कृषि को बने नीति

By: May 23rd, 2018 12:05 am

बीरबल सिंह डोगरा,  कांगड़ा

हिमाचल प्रदेश कृषकों और मेहनतकाश लोगों का प्रदेश है। किसान प्रदेश व देश का अन्नदाता है। सरकार आधुनिक ढंग से और वैज्ञानिक तौर- तरीके से नए-नए किस्म के उन्नत बीजों से कृषि को बढ़ावा दे रही है। दुर्भाग्यवश हिमाचल का किसान अपनी खेती की बदहाली की बात किस को सुनाए। दिन को बंदर और आवारा पशुओं का आतंक व रात को सूअरों, नील गायों के आतंक से किसानों की फसलों का नुकसान हो रहा है। इस कारण किसान अपनी फसलों की बुआई करना छोड़ चुका है। यही वजह है कि प्रदेश में अब केवल 17 प्रतिशत जमीन पर ही खेती की जा रही है। कभी यह दावा किया जाता था कि प्रदेश में 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। यह भी कहा जाता रहा है कि हिमाचल प्रदेश में 50 प्रतिशत जमीन पर खेती की जाती है। आज सच्चाई यह है कि प्रदेश में केवल 17 प्रतिशत जमीन पर खेती की जाती है। 83 प्रतिशत जमीन में खेती नहीं की जाती। सरकार किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए कोई जमीनी ठोस कदम उठाने की नीति नियम बनाने के प्रति मेहरबान दिखाई नहीं देती है, जिससे किसानोें की फसलों की सुरक्षा हो पाए। किसानों की फसल सुरक्षा के लिए बाड़बंदी कंटीली तारें पहरेदारी के लिए सुरक्षा कृषि गार्डों की तैनाती और किसान फसल बीमा योजना लागू करवाई जाए। इस तरह किसानों की फसलों को बचाकर सरकार उन्हें कृषि से विमुख होने से रोक सकती है। केवल मात्र 17 प्रतिशत जमीन पर कृषि करके न तो किसान का भला होगा और न ही प्रदेश का। सरकार कोई ठोस नीति इस बारे में बनाए।

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