जल पुरुष : राजेंद्र सिंह

By: May 23rd, 2018 12:08 am

राजेंद्र सिंह का जन्म 6 अगस्त, 1959 को उत्तर प्रदेश के बागपत (मेरठ के समीप) जिला के धौला नामक स्थान पर हुआ। राजेंद्र सिंह की जिंदगी में टर्निंग प्वाईंट तब आया जब वह हाई स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उन दिनों गांधी पीस फाउंडेशन के सदस्य रमेश शर्मा, मेरठ में उनके घर आए। रमेश शर्मा के सुधार कार्यों ने उनकी आंखें खोल दीं, जब उन्होंने उनके गांव में स्वच्छता अभियान चलाया और एक लाइब्रेरी की स्थापना करने के साथ-साथ कई समस्याओं का निपटारा भी किया। उन्होंने राजेंद्र सिंह को अपने नशा निवारण अभियान में भी शामिल किया। अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने ‘भारतीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक महाविद्यालय बड़ौत, जिला बागपत से अपनी पढ़ाई पूरी की। यह महाविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना 23 सितंबर, 1887 को हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय उस समय के प्रमुख चार विश्वविद्यालयों में से एक था। उस समय कलकत्ता, बंबई और मद्रास प्रमुख विश्वविद्यालय काफी प्रसिद्ध थे। सेंट्रल कालेज ऑफ  इलाहाबाद को बाद में डिवेलप कर के इलाहाबाद यूनिवर्सिटी बनाया गया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सन् 1980 में सरकारी नौकरी की शुरुआत जयपुर में नेशनल सर्विस वालंटियर के रूप में की। वहां उन्होंने राजस्थान के दौसा जिला में स्कूलों में अडल्ट एजुकेशन की जिम्मेदारी संभाली। इसी दौरान राजेंद्र सिंह ने तरुण भारत संघ को ज्वाइन कर लिया।  तरुण भारत संघ ने पिछले 25 वर्षों में देशभर में दस हजार से ज्यादा जोहड़-तालाब बनवाए हैं। इस संगठन के कार्यकर्ताओं ने समुदायों को सचेत करके जल की समझ बढ़ाकर और उन्हें जल सहेजने वाले कार्यों से जोड़कर सात नदियों को पुनर्जीवित किया है। तरुण भारत संघ  ने राजस्थान के हजारों गांव, जो बेपानी होकर उजड़ गए थे, उनका पुनर्वास किया है। उनकी लाचारी-बेकारी व बीमारी मिटाने का काम किया है। तरुण भारत संघ  नदियों का अतिक्रमण हटाने हेतु सरकारों से नदियों की भूमि का सीमांकन करवाने में जुटा है। इस संगठन ने अभी तक 144 नदियों की चेतना यात्राएं आयोजित की हैं। इस संगठन का दूसरा नाम नदियों को पुनर्जीवित करने वाला संगठन भी है। यह भारत में नदी को पुनर्जीवित बनाने वाला संगठन माना जाता है।  तरुण भारत संघ  ने जिन सात नदियों ‘अरवरी, सरसा, भगाणी, जहाजवाली, साबी, रूपारेल और महेश्वरा’ को पुनर्जीवित करने वाला काम किया है, ये सातों नदियां गंगा बेसिन की नदियां हैं। तरुण भारत संघ अब चाहता है कि पूरी गंगा में ही जल प्रवाह बढ़े तथा गंगा अविरल और निर्मल बने।  तरुण भारत संघ  के अध्यक्ष श्री राजेंद्र सिंह ने गोमुख, भोजावास व गंगोत्री में कचरा प्रबंधन तथा प्रदूषण जांच की सामुदायिक व्यवस्था बनाई है। 6 जून, 2010 को राजेंद्र सिंह ने गंगोत्री पहुंचकर वहां के संतों से संपर्क साधकर उन सभी को उनकी गुफाओं और आश्रमों में जैविक, अजैविक पिट बनवाने हेतु प्रेरित किया। सभी ने सृजनात्मक जवाब दिया। मौनी आश्रम, कृष्णाश्रम ने पहल करके और सब संतों से मिलकर दूसरों को भी तैयार किया। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए 2011 का रेमन मैगसेसे पुरस्कार दिया गया था।

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