कुदरत और दलाईलामा ने मशहूर किया मकलोडगंज

By: May 27th, 2018 12:06 am

हरे-भरे पहाड़ और पालमपुर की ओर चाय के बागान व हरियाले मैदान बेहद खूबसूरत हैं। बौद्ध धर्म को करीब से जानने के इच्छुक लोगों के लिए मकलोडगंज सर्वोत्तम जगह है। यहां का सबसे प्रमुख  आकर्षण दलाईलामा का मंदिर भी है…

मकलोडगंज वह जगह है, जहां पर 1959 में बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा अपने हजारों अनुयायियों के साथ तिब्बत से आकर बसे थे। तिब्बत की राजधानी ल्हासा की तर्ज पर इसे मिनी ल्हासा भी कहा जाता है। यहां की सबसे मशहूर जगह दलाईलामा का मंदिर और उससे सटी नामग्याल मोनेस्ट्री है। इसके अलावा मकलोडगंज में पर्वत शृंखला की ऊंची-नीची चोटियां और उनके ऊपर जमकर पिघल चुकी बर्फ  के निशान और चट्टानों पर खड़े चीड़ और देवदार के हरे-भरे पेड़ हर किसी के मन को अपनी ओर खींचते हैं। अपनी इस खूबसूरती की वजह से यहां की वादियों के मनमोहक दृश्य पर्यटकों के जहन में हमेशा के लिए बस जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मशहूर पर्यटक स्थल मकलोडगंज,जहां बारिश की फुहार पड़ती है तो प्रदेश का हर हिस्सा जैसे खिल उठता है और मन अपने आप ही प्रदेश की सैर करने को मचलने लगता है। दिल्ली से करीब 450 किलोमीटर दूर धर्मशाला के दो हिस्से हैं अपर धर्मशाला और लोअर धर्मशाला। निचला हिस्सा धर्मशाला और ऊपरी भाग मकलोडगंज  कहलाता है। हरे-भरे पहाड़ और पालमपुर की ओर चाय के बागान व हरियाले मैदान बेहद खूबसूरत हैं। बौद्ध धर्म को करीब से जानने के इच्छुक लोगों के लिए मकलोडगंज सर्वोत्तम जगह है।

दलाईलामा मंदिर

यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण दलाईलामा का मंदिर है जहां शाक्य मुनि, अवलोकितेश्वर एवं पद्मसंभव की मूर्तियां विराजमान हैं। नामग्याल मोनेस्ट्री भी मशहूर है। यहां भारत और तिब्बत की संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। तिब्बती संस्कृति और सभ्यता को प्रदर्शित करता एक पुस्तकालय भी स्थित है। मार्च से जुलाई के बीच यहां ज्यादा संख्या में सैलानी आते हैं। इन दिनों यहां का मौसम बेहद सुकून भरा होता है।

बोटिंग का मजा

मकलोडगंज से थोड़ा नीचे उतरने पर घने पेड़ों से घिरे 1863 में बने सेंट जॉन चर्च की शांति आपको बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है। यहां से नड्डी की तरफ बढ़ने पर रास्ते में पहाड़ों से घिरी डल झील मिलती है। यह एक पिकनिक स्पॉट भी है, जहां आप बोटिंग के मजे ले सकते हैं। यहां से ऊपर की ओर है नड्डी, जहां से आप हिमालय की धौलाधार पर्वत शृंखला को अपलक देखना पसंद करेंगे।

सनसेट का गजब नजारा

यहां के दलाईलामा के मंदिर से सनसेट का नजारा देखना अपने आप में अद्भुत होता है। यह दृश्य देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यहां आने वाले सैलानी तो यहां शाम के समय तक जरूर रुकते हैं। इसके साथ ही अपने फोटो भी खिंचवाते हैं।

प्राचीन भागसूनाग मंदिर

देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के मनोहारी पर्यटक स्थल धर्मशाला के ऊपरी हिस्से मकलोडगंज  से भी करीब दो किलोमीटर ऊपर है प्राचीन मंदिर भागसूनाग ।  मकलोडगंज के आसपास बने मंदिर लोगों को खासे आकर्षित करते हैं। यहां से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर भागसूनाग मंदिर स्थित है। यह भव्य तो नहीं, लेकिन प्रसिद्ध जरूर है। यहां के स्थानीय लोग दिखावे में यकीन नहीं करते, इसलिए इसे ज्यादा चमकाया नहीं गया।

खूबसूरत झरना

मंदिर से कुछ ही दूरी पर भागसूनाग झरना स्थित है। इसका पानी एकदम निर्मल और ठंडक भरा होता है। यहां लोग घंटों पत्थरों पर बैठकर झरने की फुहारों का आनंद लेते हैं। बड़ों से ज्यादा यहां बच्चों का मन लगता है। पहाड़ी रास्तों पर आप बाइकिंग का मजा लेना चाहते हैं, तो आपको यहां किराए पर मोटर साइकिल मिल जाएगी।

इस तरह पहुंचें यहां

दिल्ली से मकलोडगंज की दूरी लगभग 450 किलोमीटर है। रेल गाड़ी से आने वालों को पठानकोट से सड़क मार्ग चुनना पड़ता है। बस और टैक्सी यहां से आसानी से मिल जाती है। सड़क मार्ग से जाने वाले चंडीगढ़ होते हुए सीधे धर्मशाला और वहां से मकलोडगंज पहुंच सकते हैं। हवाई जहाज से जाने के लिए भी नजदीकी हवाई अड्डा गगल ही है। यहां ठहरने की भी कोई समस्या नहीं है।

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