हिमाचल कब बना रहा है हरियाणा जैसी खेल नीति

By: Apr 27th, 2018 12:05 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

हरियाणा में खेलों के लिए काफी कुछ हुआ। वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने पदक विजेताओं के लिए करोड़ों तक नकद इनाम तथा सरकारी नौकरियों में उच्च पद देकर हरियाणा के किशोरों व युवाओं को खेल मैदान जाने के लिए प्रेरित किया। उन्हें पुलिस में डीएसपी स्तर के पद आफर किए हैं…

भारत में खेल राज्य सूची का विषय है, मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व कर पदक जीतता है तो उस समय सब देशों के झंडों में से केवल प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर आने वाले देशों के राष्ट्रीय झंडे प्रथम स्थान से क्रमवार सबसे ऊपर उठते हैं और स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी के देश की राष्ट्रीय धुन आदर सहित सारा संसार सुनता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी देश की तरक्की का पैमाना खेल में जीते गए पदकों की संख्या से भी मापा जाता है। ओलंपिक में वही देश पदक  तालिका में सबसे ऊपर स्थान पाते हैं, जो आज पूर्ण रूप से विकसित हैं। पिछले कई ओलंपिक खेलों की पदक संख्या का अध्ययन करने के बाद साफ पता चलता है कि अमरीका व सोवियत संघ सहित संसार के अधिकतर विकसित देश पदक तालिका में शीर्ष पर अपना आधिपत्य स्थापित किए हुए हैं। खेल विज्ञान व प्रौद्योगिकी की तरक्की के साथ-साथ उस देश की सेहत व खुशहाली का भी दर्पण होते हैं। उपरोक्त मामलों में अमरीका आज सबसे ऊपर है तो वह खेलों में भी ओलंपिक पदक तालिका में सबसे ऊपर ही रहता है। चीन ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी में पिछले कुछ दशकों में बहुत तरक्की की है तो वह भी ओलंपिक पदक तालिका में पहले पांच स्थानों तक अपनी जगह बना रहा है। भारत में हरियाणा ने पिछले कुछ वर्षों में हर क्षेत्र में बहुत प्रगति की है।

यही कारण है कि आज खेलों में भी हरियाणा सबसे आगे नजर आता है। हाल ही में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारत द्वारा जीते गए कुल पदकों के लगभग आधे पदक हरियाणा के खिलाडि़यों द्वारा ही जीते गए हैं। एक समय पंजाब खेलों में देश का सबसे अग्रणी राज्य हुआ करता था। खिलाडि़यों के लिए पंजाब में बहुत सम्मान मिलता रहा है, मगर कुछ दशकों से यहां पर राज्य सरकार का खेलों से सौतेला व्यवहार पंजाब के युवाओं को खेलों से दूर करता चला गया। उधर हरियाणा में खेलों के लिए काफी कुछ हुआ। वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने पदक विजेताओं के लिए करोड़ों तक नकद इनाम तथा सरकारी नौकरियों में उच्च पद देकर हरियाणा के किशोरों व युवाओं को खेल मैदान जाने के लिए प्रेरित किया। उन्हें पुलिस में डीएसपी स्तर के पद आफर किए गए हैं। यही कारण रहा कि आज हरियाणा के खिलाड़ी अपना सब कुछ दाव पर लगाकर लगातार कई वर्षों तक कठिन परिश्रम कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं।

ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को छह करोड़, रजत पदक पर चार करोड़, कांस्य पदक विजेता को अढ़ाई करोड़ तथा मात्र देश का ओलंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व करने पर भी खिलाड़ी को 15 लाख रुपए का नकद इनाम हरियाणा सरकार द्वारा दिया जाता है। एशियाई खेलों में स्वर्ण पर तीन करोड़, रजत पर डेढ़ करोड़ तथा कांस्य पदक विजेता को 75 लाख नकद इनाम दिया जाता है। एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने पर भी साढ़े सात लाख का इनाम हरियाणा सरकार ने रखा है। राष्ट्रमंडल खेलों में यह राशि स्वर्ण पदक पर डेढ़ करोड़, रजत पर 75 लाख तथा कांस्य पर 50 लाख रुपए है। देश का प्रतिनिधित्व करने पर भी साढ़े सात लाख रुपए का इनाम मिलता है। राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले को हरियाणा पांच लाख, रजत को तीन लाख तथा कांस्य पदक वाले को दो लाख रुपए का नकद इनाम देता है। इसी तरह सालाना राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने पर तीन लाख, रजत पर दो लाख तथा कांस्य पदक विजेता को एक लाख रुपए का नकद इनाम दिया जाता है। अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय, कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता व राष्ट्रीय महिला खेलों के स्वर्ण पदक विजेता को 50 हजार, रजत वाले को 30 हजार तथा कांस्य पदक विजेता को 20 हजार का नकद इनाम हरियाणा सरकार द्वारा दिया जाता है। सरकारी नौकरियों में आकर्षक पद खेल आरक्षण में रखे गए हैं। ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता को हरियाणा ने सिविल सेना के समक्ष नौकरी देने का प्रावधान कर रखा है। इसी तरह एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं को भी राजपत्रित ग्रेड प्रथम स्तर की नौकरी हरियाणा सरकार दे रही है तथा अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए खेल के क्षेत्र में करियर तलाशने के लिए प्रेरित कर रही है।

हिमाचल प्रदेश में भी तत्कालीन धूमल सरकार ने राज्य में नई खेल नीति लागू की है, जिसके अंतर्गत खिलाडि़यों के लिए सरकारी नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर की आधुनिक प्ले फील्ड भी अधिकतर जिलों में विभिन्न खेलों के लिए बनाई गई है, मगर खिलाडि़यों व प्रशिक्षकों के नकद इनाम में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो पाई है। प्रदेश के खेल मंत्री ने घोषणा की है कि राज्य में हरियाणा की तर्ज पर नई खेल नीति का गठन किया जाएगा। हिमाचल के कई खिलाड़ी ओलंपिक तक पदक विजेता हैं। अगर राज्य हरियाणा की तरह नकद इनाम देता है तो प्रदेश के अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य खेल क्षेत्र में तलाशने को जरूर प्रेरित होंगे। आज हिमाचल में खेल प्रशिक्षण के लिए आधुनिक सुविधा है। जलवायु तो कुदरत ने पहले ही यूरोप से भी बेहतर दी है। ऐसे में हिमाचल की नई खेल नीति राज्य को खेल पर्यटन में भी काफी आगे ले जा सकती है। देखते हैं हिमाचल सरकार कब तक राज्य में हरियाणा जैसी खेल नीति लाकर प्रदेश के युवाओं का खेलों में भविष्य संवारती है।

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