सीएसआर पर खर्चे 8897 करोड़
वित्त वर्ष 2016-17 में 1522 कंपनियों ने खुलकर किया दान
नई दिल्ली – खेलों का विकास, राष्ट्रीय विरासत और लैंगिक समानता ऐसे क्षेत्र रहे, जिनमें वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान कंपनियों ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत सबसे अधिक काम किया। सीएसआर में बीते साल बीएसई में सूचीबद्ध 1522 कंपनियों ने 8897 करोड़ रुपए खर्च किए, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में नौ फीसदी अधिक है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक रिपोर्ट सीएसआर ट्रैकर-2017 में ऐसे तथ्य उभर कर सामने आए हैं, जो बताते हैं कि कंपनियों की दिलचस्पी धीरे-धीरे सीएसआर की राशि को अच्छी तरह खर्च करने में बढ़ी है। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनियों को शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत सीएसआर में खर्च करना अनिवार्य है। वित्त वर्ष 2017 में कंपनियों के शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत 9680 करोड़ व्यय करने थे, लेकिन इसका 92 फीसदी हिस्सा ही व्यय किया गया। सीआईआई ने गत तीन साल की 3973 कंपनियों के वार्षिक परिणाम की रिपोर्ट की समीक्षा करके यह निष्कर्ष निकाला है। सीएसआर में योगदान करने के लिए बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या वित्त वर्ष 2015 के दौरान 1181 थी, जो वित्त वर्ष 2016 में बढ़कर 1270 हुई और वित्त वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 1522 रहा। कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ अनुदान की राशि में भी इजाफा हुआ और उसे खर्च करने के तरीके में भी कई बदलाव देखे गए। एक तरफ कंपनियों ने सीएसआर में दिल खोलकर दान दिया, लेकिन प्रधानमंत्री राहत कोष में उनका योगदान बहुत ही घट गया। वित्त वर्ष 2014-15 में 120 कंपनियों ने इस कोष में 107.43 करोड़ रुपए दान किए, लेकिन वित्त वर्ष 2015-16 में 79 कंपनियों ने 80.55 करोड़ रुपए की राशि जमा कराई। बीते साल सिर्फ 45 कंपनियों ने इस कोष में दिलचस्पी दिखाई और उनका कुल योगदान मात्र 23 करोड़ का रहा। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2016-17 में कुल सीएसआर व्यय का करीब 25 फीसदी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता और एक तिहाई शिक्षा और कौशल विकास की दिशा में खर्च किया गया।
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