सदन में ‘सरकार’

By: Apr 9th, 2018 12:05 am

प्रदेश की भाजपा नीत जयराम सरकार के पहले बजट सत्र में बेशक तीन महीने के कार्यकलाप पर विपक्ष ने कई मुद्दों को लेकर हमला बोला, लेकिन पिछली सरकार की करनी को सामने लाकर प्रदेश सरकार ने न केवल अपना बचाव बेहतर तरीके से किया,बल्कि विपक्ष को भी उबरने का मौका नहीं दिया।  बजट की पड़ताल दखल के जरिए कर रहे हैं, शकील कुरैशी…

प्रदेश की भाजपा की जयराम सरकार के पहले बजट सत्र में बेशक तीन महीने के कार्यकलाप पर विपक्ष ने कई मुद्दों को लेकर हमला बोला, लेकिन पिछली सरकार की करनी को सामने लाकर प्रदेश सरकार ने न केवल अपना बचाव बेहतर तरीके से किया, बल्कि विपक्ष को भी उबरने का मौका नहीं दिया।  इस बजट सत्र की शुरुआत धारा-118 में संशोधन की सरकार की मंशाओं से हुई, जिस पर पहले ही दिन कांग्रेस ने सदन से वाकआउट भी किया। हालांकि इस मामले पर सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि फिलहाल उसकी मंशाएं ऐसी नहीं हैं और न ही कोई निर्णय लिया गया है,बावजूद इसके सरकार पहले  दिन ही निशाने पर आ गई। इस पर पूर्व सरकार द्वारा पहले किए गए संशोधनों को गिनाकर जयराम सरकार ने पलटवार किया, जिस पर विपक्ष डिफेंसिव मोड पर दिखा। इसके बाद कई मुद्दों को सदन में उठाया गया, वाकआउट भी किए गए, लेकिन सरकार  ने कांग्रेस को ज्यादा हावी होने नहीं दिया, जो मुद्दे विपक्ष ने उठाए उस पर सरकार की तरफ से चर्चाएं भी लाई गईं। लिहाजा कांग्रेस के पांच साल की कार्यप्रणाली की पोल पट्टी यहीं पर खुलती दिखी। सरकार ने अपने तीन महीने में किए गए कार्यों पर ज्यादा फोकस रखा, लेकिन जहां कहीं जरूरत पड़ी,वहां पूर्व सरकार के कारनामों को उजागर करने से भी मुख्यमंत्री व उनके मंत्री पीछे नहीं रहे। इसमें अलग-अलग विभागों की पुरानी तस्वीर सामने लाई गई, जिस पर विपक्ष को बोलने के लिए कुछ नहीं बचा।

कर्मचारी तबादलों की गूंज

इस बजट सत्र में कर्मचारी तबादलों की गूंज भी खूब सुनाई दी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि आते ही तीन महीने में सरकार ने हजारों तबादले कर दिए, जिस पर मुख्यमंत्री ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि कांग्रेस सरकार ने पांच साल में एक लाख से ऊपर कर्मचारियों के तबादले किए और तीन महीने में उनकी सरकार ने जरूरत के हिसाब से 2175 तबादले ही किए। सरकार पर तबादले करके संस्थानों को खाली कर दिए जाने के आरोप भी यहां लगे परंतु मुख्यमंत्री ने इन आरोपों का भी जबरदस्त जवाब दिया, जिस पर विपक्ष कुछ बोल नहीं पाया। इसके साथ इस सत्र में खनन माफिया को लेकर सत्तापक्ष के ही एक विधायक ने घेरने की कोशिश की और यह मुद्दा भी खूब गूंजा। इस पर सरकार ने माफिया को खत्म करने के लिए किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया।

720 तारांकित, 129 अतारांकित सवाल

इस बार बजट सत्र में 720 तारांकित सवाल थे और 129 अतारांकित सवाल भी लगे। नियम 62 के तहत 6 विषयों पर चर्चा लाई गई थी वहीं,नियम 130 पर एक विषय पर चर्चा हुई। दो प्राइवेट मेंबर डे थे और 6 सरकारी विधेयक पारित किए गए। नियम 324 के चार विषय सदन में लाए गए। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर अपनी कैबिनेट के साथ सभी बैठकों में मौजूद रहे । वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी हरेक बैठक में उपस्थित रहे।

17 दिन चला सदन

बजट सत्र की कार्यवाही कुल 17 दिनों तक चली, जिस बीच मुख्यमंत्री ने नौ मार्च को अपना बजट पेश किया। 12 से 16 मार्च तक बजट पर 16 घंटे 49 मिनट तक चर्चा की गई। इसके बाद 4 अनुदान मांगों पर कटौती प्रस्ताव भी आए जिन पर 11 घंटे 20 मिनट का समय लिया गया।

मुख्य सचेतक-उप मुख्य सचेतक पर माहौल गर्मं

सत्र के अंत में मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक का मुद्दा गरमाया रहा, जिस पर विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला। पहली दफा इस तरह की व्यवस्था हो रही है कि मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक को कैबिनेट रैंक मिलेगा जिसमें भाजपा सरकार अपने दो विधायकों को एडजस्ट करेगी। इस तरह के कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर पूरे बजट सत्र में चर्चा हुई और खुलकर पक्ष और विपक्ष ने बात रखी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नौ मार्च को अपना बजट पेश किया, जिस पर  चर्चा के साथ कटौती प्रस्ताव भी यहां पेश किए गए।

नौ बार विपक्ष का वाकआउट

सत्र की शुरुआत में पहले ही कांग्रेस ने धारा 118 में संशोधन के मुद्दे पर वाकआउट किया। इसके साथ यह क्रम लगातार चलता रहा। करीब आठ या 9 दफा विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष की ओर से सदन से बर्हिगमन किया गया। रूसा अभियान को लेकर सरकार द्वारा यू टर्न लेने के मामले पर कांगे्रस विधायकों ने वाकआउट किया वहीं पुराने खुले शिक्षण संस्थानों को बंद करने के मुद्दे पर भी कांगे्रस सदन से बाहर चली गई। कर्मचारियों के तबादलों पर कांगे्रस ने वाकआउट किया वहीं फोटो रिलीज करने का भी एक मुद्दा वाकआउट का कारण बना।    भाखड़ा विस्थापितों के लिए पालिसी न बनाए जाने से नाराज कांग्रेस विधायकों ने वाकआउट किया। इसके साथ फिजूलखर्ची को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा विपक्ष पर तंज कसे जाने से नाराज होकर भी विपक्ष ने वाकआउट किया। वहीं सरकार की तरफ से कुछ मुद्दों पर सही सूचना नहीं दिए जाने से भी उनकी नाराजगी ने बर्हिगमन का रास्ता खोला। विधानसभा परिसर में कार्यकर्ताओं द्वारा झंडे लेकर आने का भी एक मुद्दा बना। कुल मिलाकर इन्हीं मामलों पर विपक्ष ने सत्तापक्ष पर हावी होने की कोशिश की और वाकआउट करके दवाब बनाने में जुटा रहा। इसके अलावा किन्नौर जिला में लाडा के चेयरमैन को लेकर भी मुद्दा उठा, जिस पर किन्नौर के विधायक सहित कांग्रेस सदन से बाहर चली गई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा पेश किए गए बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के विधायकों ने उन पर खूब तंज कसे और बाद में कटौती प्रस्तावों के जरिए विभागों को दिए गए बजट पर असहमति जताई। उनका कहना था कि जिन विभागों को अधिक बजट दिया जाना चाहिए था उन्हें नहीं दिया गया।

सदन में शिक्षा क्षेत्र को रखे कम बजट के अलावा पेयजल व सिंचाई क्षेत्र, ग्रामीण विकास व स्वास्थ्य क्षेत्र को दिए बजट को विपक्ष ने नाकाफी करार दिया और इस पर असहमति जताई। इसके अलावा खेल विधेयक की वापसी पर भी कांग्रेस ने वाकआउट किया।

छह विधेयकों पर लगी मुहर

इस सत्र के दौरान सरकार ने सदन में 6 संशोधन विधेयक पेश किए, जिनमें से कुछ पर विपक्ष सहमत था तो कइयों पर उसने विरोध भी जताया। विरोध के बावजूद सदन में बहुमत के चलते सत्तापक्ष ने विधेयकों को मंजूरी दिलाई। यहां मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक को कैबिनेट रैंक से जुड़े विधेयक पर काफी चर्चा हुई, जिसे बाद में पारित कर दिया गया। इसके साथ पुलिस का संशोधन विधेयक जिसमें फोरेंसिक निदेशालय को शक्तियां देने का जिक्र था, भी मंजूर हुआ। सदन में उद्योगों के लिए निवेश रिझाने को लेकर सिंगल विंडो क्लीयरेंस में संशोधन विध्ेयक, गो सदनों को मंदिरों से धनराशि उपलब्ध करवाने का विधेयक, मंडी में क्लस्टर विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विधेयक तथा बिल्डरों के पंजीकरण से संबंधित विधेयक को भी सदन में मंजूरी प्रदान की गई।

एचआरटीसी के घोटालों पर तपा सदन

सदन में एचआरटीसी घोटालों की जांच और उसकी स्थिति पर श्वेत पत्र लाने की बात हुई तो वहीं आईपीएच में पाइपों के घोटाले और पाइप खरीद नहीं करने से पेश आ रही कठिनाइयों को भी उजागर किया गया। यही नहीं, स्वास्थ्य क्षेत्र में टांडा मेडिकल कालेज की हालत ने सदन को चिंता में भी डाल दिया। भाजपा के ही विधायक राकेश पठानिया ने इस तरह की तस्वीर पेश की, जिससे स्वास्थ्य मंत्री घिरते नजर आए।  इस बजट सत्र में रूसा अभियान को लेकर भी सरकार कठघरे में रही क्योंकि  इसे पूरी तरह से खत्म करने का वादा भाजपा ने अपने नीतिगत दस्तावेज में कर रखा है। इसपर सरकार का यू-टर्न खासी चर्चाओं में रहा, जिस पर शिक्षा मंत्री की भी खूब घेराबंदी हुई। इसके साथ शिक्षकों के तबादलों को लेकर भी जयराम सरकार निशाने पर रही, जिसमें विपक्ष का सवाल था कि सरकार कौन सी अलग पॉलिसी बना रही है या एक्ट बना रही है। इस पर भी फिलहाल सरकार चुप रही। गो सदनों को मंदिरों से पैसा दिए जाने और शराब पर सैस लगाकर पैसा दिए जाने का मुद्दा भी बीच-बीच में उठता रहा।   शिलान्यास पट्टिकाओं को तोड़े जाने के मामले ने भी गर्माहट लाई।

नए विधायक दिखे रंग में

इस सत्र में खास बात ये भी थी कि यहां बड़ी संख्या में सत्तापक्ष व विपक्ष के नए चेहरे पहली दफा बजट सत्र में मौजूद रहे। इन विधायकों ने यहां सदन की प्रक्रियाओं के बारे में जाना और धीरे-धीरे ये विधायक विभिन्न मुद्दों पर बोलते हुए भी दिखे। कांग्रेस की ओर से पहली दफा सदन में आए सतपाल रायजादा, विक्रमादित्य सिंह, सुंदर ठाकुर ने कई सवाल पूछे और उन पर चर्चा भी की। वहीं सत्तापक्ष की ओर से भी कई नए विधायकों ने अपने सवाल किए। इनमें अरुण कुमार कूका, मुलख राज, सुरेंद्र शौरी, राकेश जम्वाल, प्रकाश राणा ने भी अपने सवालों की झड़ी लगाई।

सवाल पूछने में राम लाल सबसे आगे 

सदन में विपक्ष की ओर से वरिष्ठ विधायक राम लाल ठाकुर ने सबसे अधिक सवाल किए। उन्होंने सड़क योजनाओं, जंगलों की आग, चंगर क्षेत्र की पेयजल परियोजनाओं, श्रीनयनादेवी की पेयजल व्यवस्था समेत अनगिनत सवाल किए। उनके सवालों पर सत्तापक्ष की ओर से जवाब भी है। उनके अलावा मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी, हर्षवर्धन चौहान, जगत सिंह नेगी के सवाल छाए रहे। सदन में आई महिला विधायकों ने सबसे कम सवाल किए थे। उनके मात्र एक या दो सवालों पर ही सरकार की ओर से जवाब आए,जिस पर चर्चा की गई।

विधायकों के लिए वर्कशॉप रही खास

हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में इस बार विधायकों के लिए लगाई वर्कशॉप खास रही। चार अलग-अलग मुद्दों पर लगातार चार दिन तक विधायकों को जागरूक करने के लिए पीटरहाफ में वर्कशॉप का आयोजन किया गया।  राज्य में पहली दफा इस तरह का प्रयोग  किया गया कि विधानसभा से फारिग होकर विधायक शाम को वर्कशॉप में पहुंचे। प्रदेश विधानसभा ने 4 विभागों के साथ सहभागिता कर यह विशेष आयोजन रखा था, जिसमें विधायकों को अलग-अलग विषयों पर जहां जानकारी मिली, वहीं जागरूकता भी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इन सभी वर्कशॉप्स में बाकायदा हाजिर रहे, जिनके साथ विधानसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्रियों के अलावा सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों दलों के विधायक शामिल हुए।  विधायकों के लिए जल संरक्षण, ट्यूबरक्लोसिस, एचआईवी एड्स तथा जलवायु परिवर्तन जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर वर्कशॉप की गई।

राकेश पठानिया ने ही घेरी सरकार

सत्र की 17 बैठकों में सत्तापक्ष के विधायक राकेश पठानिया का जलवा सबसे अलग दिखा, जिन्होंने कांगड़ा जिला के कुछ प्रमुख मुद्दों पर अपनी ही सरकार की घेराबंदी की। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर मंत्रियों को घेरने की रणनीति चर्चा का विषय रही। टांडा मेडिकल कालेज के मामले में जहां उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार को घेरा,वहीं खनन माफिया के मुद्दे पर उद्योग मंत्री विक्रम सिंह से भी उनकी खूब नोक-झोंक हुई। शिक्षा क्षेत्र में भी वह ज्वलंत मुद्दे उठाते रहे और सरकार को सुझाव देने के साथ लताड़ते भी दिखे। उनके द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर सरकार की घेराबंदी के दौरान विपक्ष के विधायक टेबल बजाकर खुशी का इजहार करते दिखे,जिससे माहौल में गरमाहट भरी रही।

सदन में जयराम बनाम मुकेश अग्निहोत्री

सत्तापक्ष की ओर से मुख्य किरदार में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ही थे जिनका साथ उनके मंत्रियों ने भी खूब दिया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज यूं तो विपक्ष के निशाने पर रहे, लेकिन विपक्ष पर पलटवार में उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी। इसके साथ विपक्ष की गर्माजोशी का प्रति उत्तर देने में सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल, जो कि पहली दफा चुनकर आए हैं,सबसे आगे रहे। उनकी व विपक्ष के विधायकों की कई दफा नोक-झोंक देखने को मिली। साथ ही विधायक विनोद कुमार ने भी कई मुद्दों पर तीखा हमला बोला। इसके अलावा वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला और सुखराम चौधरी भी पीछे नहीं रहे, जिन्होंने पूरे तर्कों के साथ ऐसे मुद्दे छेड़े, जिस पर विपक्ष धराशायी हो गया। उधर, विपक्ष की ओर से कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री अपने दल का बखूबी नेतृत्व करते दिखे मगर कई मामलों में विधायकों के साथ उनके सामंजस्य की कमी भी दिखाई दी। हालांकि यह स्थिति शुरुआत में थी और बाद में काफी कुछ सही हो गया था। उनके अलावा जगत सिंह नेगी और रामलाल ठाकुर विपक्ष को घेरने में आगे रहे, जिनका साथ हर्षवर्धन चौहान व आशा कुमारी के साथ सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी दिया। सदन में विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी अपनी अच्छी परफार्मेंस दिखाई।

वीरभद्र की तारीफ

अहम मसलों पर खुद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सरकार को घेरते हुए दिखाई दिए, जिनकी बात को सत्तापक्ष भी पूरी गंभीरता से सुनता रहा। उनकी वरिष्ठता का यहां पूरा सम्मान रखा गया जिन्होंने अपनी बातों से सदन को मार्गदर्शन भी दिया, जिस पर मुख्यमंत्री ने उनकी तारीफ भी की।

राकेश सिंघा की बेस्ट परफार्मेंस

माकपा नेता राकेश सिंघा कई अहम मुद्दों पर बेहतरीन तरीके से बोले, जिन्होंने कई सुझाव भी सरकार के सामने रखे। सदन में उनकी बात को भी दोनों पक्षों ने पूरी गंभीरता के साथ लिया, जो कि कई साल के बाद यहां विधानसभा पहुंचे हैं। उनकी भी अपनी अलग परफार्र्मेंस दिखाई दी।

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