तूड़ी की आग से खेत बंजर 

By: May 21st, 2018 12:05 am

ऊना —खेतों में गेहूं की कटाई के बाद सफाई करने के उद्देश्य से कुछेक किसान खेतों को आग के हवाले करके पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान इस बात से अनजान है कि इस आग से उनके खेत को भी नुकसान पहुंच रहा है और उनकी भूमि धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है। वहीं पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ऊना इस बारे में चुप्पी साधे हुए है और आग के बाद हुए नुकसान की शिकायत आने का इंतजार कर रहा है। आग लगाने से जो वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है इसकी प्रदूषण विभाग को कोई चिंता नहीं है। जंगलों में आग की घटनाएं होना अलग विषय है, लेकिन जो लोग जानबूझकर आग लगाते हैं उनके खिलाफ भी विभाग  कोई एक्शन लेने के मोड में नहीं है। ऊना जिला में ही कुछ दिनों में दर्जन भर ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें खेतों की आग ने साथ लगते  रिहायशी मकानों, गोशालाओं व पशुशालाओं को नुकसान पहुंचाया है। बतातें चलें कि जो किसान गेहूं की कटाई कंपैन से करवाते हैं। उस खेत में रीपर से तूड़ी बनाने के बाद भी अच्छे से सफाई नहीं हो पाती है और गेहूं के पौधे आधे खेत में ही खड़े रहते हैं, जिसे नष्ट करने के लिए किसान खेतों को आग के हवाले कर रहे हैं। आग लगाने से खेतों में कई जीव-जंतु भी मर जाते हैं। इन जीव-जंतुओं में कुछेक किसान के मित्र भी होते है, जो कि भूमि को उपजाऊ बनाने में किसान की सहायता करते हैं। बुद्धिजीवी किसान वर्ग खेतों में आग लगाने को गलत ठहराता है। खेतों में आग लगने के बाद जो राख बचती है, उसमें कार्बन ज्यादा होता है जो कि जमीन को बंजर बनाता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आग लगाने की बजाए यदि गेहूं के बचे पौधों को ट्रैक्टर से खेत में ही नष्ट कर दिया जाए तो इससे अच्छी खाद बनेगी। इससे खेत का उपजाऊपन भी बढ़ेगा।

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