्य कर रहा है, परंतु कई जिलों में अधिकारी व कर्मचारी नहीं हैं। बड़े-बड़े जिलों में तो एक अधिकारी व दो कोच तक से काम चलाना कठिन है। शिमला, मंडी, कांगड़ा जैसे जिलों में दो-दो अधिकारी हों तो वे युवा व खेल गतिविधियों का संचालन सारे जिला में कर सकते हैं। हर जिला में पांच-पांच सौ खेल व युवा मंडल हैं तथा अन्य संस्थाएं हैं। कई खेल संघ हैं, जिनकी गतिविधियां होती रहती हैं। इन सब खेलों के मार्गदर्शन के लिए शारीरिक प्रशिक्षक व खेल शिक्षक ज्यादा संख्या में होने चाहिए, तभी खेलों को रुचिकर बनाकर अच्छा स्तर व वातावरण प्राप्त किया जा सकता है।

प्राथमिक स्तर पर जहां खिलाडि़यों की नर्सरी पैदा होती है। विभाग को प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में एक खेल अध्यापक नियुक्त करना चाहिए। उसे कम से कम तीन महीने का खेल व युवा गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। यह प्राथमिक अध्यापक भी हो सकता है। उसे सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत यह प्रशिक्षण दिया जा सकता है। प्राथमिक केंद्र स्तर पर प्रतियोगिता में शारीरिक शिक्षक व खेल विभाग के प्रशिक्षक की ड्यूटी लगाई जानी चाहिए, ताकि निचले स्तर से खिलाड़ी नियमों के अनुसार खेल खेलें। खंड, जिला स्तर व प्रदेश स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सकें। साथ ही इन विभागों का तालमेल व सहभागिता भी प्राप्त हो सके। केंद्रीय युवा कार्यक्रम मंत्रालय के अंतर्गत नेहरू युवा केंद्र भी युवा मामले व खेलों का आयोजन करते हैं, परंतु इस विभाग में किन्नौर, कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, मंडी, चंबा, हमीरपुर आदि में अधिकारियों के पद कई वर्षों से खाली पड़े हैं। इन पदों को भरने के प्रयास किए जाएं, ताकि युवाओं का संपूर्ण विकास हो सके।

युवा कार्य विकास के लिए सभी विभागों के तालमेल और सहयोग से रणनीति अपेक्षित है। राज्य स्तर पर सभी विभागों की वर्ष में एक बार संयुक्त बैठक हो। जिला स्तर पर जिलाधीश की अध्यक्षता में प्रतिमास बैठक हो, जिसमें कार्यकलापों की चर्चा व अन्य समस्याओं का समाधन हो तभी स्टापफ  संसाधनों का भरपूर प्रयोग किया जा सकता है। जिला स्तर पर शिक्षा, युवा कार्य व खेल गतिविधियों के लिए एक समिति का गठन किया जाना चाहिए, जिसमें युवा कार्य व खेल के अधिकारी व सेवानिवृत्त अधिकारी प्रशिक्षक व संगीतकार हों, जो दिशा निर्देश का कार्य करें व इन गतिविधियों की समीक्षा करें, ताकि गुणात्मक सुधार लाया जाए और कमियों को दूर किया जाए, जिससे युवा अच्छे खिलाड़ी, अच्छे नागरिक बन सकें और प्रदेश का नाम प्रतिष्ठित करें। खेल के क्षेत्र में इन कमियों को अगर दूर कर दिया जाता है, तो भविष्य में हिमाचल के और भी कई नए खिलाड़ी उभरेंगे। खेल के क्षेत्र में हिमाचल को नई दिशा देने के लिए सरकार को जल्द से जल्द उचित कदम उठाने चाहिए।


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