क्या यह कांग्रेस मुक्त भारत की शुरुआत है ?

By: May 11th, 2018 12:10 am

प्रो. एनके सिंह

लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं

इन सब स्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा अब तक गतिविधियों का जो विकासक्रम चला है, उसे देखते हुए लगता है कि यूपीए को इतनी ज्यादा सीटें मिलने वाली नहीं हैं तथा उसे करीब 86 सीटें मिल सकती हैं। भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों को 110 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कुल 224 में से बाकी सीटें जद (एस) को मिलेंगी। कर्नाटक चुनावों का राष्ट्रीय प्रभाव भी पड़ेगा, इसलिए जरूरत इन चुनावों को विस्तृत परिप्रेक्ष्य में देखने की है। दोनों ओर से दाव पर काफी कुछ लगा हुआ है। जनता की नजरें अब परिणाम पर रहेंगी…

व्यक्तिगत रूप से मैं नकारात्मक अभियान को पसंद नहीं करता हूं, किंतु राजनीतिक दलों का मिजाज सख्त हो चला है तथा लोग ऐसे नारों से प्रेरित होते हैं। कर्नाटक में अगर कांग्रेस व जनता दल सेक्युलर में चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं होता है तो वहां कांग्रेस सत्ता से बाहर हो सकती है। गठबंधन की कुछ संभावनाओं के संकेत मिल रहे हैं, परंतु इस आकलन के लिखने तक यह अस्तित्व में नहीं आया था। यहां तक कि अगर अंतिम क्षणों में कुछ प्रयास होते हैं तो भी चुनाव में कांग्रेस व जद (एस) को स्पष्ट बहुमत मिलने वाला नहीं है। इसका कारण यह है कि वे अंतिम चरण तक एक-दसरे के खिलाफ संघर्षरत रहे हैं तथा दोस्ताना टक्कर जैसी स्थिति नहीं है। अब तक इस मामले में एक खाई देखी जा रही है तथा यह अनुमान लगाने का समय नहीं है। गठबंधन को लेकर संदेह हैं, हालांकि कुछ संकेत स्पष्ट हैं। इन दोनों दलों के एक साथ आने की संभावनाएं हैं जरूर, यदि दोनों दल समय पर कुछ करते हैं। अगर वे एक साथ आने में देरी कर जाते हैं तो पानी उनके सिर के ऊपर से गुजर चुका होगा। हम इस चुनाव के परिणाम को लेकर छह एजेंसियों ने जो अनुमान लगाए हैं, उनसे उभरे परिदृश्य की बात करते हैं। इन सभी एजेंसियों ने कांग्रेस को 90 से 126 सीटें दी हैं। मेरे विचार में यह अनुमानित सीटें बहुत ज्यादा हैं क्योंकि इसमें इस बात का ध्यान नहीं रखा गया लगता है कि वहां भाजपा की रैलियों में भारी भीड़ जुट रही है। अगर इस भीड़ को वोट के रूप में बदलने में भाजपा सफल हो गई, तो कांग्रेस की संभावनाएं कम हो जाएंगी।

इसका एक कारण यह भी है कि कांग्रेस को अंत में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी है। यह भी आम विश्वास किया जा रहा है कि इस लड़ाई में चाहे जो कुछ भी कहा गया हो, जनता में यह स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस सबसे बड़े न्यायालय से लड़ रही है। अब सीटों के अनुमान पर भी विचार कर लेते हैं। एक विख्यात एजेंसी ने यूपीए को 128 सीटें दी हैं, जबकि दूसरी सबसे कम 27 सीटें जद (एस) को दी हैं। यह सर्वे एकल पार्टी के बहुमत में आने का पक्ष ले रहा लगता है। दूसरी ओर किसी भी एजेंसी ने यूपीए को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया है। तुलनात्मक रूप से देखें तो अन्य पांच एजेंसियों ने त्रिशंकु विधानसभा आने की बात कही है। ऐसी स्थिति में जद (एस) किंग मेकर की भूमिका में आ सकता है। चुनाव परिणामों को लेकर भविष्यवाणी करने वाले एक अन्य स्रोत को मैं उद्धृत करना चाहूंगा। सट्टेबाजी के इस स्रोत का प्रयोग कई लोग करते हैं तथा कुछ हद तक मैं भी इस पर विश्वास करता हूं। सट्टेबाजी का उल्लेख मैं क्यों कर रहा हूं, इसका कारण यह है कि सट्टेबाजों ने बड़ी मात्रा में पैसे दाव पर लगाए होते हैं और उनका भविष्य कथन अगर गलत सिद्ध हो जाता है तो इससे बड़ी संख्या में लोगों का जीवन प्रभावित होता है तथा सट्टा मार्किट का विशेष स्रोत अपनी ख्याति खो देगा। एक एजेंसी ने जो भविष्य कथन किया है, वह मुझे सामान्य लगता है।

उसने कर्नाटक में नरेंद्र मोदी की चुनाव प्रचार में एंट्री से पहले का अनुमान लगाते हुए 89 से 91 तक सीटें दी हैं। उसके बाद स्थिति में बदलाव आया है। उनके दौरों की संख्या में बढ़ोतरी तथा रोमांचक भाषणों ने संपूर्ण परिदृश्य को बदल दिया है। इसके कारण अन्य दल इस कदर डर गए हैं कि वे एक प्रधानमंत्री द्वारा एक राज्य में इतना लंबा समय बिताने को हास्यास्पद बता रहे हैं। विपक्ष यह जानता है कि जितना समय मोदी कर्नाटक में बिताएंगे, उतनी ही उनकी चुनावी संभावनाएं कम होती जाएंगी। चुनावों का एक पहलू यह भी है कि प्रचार के दौरान ही देशभर में आए तूफान ने कुछ हद तक इसे प्रभावित किया है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा है कि वह एक राज्य में चुनाव जीतने की जुगत में लगे हैं, जबकि देशभर में आए तूफान से मरने वालों की उन्होंने कोई सुध नहीं ली है। इसके अलावा यह भी कोशिशें हुई हैं कि इस चुनाव को विमुद्रीकरण व जीएसटी के कारण लोगों को हुई परेशानियों के प्रति आक्रोश व्यक्त करने का एक जरिया बना दिया जाए। इन दोनों मसलों को लेकर विपक्ष के नेताओं ने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए लोगों को हुई परेशानी के नाम पर उन्हें घेरने का भरपूर प्रयास किया है। एक तरह से इस चुनाव में विमुद्रीकरण व जीएसटी की वैधता जांचने की कोशिश हुई है। इन मसलों पर जनता सरकार के साथ पक्ष में खड़ी रही है तथा कर्नाटक भी इस मामले में अपवाद नहीं है। इसका कारण यह है कि इस राज्य का शैक्षणिक आधार विस्तृत है तथा लोग पढ़े-लिखे हैं। इन चुनावों में मोदी की जो योग्यता लोगों को प्रभावित कर रही है, वह यह है कि वे अपने सभी फैसलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त रहे हैं तथा देश के हितों को उन्होंने दिल से उच्च प्राथमिकता दी है। इनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण यही है तथा एक गरीब परिवार से संबद्ध होने के बावजूद संघर्ष करके उनका उभर कर आगे आना वह कारक है, जो लोगों को लुभाता है। उनके व्यक्तित्व का आकर्षण तब और बढ़ जाता है, जब वे अपने सामर्थ्य का उपयोग गरीबों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के फलीभूत होने में करते हैं। एचडी देवेगौड़ा भावी गठबंधन के लिए संभाव्यता (पोटेंशियल) के रूप में हैं।

इन सब स्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा अब तक गतिविधियों का जो विकासक्रम चला है, उसे देखते हुए लगता है कि यूपीए को इतनी ज्यादा सीटें मिलने वाली नहीं हैं तथा उसे करीब 86 सीटें मिल सकती हैं। भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों को 110 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कुल 224 में से बाकी सीटें जद (एस) को मिलेंगी। कर्नाटक चुनावों का राष्ट्रीय प्रभाव भी पड़ेगा, इसलिए जरूरत इन चुनावों को विस्तृत परिप्रेक्ष्य में देखने की है। दोनों ओर से दाव पर काफी कुछ लगा हुआ है। जनता की नजरें अब चुनाव परिणाम पर रहेंगी तथा हमें अपनी अंगुलियां गिनती के लिए तैयार रखनी चाहिए।

ई-मेल : singhnk7@gmail.com

अपने सपनों के जीवनसंगी को ढूँढिये भारत  मैट्रिमोनी पर – निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App