अध्यात्म के रहस्य खोलती किताब

By: May 6th, 2018 12:05 am

पुस्तक समीक्षा

1पुस्तक का नाम : मेरी जीवन यात्रा : रुहानी सफर तक

1लेखक का नाम : डा. आरके गुप्ता

1मूल्य : 170 रुपए

1प्रकाशक : पार्वती प्रकाशन, इंदौर

वरिष्ठ लेखक, स्तंभकार, कवि और मनोरोग एवं आयर्वेदिक चिकित्सक डा. आरके गुप्ता फिर नई किताब लेकर आए हैं। मूलतः बिलासपुर के रहने वाले डा. गुप्ता इस बार ‘मेरी जीवन यात्रा :  रुहानी सफर तक’ नाम से नई किताब लेकर आए हैं। वास्तव में यह किताब उनके जीवन का सार है। मूलतः यह आत्मकथा है। इसमें तीन खंड दिए गए हैं जिन्हें कुल 112 पृष्ठों में समेटा गया है। पहले खंड में लेखक ने अपनी जीवन गाथा सुनाई है जिसने कई करवटें लीं।

लेखक का जीवन संघर्ष में बीता, यह बात इसमें बताई गई है। पाठक उनके जीवन से निश्चित रूप से कुछ न कुछ ग्रहण जरूर करेगा जो उसे संघर्ष की प्रेरणा देगा। दूसरे खंड में लेखक ने अपनी राजनीतिक व आध्यात्मिक यात्रा का इतिहास रोचक ढंग से पेश किया है। इसमें राजनीतिक यात्रा का विवरण देते हुए बताया गया है कि कैसे लेखक जनता पार्टी से जुड़ा, परंतु अंत में राजनीति से उनका मोहभंग हो गया और उन्होंने हमेशा-हमेशा के लिए राजनीति से संन्यास ले लिया। इसके बाद लेखक जब अध्यात्म की ओर मुड़े तो इसमें कई पड़ाव आए। शुरू में वह अध्यात्म का सार समझ नहीं पाए, किंतु अंततः उन्हें एक गुरु मिल ही गया जो अपनी सादगी के लिए जाना जाता था तथा सच्चे अर्थों में संत था। लेखक ने सुझाव दिया है कि अध्यात्म पर चलने वाले लोगों को अपने गुरु के चयन में सजगता बरतनी चाहिए। अगर गुरु का चयन सही ढंग से नहीं हो पाता है, तो अध्यात्म की खोज अधूरी रह जाती है। लेखक का सुझाव है कि गुरु का चयन करते समय लोगों को यह ख्याल रखना चाहिए कि जिस गुरु का चयन वे करने जा रहे हैं, वह वास्तव में कितना संत है अथवा कहीं ढोंग ही नहीं रचता। लेखक ने अपने गुरु के चयन में निश्चित रूप से एहतियात बरती, तभी वह अध्यात्म की ऊंचाई तक पहुंच पाए और गुरु कृपा से उनके संकट दूर होते रहे। लेखक ने अपनी बेटी के पति की दर्दनाक हादसे में मौत की कहानी भी बताई है। इसमें सुखद बात यह है कि दामाद की मौत के बाद उसके पिता ने ही बहू का पुनर्विवाह करवा दिया, जिसमें ढकोसले वाले व थोथे रीति-रिवाजों को तिलांजलि दी गई। तीसरे खंड में आत्म-चिंतन किया गया है, जिसमें 24 संक्षिप्त आलेख दिए गए हैं। पहला आलेख जीवन जीने का सार सूत्र बताता है, तो दूसरे आलेख में यह बताया गया है कि स्वयं को जानना क्यों जरूरी है तथा स्वयं को कैसे जाना जा सकता है। अगले लेखों में जीने की किस राह चलें, मन को कैसे काबू करें, मौन साधना में, कर्म योगी बनो, वास्तव में ईश्वर है, आस्था की जादुई डोरी, ध्यान साधना कैसे, सफल जीवन का रहस्य, सत्य की राह की ओर तथा प्रसन्न भाव से कैसे जीएं जैसे आलेखों को शामिल किया गया है। इसके अलावा अनंत की यात्रा कैसे, जीने का सार सूत्र, वाणी शक्ति का कमाल, काल चक्र, कर्मशील कैसे बनें, वर्तमान में कैसे जीएं, यम-नियम द्वारा योग साधना, आशीर्वाद कैसे तथा मुक्तदेह की ओर समर्पण जैसे विषयों पर भी चिंतन किया गया है। आध्यात्मिक चर्चा यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि ईश्वर और ध्यान ऊर्जा, ध्यान ऊर्जा से पर्यावरण रक्षा, ध्यान द्वारा नशे का नाश और जीवन का वास्तविक उद्देश्य जैसे विषयों पर भी चिंतन हुआ है। कुल मिलाकर इस किताब में आध्यात्मिक पुट देखा जा सकता है। साथ ही लेखक की जीवनी देते हुए उनकी संघर्षशीलता को उकेरा गया है। किताब रोचक ढंग से लिखी गई है तथा भाषा बहुत ही सरल है। अध्यात्म में रुचि रखने वाले लोगों को निश्चित रूप से यह किताब पसंद आएगी। साथ ही संघर्षपूर्ण जीवन से सीख लेने के अभिलाषी लोगों को भी काफी कुछ सीखने को मिलेगा।

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