सपनों के मेघों पर सवार मेघना

By: Apr 8th, 2018 12:15 am

शिखर पर

बैजनाथ निवासी मेघना गोस्वामी ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास कर इतिहास रचा है। मेघना की इस उपलब्धि से घर-परिवार एवं स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है। मेघना ने इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर बैजनाथ कस्बे की पहली महिला प्रशासनिक अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया है। मेघना के पिता अशोक गोस्वामी सरकारी महाविद्यालय में गणित के प्रोफेसर हैं, जबकि मां सुषमा गोस्वामी जवाहर नवोदय विद्यालय पपरोला में प्रधानाचार्या के पद पर आसीन हैं।

वह प्रारंभ से ही एक प्रतिभाशाली छात्रा रही हैं। मेघना ने दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से 91 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण की। तत्पश्चात उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज से बीएससी गणित ऑनर्स और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, दिल्ली से गणित में स्नातक की डिग्री हासिल की। लेडी श्रीराम कालेज के गणित विभाग द्वारा आयोजित वर्कशाप ‘मॉडलिंग विद स्प्रेड शीट्स’ में हिस्सा लेकर उन्होंने अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की। इसके अतिरिक्त मेघना ने डब्ल्यूएचओ द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला ‘किशोरों का मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल’ में अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित की। मेघना यहीं नहीं रुकी।

उन्होंने स्टूडेंट्स एंड यूथ प्रोग्राम में हिस्सा लेकर जापान यात्रा भी की। वक्तत्व कला में भी मेघना को महारत हासिल है। वह प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर चुकी हैं।

राष्ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता में जवाहर नवोदय विद्यालय, मंडी की तरफ से हिस्सा लेकर वह पुरस्कृत हो चुकी हैं। यही नहीं, मेघना को यायावरी एवं साहसिक गतिविधियां भी बहुत पसंद हैं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित एडवेंचर कैंप में हिस्सा लेकर अपनी निडरता एवं साहस का परिचय दिया है।

मेघना समाज सेवा में विशेष रुचि रखते हुए अपना सहयोग दे चुकी हैं। इन्होंने कालेज सोसायटी ‘टीच’ के माध्यम से दिव्यांगों हेतु काम करने वाली संस्था की संयोजक के रूप में भी अपना योगदान दिया है। वह मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल गुरुग्राम (हरियाणा) में बतौर गणित शिक्षक भी कार्य कर चुकी हैं। उन्होंने गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) के माध्यम से समाज के वंचित तबके को शिक्षित कर समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु भी कार्य किया है। आभास एनजीओ तुगलकाबाद (दिल्ली) की सक्रिय सदस्य के रूप में भी वह सेवाएं दे चुकी हैं। मेघना एनएसएस के सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवी के रूप में पुरस्कृत की जा चुकी हैं।

इसके अतिरिक्त वह गैर सरकारी संस्थाओं के गणित शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं। प्रशिक्षण के बाद मेघना को तहसीलदार के पद पर तैनाती मिलेगी। मेघना अपनी इस उपलब्धि का श्रेय शिक्षकों, माता-पिता और अपनी कड़ी मेहनत एवं समर्पण को देती हैं।

मुलाकात

सफलता में कुछ अंश भाग्य का भी…

मेघना खुद को किस धारा का प्रतीक मानती हैं और अब तक के सफर में क्या स्थापित कर पाईं?

मैं अपने को सतत प्रभावशाली धारा का प्रतीक मानती हूं और सदैव बहते रहने में विश्वास करती हूं, जिसके परिणाम स्वरूप मैं सफलता के प्रथम सोपान तक पहुंच सकी हूं।

सफलता के मायनों में जीवन की कठिन परीक्षा?

आत्मविश्वास।

लक्ष्य को साधना और लक्ष्य की साधना के किन बिंदुओं को आप अहमियत देती हैं?

कठिन परिश्रम, निरंतरता, एवं समर्पण।

शिक्षा के परिदृश्य में बेरोजगारी की ठोकरों के लिए किस पहलू को दोषी मानेंगी?

कठिन परिश्रम और बेरोजगारी परस्पर विरोधी हैं। साथ में यह भी मानती हूं कि सफलता में कुछ अंश भाग्य का भी होता है।

अगर हिमाचल को अपना शैक्षणिक स्तर ऊपर उठाना हो?

मैं इस विचारधारा को मानती हूं कि हिमाचल शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ एवं प्रभावशाली बनाना अत्यंत अवश्यक है। शिक्षा को राजनीति से दूर रखना भी अत्यंत आवश्यक है। शिक्षकों से गैर शैक्षिक कार्य न लिया जाए।

आपके व्यक्तित्व संरचना में दिल्ली की पृष्ठभूमि का अहम रोल रहा है, तो अब एचएएस की दिशा में आप कौन सी नई तस्वीर देख रही हैं?

यदि दिल्ली मेरी तपोस्थली रही है, तो हिमाचल कर्मस्थली बनने जा रही है।

बहु आयामी प्रतिभा के खुले मंच से पुनः हिमाचल आने की सबसे बड़ी वजह, आशा या उद्देश्य?

मैं अपनी कर्मस्थली हिमाचल की  मूलभूत सभ्यता, संस्कृति के सरंक्षण एवं विकास तथा सामाजिक न्याय हेतु कार्य करूंगी। मैं पुनः हिमाचल नहीं आई यह मेरी जन्मस्थली है। और मेरी स्कूली शिक्षा भी यहीं की है।

आज के युवा का सबसे बड़ा संकट और उससे बाहर निकलने का रास्ता?

आज का युवा मेहनती नहीं है। साथ में वह नशाखोरी के जाल में भी फंसता जा रहा है। इसके अतिरिक्त वह मल्टीमीडिया का भी सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। परिश्रम और मल्टीमीडिया का उचित उपयोग ही उसे जीवन में सफलता दिला सकता है।

 जीवन की व्यस्तता में व्यवस्थित जीवन की आपकी परिभाषा?

शिक्षार्थी जीवन काल में माता-पिता, शिक्षक समाज की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, जो जीवन को व्यवस्थित बनाती है।

आपने वंचित तबके के दर्द को समझा है, तो इस दिशा में योजनाओं का मर्म क्यों हार जाता है?

 भ्रष्टाचार, संवेदनहीनता एवं वोट की राजनीति के कारण वंचित तबके हेतु बनाई गई योजनाएं असफल हो जाती हैं।

 कोई एक इरादा जो आप प्रदेश की बेहतरी के लिए रखती हैं?

देव भूमि हिमाचल में पर्यटन ही प्रदेश को ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

आपके लिए सपनों की छांव जरूरी रही या यूं ही कारवां बन गया?

संजोए गए सपनों के पहले पायदान में आई हूं, सपना जरूरी है।

अपनी लकीरों से हटकर मेघना के लिए मनोरंजन और मस्ती के साधन?

 संगीत, नृत्य, कविता एवं पर्यटन।

  • चमन डोहरू, बैजनाथ


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