स्वरोजगार का बेहतर विकल्प मुर्गीपालन

By: Apr 11th, 2018 12:10 am

मुर्गीपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो आपकी आय का अतिरिक्त साधन बन सकता है। बहुत कम लागत से शुरू होने वाला यह व्यवसाय लाखों-करोड़ों का मुनाफा दे सकता है। इसमें शैक्षणिक योग्यता और पूंजी से अधिक अनुभव और मेहनत की दरकार ज्यादा होती है…

अगर आपके पास औरों से अलग सोचने की क्षमता है, तो आप मुर्गीपालन से भी करोड़ों का मुनाफा कमा सकते हैं। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे बहुत कम लागत से शुरू करके लाखों-करोड़ों रुपए का लाभ कमा सकते हैं। सुगुना पोल्ट्री के बी सौदार राजन और जीबी सुंदरराजन का उदाहरण सबके सामने है। इन्होंने मुर्गीपालन के बहुत छोटे से व्यवसाय से अपनी शुरुआत की और देखते ही देखते उनका यह व्यवसाय 4200 करोड़ की कंपनी में बदल गया। और तो और इस कंपनी ने 18 हजार किसानों को भी आय का बेहतर अवसर प्रदान किया। भारत में पोल्ट्री की शुरुआत मुख्यतया 1960 से हुई। पिछले तीन दशकों में पोल्ट्री ने उद्योग का रूप ले लिया है। मुर्गीपालन एनिमल हसबैंड्री के तहत ही आता है, जिस का उद्देश्य खाद्यान्नों में मीट और अंडों का प्रबंधन करना है। भारत के लगभग 30 लाख लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और हर वर्ष सकल घरेलू उत्पाद में इसका 33 हजार करोड़ का योगदान है। चीन और अमरीका के बाद विश्व का सबसे ज्यादा अंडा उत्पादक देश भारत है और अमरीका, चीन, ब्राजील और मैक्सिको के बाद विश्व का पांचवां सबसे से ज्यादा चिकन उत्पादक देश है। इस व्यवसाय से भारत में बेरोजगारी भी काफी हद तक कम हुई है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर बैंक से लोन लेकर इस व्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है और कई योजनाओं में तो बैंक से लिए गए लोन पर सरकार सबसिडी भी देती है। कुल मिलाकर इस व्यवसाय के जरिए मेहनत और लगन से सिफर से शिखर तक पहुंचा जा सकता है।

मुर्गीपालन क्या है

मांस और अंडे की उपलब्धता के लिए मुर्गी और बतख को पालने के व्यवसाय को मुर्गीपालन कहा जाता है। खाद्यान्नों की बढ़ती मांग ने इस व्यवसाय को काफी बढावा दिया है।

शैक्षणिक योग्यता

इस व्यवसाय में आने के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं होती। फिर भी एनिमल साइंस और जीव विज्ञान का ज्ञान होना जरूरी है। जो लोग वैटरिनरी साइंस में ग्रेजुएट हैं, वे पोल्ट्री फार्मिंग को व्यवसाय के रूप में भी चुन सकते हैं।

आवश्यक व्यक्तिगत कौशल

* पोल्ट्री का ज्ञान हो, जिसमें मुर्गियों की देखभाल भी शामिल है।

* मुर्गियों के स्वास्थ्य की देखभाल करने का ज्ञान।

* मुर्गियों को बीमारी से कैसे बचाना है, इसकी जानकारी।

* पोल्ट्री व्यवसायी के लिए मेहनती होना जरूरी है।

* पोल्ट्री फार्म के आसपास के इलाके के रखरखाव का ज्ञान हो।

* इस क्षेत्र के व्यवसायी के लिए स्वस्थ होना जरूरी है। उसे अस्थमा और दूसरी सांस संबंधी बीमारी नहीं होनी चाहिए।

विष्ठा से खाद भी

मुर्गी की विष्ठा का खाद के रूप में भी उपयोग किया जाता है, जिससे फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है। 40 मुर्गियों की विष्ठा में उतने ही पोषक तत्त्व होते हैं, जितने कि एक गाय के गोबर में होते हैं।

असीमित आय

पोल्ट्री व्यवसाय में आय की कोई सीमा नहीं है। इस कार्य क्षेत्र में आय आपकी मेहनत पर ही निर्भर करती है। आपके व्यवसाय का प्रसार कितना है आपकी आय भी उसी अनुपात में होगी।  अनुसंधान और शिक्षण के क्षेत्र में प्रतिमाह 40 से 50 हजार रुपए कमाए जा सकते हैं। निजी पोल्ट्री फार्म में अनुभव और योग्यता के आधार पर 20 हजार से 75 हजार प्रतिमाह कमाए जा सकते हैं।

पोल्ट्री से संबद्ध अन्य व्यवसाय

पोल्ट्री सिर्फ  चिकन और अंडों का व्यवसाय नहीं है। अब यह व्यवसाय इतना एडवांस हो गया है कि युवक और युवतियां इस में अपना करियर ब्रायलर, प्रोसेसिंग प्लांट मैनेजर, अनुसंधान, शिक्षा, बिजनेस, कंसल्टेंट, प्रबंधक, विज्ञापक, उत्पाद प्रौद्योगिकीविद, फीडिंग प्रौद्योगिकीविद, क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर, हैचरी मैनेजर, पोल्ट्री वैटरिनेरियन, एग्रीकल्चरल इंजीनियर और जेनेटीसिस्ट के रूप में बना सकते हैं।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

* एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पालमपुर,  हि.प्र.

* हिम हैचरी कुक्कुट प्रजनन केंद्र, सुंदरनगर, मंडी (हिमाचल प्रदेश)

* सुंदरसेन स्कूल ऑफ  वैटरिनरी साइंसेज, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

* इंडियन वैटरिनरी रिसर्च इंस्टीच्यूट बरेली, उत्तर प्रदेश

* डा. बीआर राव इंस्टीच्यूट ऑफ  पोल्ट्री मैनेजमेंट  एंड टेक्नोलॉजी, पुणे

* बांबे वैटरिनरी कालेज, मुंबई

* पुड्डुचेरी यूनिवर्सिटी, पुड्डुचेरी

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