हिमाचली कदमों की आहट

By: Apr 16th, 2018 12:07 am

हेमांशु मिश्रा

लेखक, महाधिवक्ता हैं

प्रदेश में नई सरकार की स्थापना के बाद कुछ नए आमूल-चूल परिवर्तन प्रशासन और व्यवस्था में देखने को मिले हैं। अंत्योदय की भावना से काम करती हुई सरकार की प्रतिबद्धता ने अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति को सरकार से आस की नई किरण जगाई है। एक अच्छा बजट पेश कर तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों से शाबाशी इसकी बड़ी उपलब्धि है…

लोकतंत्र की खूबसूरती ही है कि जनता जैसा चाहती है वैसी सरकार पाती है। हिमाचल में इस बार जनता ने जहां विकास के पक्ष में मतदान किया, वहीं क्षेत्रवाद और जातिवाद के खिलाफ भी मत दिया। नई सरकार के गठन के बाद हिमाचल में कई रिवायतें-परिपाटियों को बदलने की गंभीर आवश्यकता थी।  सामाजिक सौहार्द के लिए सबसे बड़ी समस्या हिमाचल में क्षेत्रवाद और जातिवाद को लेकर है। नई सरकार के गठन के बाद जिस प्रकार से सारे हिमाचल को एक सूत्र में पिरोने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने टोपियों के रंगों में बंटी सियासत को अलविदा करने के प्रयास किए हैं, उसके परिणाम निश्चित तौर पर आने वाले समय में मिलेंगे। पहाड़ की तरक्की के लिए ऊंच-नीच के भेद खत्म हों, तो वास्तव में हिमाचल शिखर पर पहुंच सकता है। जातिवाद को समाप्त करने के लिए अभी काफी कुछ करना बाकी है, लेकिन सरकार की मंशा और कार्यप्रणाली रचनात्मक है। सरकार सारे समाज को  मिलाकर आगे बढ़ाने का ठोस प्रयास करती दिख रही  है। सरकार को अभी भी इस दिशा में सकारात्मक सोच के साथ कुछ कदम उठाने पड़ेंगे।

प्रदेश में नई सरकार की स्थापना के बाद प्रदेश में कुछ नए आमूलचूल परिवर्तन प्रशासन और व्यवस्था में देखने को मिले हैं। हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए, सच में अंत्योदय की भावना से काम करती हुई सरकार की प्रतिबद्धता ने अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति को सरकार से आस की नई किरण जगाई है। शीतकालीन सत्र में जहां मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी बुजुर्ग महिला के हाथों की लाठी बने, तो बुजुर्गों की पेंशन योग्यता 80 वर्ष से कम करके 70 वर्ष करना सामाजिक सरोकारों से सरकार की नजदीकी ही दर्शाता है। पहले 100 दिन में सरकार कमजोर तबकों के हितों को हल करने की प्रतिज्ञा के लिए काम करती हुई दिखी। हिमाचल में लगभग सभी सरकारें जनता के नजदीक और जनता भी सत्ता के नजदीक लगती है। लगभग सभी पूर्व मुख्यमंत्री जनता के साथ संवाद में अपने-अपने तरीके से एक अलग पहचान बनाते रहे हैं, लेकिन जय राम ठाकुर जी की कार्यप्रणाली में लगभग सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की अच्छाइयां देखने को मिल रही हैं।

मुख्यमंत्री भी अपनी आयु को गुण मानते हुए मेहनत करने से परहेज नहीं कर रहे हैं और क्यों न हो, पहाड़ में पैदा हुए, बढ़े हुए संघर्षों में पले-बढ़े और आज संगठन व जनता के सामंजस्य के कारण हर दिल अजीज बनते जा रहे हैं। शिमला के एक वरिष्ठ पत्रकार की टिप्पणी कि ‘मुख्यमंत्री जी अच्छे नाचते हैं, नाचते रहना, नचाना मत’-उन्हें जनता से तारतम्य सरल स्वाभाविक बनाने की ओर इशारा कर रही थी। सरकार में जिस प्रकार से 100 दिन का लक्ष्य विभिन्न विभागों को दिया था,  वह पूरा करना एक चुनौती भी था और एक अवसर भी था। पहले 100 दिनों में चुनौती को सरकार ने अवसर में बदल कर अपनी कार्यप्रणाली को भी जनता के समक्ष रखा है। कई प्रकार के नवोन्मेषी कार्य जनता की मदद को ध्यान में रखकर किए, जिसे सराहना मिली और जनता की शाबाशी भी मिली है। 100 दिन में राष्ट्रीय उच्च मार्गों और फोरलेन में जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाना सरकार द्वारा प्रदेश की भाग्य रेखाओं को चमकाने के प्रयास हैं।

एक अच्छा बजट पेश कर तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों से शाबाशी इस सरकार की बड़ी उपलब्धि है। हिमाचल प्रदेश में प्रशासन को व्यवस्था और तंत्र-लोकतंत्र की अवधारणा के अनुसार जनता ही चलाती है, यह पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है। वहीं हिमाचल में जहां महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा एक गंभीर विषय बनता जा रहा था, उस दिशा में सरकार द्वारा एक के बाद एक नए कदम उठाना  सराहनीय है। शक्ति बटन अपने आप में महिलाओं में सुरक्षा भाव जगाने और अपराधियों में खौफ पैदा करने का अनुपम प्रयास है। विभिन्न स्तरों पर महिलाओं को कानूनी पहलुओं से अवगत करवाना भी सरकार की एक अच्छी पहल है। हिमाचल प्रदेश के विकास में सरकारी कर्मचारियों और कामगारों की अहम भूमिका रहती है, ऐसे में सरकार द्वारा इस महत्त्वपूर्ण वर्ग की चिंता करना जहां कर्मचारियों का सम्मान है, वहीं प्रदेश में विकास की रफ्तार को बढ़ाने की कूंजी भी है। सोशल मीडिया के इस युग में जब सरकार के ऊपर जनता और मीडिया की ही नहीं, बल्कि जागरूक समाज की नजरें रहती हैं, उन सब में जनता के प्रति प्रतिबद्धता में कोई कमी न रहे, इसलिए सरकार का सजग रहना आवश्यक है।

हिमाचल में नई सरकार ने मुख्यमंत्री कार्यालय से ले कर मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों के आचार-व्यवहार और उनकी कार्यप्रणाली को भी गहन समीक्षा की जांच के लिए जनता के समक्ष प्रस्तुत किया है, यह सरहानीय है। नई सरकार ने नए अधिकारियों पर भरोसा किया और उन अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र में संवेदनशील तरीके से अपराध पर नकेल कसी  और सामाजिक दायित्वों को भी पूरी जिम्मेदारी से निभाया। आज हिमाचल में माफिया के पैर उखड़ते हुए प्रतीत हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने स्वयं मितव्ययिता के कई आगाज ‘प्रथम पुरुष एक वचन’ के सिद्धांत से शुरू किए हैं, जो निश्चित तौर पर धरातल में असर दिखाएंगे। यह सरकार आदर्श, व्यावहारिक और यथार्थ के साथ आगे बढ़ रही है, जनता की नब्ज के अनुसार काम करने से प्रदेश उन्नत होगा और सरकार अपने उद्देश्य की पूर्ति भी करेगी। 100 दिन के बाद अब जो 6 महीने के लक्ष्य निर्धारित करके सरकार ने मापदंड तय किए हैं, आशा है कि वे जन आकांक्षाओं को अवश्य पूरा करेंगे।

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