इस हफ्ते की फिल्म : 102 नॉट आउट

By: May 6th, 2018 12:10 am

निर्देशक : उमेश शुक्ला,

निर्माता : भूषण कुमार, कृष्ण कुमार

प्रस्तुतकर्ता : गुलशन कुमार 

लेखक : सौम्य जोशी

अभिनेता : अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर

संगीतकार : सलीम-सुलेमान

दिव्य हिमाचल रेटिंग : *** /५

क्या  कभी सोचा था कि कभी ऐसी फिल्म बनेगी, जिसमें न हीरोइन हो न नाच- गाना और 60 की उम्र तो दो जाने माने कलाकर साथ दिखे। जी हां हम बात कर रहे हैं अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की ।  पिछले 10 वर्षों में दर्शक बदला और यह बदलाव सिनेमा पर भी प्रतिबिंबित हुआ। हाल ही में रिलीज हुईं हिचकी, अक्तूबर, बियॉन्ड द क्लाउड्स जैसी कई फिल्में हैं , लेकिन निर्देशक उमेश शुक्ला की ‘102 नॉट आउट’ उसी शृंखला की फिल्म है। सौम्य जोशी के लिखे गुजराती लोकप्रिय नाटक पर आधारित यह फिल्म बुजुर्गों के एकाकीपन की त्रासदी को दर्शाती है। 75 साल का बाबूलाल वखारिया (ऋषि कपूर) घड़ी की सूइयों के हिसाब से चलने वाला सनकी बूढ़ा है।  उसकी जिदंगी में खुशी के पल हैं डाक्टर  और  उसका परिवार। हालांकि, अपने बेटे और उसके परिवार से वह पिछले 17 वर्षों से नहीं मिला है। बेटा हर साल मिलने का वादा करके ऐन वक्त में उसे गच्चा दे जाता है।

 दूसरी ओर बाबूलाल का 102 वर्षीय पिता दत्तात्रेय वखारिया (अमिताभ बच्चन) उसके विपरीत जिंदगी से भरपूर ऐसा वृद्ध है जिसे आप 102 साल का जवान भी कह सकते हैं। एक दिन अचानक दत्तात्रेय अपने झक्की बेटे बाबूलाल के सामने  कुछ शर्तें रखता है और कहता है कि अगर तूने ये शर्तें नहीं मानी तो तुमको वृद्धाश्रम भेज देगा।  दत्तात्रेय का उद्देश्य यह शर्तें न मानकर बाबूलाल को वृद्धाश्रम भेजना नहीं था बस वह अपने बेटे की जीवनशैली और सोच को बदलना चाहता है। अब 102 साल की उम्र में वह अपने 75 वर्षीय बेटे को क्यों बदलना चाहता है, इसके पीछे एक बहुत बड़ा राज है। इस राज का पता लगाने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। तभी आप इस राज को जान पाओगे।

डा. उमेश शुक्ला  ने इस फिल्म में विदेश में रहने वाले बच्चों को बहुत अच्छा मैसेज दिया कि है कि बच्चों की तड़प माता-पिता को क्या बना देती है और बच्चे उस बात को नहीं समझते।  विदेश में रहने वाले बच्चे जब इस फिल्म को देखेंगे जो जज्बाती करने के साथ-साथ एक ऐसी जीत का एहसास करवाती है यह फिल्म मानों उस भावनात्मक लड़ाई में अगर किरदार शिकार हो जाता तो आप बहुत कुछ हार जाते।

अभिनय की बात करें तो एक बात साफ  हो जाती है कि बिग बी को सदी का महानायक क्यों कहा जाता है। फिल्म में दत्तात्रेय की भूमिका में वह आपको लुभाते हैं, चौंकाते हैं, अचंभित करते हैं और आप उनकी भूमिका के प्रवाह में उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति के साथ डूबते-उतराते रहते हैं। उन्होंने किरदार की नब्ज को इस सही अंदाज में पकड़ा है कि आप उस किरदार को अपने साथ महसूस करने लगते हैं। वहीं, तकरीबन 27 साल बाद ऋषि कपूर भी बिग बी के साथ पर्दे पर नजर आए हैं और उनके 75 वर्षीय बेटे बाबूलाल को वह बेहद सहजता और संयम से जी गए। बाप-बेटे की यह जोड़ी आपको अपनी रिश्तेदारी या आस-पड़ोस के किसी दादा-चाचा से जोड़ देती है।

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