शिक्षा में बदलाव

By: Apr 21st, 2018 12:05 am

जीवन धीमान, नालागढ़, सोलन

इस समय हिमाचल में लगभग 10484 प्राइमरी स्कूल, 1056 मिडल स्कूल व 1339 हाई व सेकेंडरी स्कूल हैं। कई स्कूलों में तो एक-दो बच्चे ही पढ़ने आ रहे हैं। आज के समय के अनुसार शिक्षा, शिक्षक व शिक्षण में बहुत सारे बदलाव की जरूरत है। हमें स्कूलों का निर्माण इस तरह से करना चाहिए, जहां हर बच्चा जाना चाहे। इसके लिए हमें बच्चों से पहले बड़ों को शिक्षित करने की जरूरत है। हिमाचल सहित कई अन्य राज्यों में पांचवीं व आठवीं में बच्चों को फेल नहीं किया जाता है। इसका असर बच्चों पर पड़ रहा है। विद्यार्थियों को फेल न करने की नीति के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। इसके कारण न तो शिक्षक सही ढंग से विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं और न ही विद्यार्थी ध्यान से पढ़ाई कर रहे हैं। इसका कारण है कि विद्यार्थियों को फेल होने का डर ही नहीं है। अतः सरकार को पांचवीं व आठवीं में विद्यार्थियों को फेल करने की नीति दोबारा से शुरू कर देनी चाहिए, ताकि इन कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी यदि बेहतर पढ़ाई नहीं करेंगे और परीक्षा में पास होने के लिए तय अंक नहीं लेंगे, तो उसे फेल किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों की सोच बदल जाएगी और उन्हें पता लगेगा कि यदि हम पढ़ाई नहीं करेंगे तो फेल हो जाएंगे। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि शिक्षक का विकास होना बेहद महत्त्वपूर्ण है। इस बदलाव के लिए राष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार समिति को प्रस्ताव तैयार करके मंजूरी के लिए संसद को भेजना चाहिए। दोनों कक्षाओं में फेल करने की व्यवस्था फिर शुरू करने की जरूरत है, ताकि शिक्षा का स्तर बेहतर बने और शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ बन सके।

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