अजमेर चंद ने अपने नाम से अजमेरपुर का किला बनवाया

By: May 16th, 2018 12:05 am

‘बिलासपुर की कहानी’ पुस्तक के अनुसार अजमेर चंद ने सिरमौर तक चढ़ाई कर यमुना के किनारे अपने नाम से अजमेरपुर का किला बनवाया था। इसी पुस्तक के लेखक ने अपनी उर्दू की पुस्तक ‘तुआरिख व जुगराफिया रियासत बिलासपुर कहलूर’ में अजमेरगढ़ लिखा है…

स्वर्गीय राजा दीप चंद की दो विधवा रानियां थीं। एक मंडी से थी, जिसका नाम जलाल देवी था। वह राजा भीम चंद की मां थी। दूसरी कुल्लू से थी। उसका नाम कुनकम देवी था। उसके एक पुत्री थी। किसी अधिकारी ने किसी स्वार्थ से यह झूठी बात फैला दी कि मंडयाली रानी कुल्लवी रानी की कुमारी का विवाह अपने भाई राजा मंडी से करवाना चाहती है और राजा ने इसकी अनुमति दे दी है। कुल्लवी रानी यह नहीं चाहती थी और न ही उसे इस बात का पता था कि यह बात मनगढ़ंत है। उसने अपने महल में आग लगा दी और वह तथा उसकी पुत्री उसमें जलकर मर गई। राजा भीम चंद और उसकी मां रानी मंडयाली को इससे बड़ा दुःख हुआ। राजा ने उस अधिकारी को प्राण दंड दिया और रानी तथा उसकी पुत्री के नाम से एक मंदिर बनवाया। बार-बार की लड़ाइयों से तथा इस आग की दुर्घटना से राजा का मन दुःखी हो उठा। बढ़ती हुई उम्र में उसने बाकी का जीवन संन्यासी बनकर बिताने का निश्चय किया और ऐसी भावन से उसने 1692 ई. में अपने पुत्र अजमेर चंद के लिए गद्दी छोड़ दी, लेकिन मुत्युपर्यंत वह राजा कहलाता रहा। सन् 1712 ई. में भीम चंद की मृत्यु हो गई।

राजा अजमेर चंद (1712-41 ई.) : इसके भी गुरु गोबिंद सिंह के साथ कटु संबंध रहे। संभवतः इसका कारण गुरुजी द्वारा उसके विवाह के समय में बंगाणी में किया रक्तपात और उनकी बढ़ती शक्ति से राज्य के लिए खतरा था। कई बार तो झड़पों तक स्थिति पहुंच गई। ‘बिलासपुर की कहानी’ पुस्तक के अनुसार अजमेर चंद ने सिरमौर तक चढ़ाई कर यमुना के किनारे अपने नाम से अजमेरपुर का किला बनवाया था। इसी पुस्तक के लेखक ने अपनी उर्दू की पुस्तक ‘तुआरिख व जुगराफिया रियासत बिलासपुर कहलूर’ में अजमेरगढ़ लिखा है, परंतु डा. हटचिंसन ने अपनी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ दी पंजाब हिल स्टेट्स’ में अजमेरगढ़ किले को हिंदू राज्य की सीमा के पास बनाया लिखा है। उसने आगे लिखा है कि राजा अजमेर चंद का विवाह गढ़वाल, सिरमौर और ठाकुराइयों की राजकुमारियों से हुआ था। बिलासपुर की कहानी में एक और उल्लेख है कि सिरमौर के राजा के सरहिंद के सूबेदार के पास अजमेर चंद के अतिक्रमण की शिकायत की, तब सूबेदार ने बिलासपुर पर चढ़ाई कर दी, लेकिन राज्य के सैनिकों ने पहाड़ी पर से सूबेदार की फौज पर इतने पत्थर बरसाए कि लाचार होकर वे भाग गए। 1741 ई. में वह तीर्थ यात्रा के लिए काशी चला गया और वहीं उसकी मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के उपरांत ज्येष्ठ पुत्र देवी चंद गद्दी पर बैठा। राजा देवी चंद (1741-78 ई.) : जब देवी चंद गद्दी पर बैठा, तो हिंदूर राज्य में एक विद्रोह उठ खड़ा हुआ। उस विद्रोह में वहां पर राजा मानचंद, उनकी रानी और उनका पुत्र भी मारे गए।                           — क्रमशः

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