इस हफ्ते की फिल्म : परमाणु : दि स्टोरी ऑफ पोखरण

By: May 27th, 2018 12:10 am

निर्देशक : अभिषेक शर्मा

कलाकार : जॉन अब्राहम, डायना पेंटी, बोमन, इरानी

रिलीज की तारीख : 25  मई, 2018

दिव्य हिमाचल रेटिंग : ****/5

बिना वर्दी वाले हीरो की कहानी बयां करती है  जॉन अब्राहम की ‘परमाणु : दि स्टोरी ऑफ  पोखरण’  जिसने कैसे अमरीका की नाक के नीचे 1998 में पोखरण में न केवल छह सफल परमाणु परीक्षण करवाए, बल्कि देश को दुनिया भर में न्यूक्लियर एस्टेट का दर्जा देकर भारत को दुनिया के शक्तिशाली देशों में शामिल करवाया। इरादे पक्के हों और हौसले बुलंद हों  तो पत्थर को पिघला कर मोम बनाया जा सकता है। ऐसा ही जज्बा दिखाया है। इस कहानी में जॉन अब्राहम ने। कहानी की शुरुआत 1995 के दौर से होती है। अश्वत रैना (जॉन अब्राहम) अनुसंधान और विश्लेषण विभाग का एक ईमानदार सिविल सेवक है। वह प्रधानमंत्री के कार्यालय में भारत को न्यूक्लियर पावर बनाने की पेशकश करता है। मीटिंग में पहले उसका मजाक उड़ाया जाता है। फिर उसका आइडिया चुरा लिया जाता है। अश्वत की गैरजानकारी में किया गया वह परीक्षण नाकाम हो जाता है। भ्रष्ट व्यवस्था की बलि चढ़ाकर अश्वत रैना को नौकरी से निकाल दिया जाता है।  उसके बाद रैना अपने परिवार के साथ मसूरी जाकर रहने लगता है। तीन साल बाद, सत्ता में बदलाव के बाद अश्वत को नए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव हिमांशु शुक्ला (बोमन इरानी) द्वारा वापस बुलाकर एक सीक्रेट टीम गठित करने के लिए कहा जाता है, जिसके बलबूते वह दोबारा परमाणु परीक्षण कर सके। अश्वत खुद को कृष्णा नाम देकर पांडव नाम की एक गुप्त टीम बनाता है। उसकी इस टीम में कैप्टन अंबालिका उर्फ  नकुल (डायना पेंटी) के अलावा विकास कुमार, योगेंद्र टिंकू, दर्शन पांडेय, अभी राय सिंह, अजय शंकर जैसे सदस्यों को छद्म नाम देकर परमाणु परीक्षण की अलग-अलग अहम जिम्मेदारी दी जाती है। अपनी काबिल वैज्ञानिकों और आर्मी जवानों की इस टीम के साथ अश्वत निकल पड़ता है, भारत का गौरव बढ़ाने के लिए, लेकिन कामयाबी के रास्ते में बाधाएं न आएं यह कभी हो नहीं सकता । इस  कामयाबी के रास्ते में रोड़ा बनते हैं।  अमरीकी सेटेलाइट्स, पाकिस्तानी व अमरीकी जासूस और मौसम तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए यह टीम परमाणु परीक्षण को कैसे गजब ढंग से अंजाम देती है, इसे देखने के लिए आपको सिनेमा हाल जाना होगा। फिल्म सत्य घटना पर आधारित है और अभिषेक शर्मा ने परमाणु परीक्षण जैसी गौरवशाली घटना को दर्शाते हुए निर्देशक के रूप में अपनी जिम्मेदारी का वहन किया है। जहां तक संभव हो सके उन्होंने किरदारों से लेकर लोकेशन तक हर चीज को रियल रखने की कोशिश की है। देशभक्ति से ओतप्रोत कहानी बहुत जबरदस्त है। अभिषेक शर्मा को श्रेय दिया जाना चाहिए। परमाणु परीक्षण के दौरान सुरक्षा प्रक्रिया की बारीकियों को नजरअंदाज किया गया है और हिम्मत और कामयबी की जीत देखने के लिए आपको थियेटर जाकर पूरी फिल्म देखनी होगी।

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