आप श्रद्धा दें, पितर शक्ति देंगे

By: May 12th, 2018 12:05 am

गतांक से आगे…

आवश्यकता है मन को संकीर्ण सीमाओं के बंधनों से मुक्त करने की। ऐसा करने पर पानी में तेल की बूंद की तरह प्रत्येक व्यक्ति की अनुभव-संवेदना का क्षेत्र दूर तक फैल जाता है। सामान्यतः अपने शरीर और मन की दीवारों से टकरा-टकराकर ही व्यष्टि-चेतना की तरंगें लौटती रहती हैं तथा सीमित क्षेत्र में ही हिलोरें लेती रहती हैं। परंतु यदि अनुभूति और संवेदना के स्तरों पर ये दीवारें हटा दी जाएं तो अनंत चेतना-समुद्र से उन लहरों का संपर्क हो जाता है। श्रेष्ठ संस्कारों वाली पितर-आत्माएं शरीर और मन की संकीर्णता रूपी दीवारों से मुक्त होती हैं, इसलिए वे देशकाल की परिधि को लांघते हुए सत्पात्रों को अपनी सूक्ष्म सत्ता के विशाल सामर्थ्य से लाभान्वित करती रहती हैं।

जीवन के अदृश्य रहस्य योगवशिष्ठ में एक बहुत महत्त्वपूर्ण आख्यायिका आती है। यह उपाख्यान जीवन के अदृश्य रहस्यों और मृत्यु के उपरांत जीवन परंपरा पर प्रकाश डालता है। इसलिए समीक्षाकार इसे योगवशिष्ठ की सर्वाधिक उपयोगी आख्यायिका मानते हैं। वर्णन इस प्रकार है : किसी समय आर्यावर्त में पद्म नाम का एक राजा राज्य करता था। लीला नामक उसकी धर्मशीला धर्मपत्नी उसे बहुत प्यार करती थी। जब कभी वह मृत्यु की बात सोचती, वियोग की कल्पना से घबरा उठती। कोई उपाय न देखकर उसने भगवती की उपासना की और यह वर प्राप्त कर लिया कि यदि उसके पति की पहले मृत्यु हो जाए, तो पति की अंतर्चेतना राजमहल से बाहर न जाए। सरस्वती ने यह भी आशीर्वाद दिया कि तुम जब चाहोगी, अपने पति से भेंट भी कर सकोगी।        -क्रमशः

अपना सही जीवनसंगी चुनिए| केवल भारत मैट्रिमोनी पर-  निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App