चार साल की चांदनी!

By: May 28th, 2018 12:05 am

 सुरेश कुमार, योल

नरेंद्र मोदी ने अपनी चार साल की उपलब्धियां गिना दीं और विपक्ष ने महंगाई पर हल्ला बोला। इतना बड़ा देश और सवा करोड़ लोगों को खुश करना आसान नहीं। मोदी ने अपनी तरफ से कोशिश की या यूं कहें कि देश के साथ नए प्रयोग किए चाहे वह नोटबंदी हो या जीएसटी। मकसद भ्रष्टाचार को खत्म करना था। पर यह इंडिया है यहां सब कुछ खत्म हो सकता है, पर भ्रष्टाचार नहीं। पिछली सरकार के कार्यालय में कालाधन बाहर गया, तो नरेंद्र मोदी की सरकार में बैंकों से सफेद धन  ही बाहर चला गया। माल्या को वापस लाते-लाते, नीरव मोदी को भी भगा बैठे। मोदी की उपलब्धियां जरूर हो सकती हैं, पर उन्होंने सारा जोर देश को कांग्रेस मुक्त बनाने में ही लगा दिया। काश यही जोर देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में लगाया होता, तो देश की तस्वीर शायद कुछ और होती। नरेंद्र मोदी विदेशों में देश की साख बनाने में लगे रहे और यहां अपने देश के लोग सरहद पर (जम्मू-सेक्टर) बंकरों में रहने को मजबूर हैं। कुछ दिन पहले ही सीमा पर पाकिस्तानी गोलाबारी से पांच लोगों की मौत हो गई। उपलब्धियां यह नहीं कि पांच प्रदेशों से भाजपा 22 प्रदेशों तक पहुंच गई। उपलब्धि यह होती कि किसान खुशहाल है आत्महत्या नहीं कर रहा। उपलब्धि यह होती कि हर आठ मिनट में देश में एक बलात्कार न होता, हर दो मिनट में एक हत्या न होती। सत्ताधारी तो अपनी उपलब्धियां ही गिनाएगा, पर जमीनी सच तो जनता बताती है। जनता को कांग्रेस मुक्त या भाजपा मुक्त भारत नहीं चाहिए, जनता को ऐसा भारत चाहिए जिसमें कोई भूखे पेट न सोए, महिलाएं सुरक्षित हों और देश का अन्नदाता आत्महत्या न करे। पर ऐसा कब होगा कोई नहीं जानता। मेरा अपना अनुभव तो यही है कि यह तब होगा, जब भारत से लोकतंत्र खत्म होगा, क्योंकि इन नेताओं ने असली लोकतंत्र को तोड़-मरोड़ करके अपने स्वार्थ के लिए नया लोकतंत्र बना लिया। चुनाव होते है, तो बहुमत लेने के लिए नेता बिकते हैं, खरीदे जाते हैं। पार्टियां डर के मारे चूजों की तरह नेताओं को बस में भर कर कहीं भेज देती हैं। पार्टियों को ही अपने नेताओं पर विश्वास नहीं, तो जनता क्या विश्वास करेगी।

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