अश्वगंधा, तुलसी से किसान होंगे मालामाल

By: May 12th, 2018 12:20 am

जड़ी-बूटियों की खेती के लिए नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड प्रदेश की करेगा मदद

 पालमपुर— नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड प्रदेश के किसानों की आर्थिकी सुधारने की कवायद में प्रदेश आयुर्वेद विभाग की मदद कर जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देकर नया इतिहास रचने की तैयारी में है। हिमाचल में अश्वगंधा, तुलसी व सर्पगंधा की खेती के लिए आयुष मिशन के तहत नई योजना को अंजाम दिया गया है। सरकार द्वारा निर्धारित प्रति एकड़ लागत पर किसान को तुलसी व अश्वगंधा की खेती पर 30 प्रतिशत तथा सर्पगंधा की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। सुलाह व  पालमपुर में लगभग 700 कनाल भूमि पर इन औषधीय फसलों को उगाने का तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयुर्वेदिक विभाग द्वारा 26 मई को भेडू महादेव में औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान मेले का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं पालमपुर आर्गेनिक सोसायटी के साथ शुक्रवार को प्रदेश के आला अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई। सुगमता केंद्र नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के रीजनल डायरेक्टर डा. अरुण चंदन ने बताया कि नादौन व रोहड़ू के इलाके में भी जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा दिया गया है। इस मौके पर सुनील पठानिया, मदन  पंवर, भुवनेश, सिकंदर, रमेश,  हेमराज, रजनीश, डा. सुनीत, प्यार चंद, विजय आदि मौजूद रहे।

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर एमओयू

पालमपुर — राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान ने एसेस इंडिया इंपेक्स सेंटर के साथ मल्टीग्रेन उच्च प्रोटीनयुक्त पेय और सूप मिश्रणों को बनाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का करार किया गया। यह कंपनी एक वर्ष के भीतर इन उत्पादों को बाजार में उतार देगी तथा इनका उत्पादन हिमाचल में किया जाएगा। यह उत्पाद लोगों की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। कंपनी के साथ व्यावसायिक पुष्प पौधों (1.5 लाख पौधे प्रति वर्ष) के उत्पादन को भी एक करार किया गया। इस अवसर पर एपी गोयल विवि के कुलपति डा. तेज प्रताप ने कहा कि जैविक कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग सहायक सिद्ध हो सकता है। वैज्ञानिक प्रो. अनुपम वर्मा ने प्राचीन भारत की सीखने की कला के शानदार आधार को याद दिलाया। निदेशक डा. संजय कुमार ने संस्थान आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिए शोध एवं विकास योगदान पर प्रकाश डाला। कृषि विवि के कुलपति डा. अशोक सरियाल ने विद्यार्थियों को व्यर्थ संसाधनों का उपयोग कर जैविक खाद तैयार करने के लिए प्रेरित किया।

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