न टाइम की लिमिट न सैलरी की

By: May 30th, 2018 12:07 am

कुशाल शर्मा ट्रेनर फ्रेंकफिन संस्थान

हास्पिटेलिटी में  करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने कुशाल शर्मा से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

हास्पिटेलिटी यानी मेहमानवाजी एक ऐसा काम जिसमें किसी इनसान के लिए आदर-सत्कार के अलावा उसकी पसंद-नापसंद सहित उसकी आवभगत छिपी होती है। यूं कहें हास्पिटेलिटी अतिथि देवो भवः को चरितार्थ करता है, तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आज के युग में हास्पिटेलिटी के क्षेत्र में रोजगार की आपार संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं को तराशने और तलाशने के लिए दिव्य हिमाचल ने बात की ऐसी शख्सियत से, जिन्होंने न केवल आईएचएम जैसे संस्थानों में बतौर फैकल्टी मेंबर सेवाएं दी हैं, बल्कि देश के नामी थ्री स्टार से लेकर फाइव स्टार होटलों ओबरॉय, रेडिसन, काल्सन और सेसन में भी सेवाएं दे चुके हैं। ये हैं हमीरपुर से ताल्लुक रखने वले कुशाल शर्मा। कुशाल एक बेहतरीन ट्रेनर भी हैं और मौजूदा समय में एयरहोस्टेस तैयार करने वाले संस्थान फ्रेंकफिन में बतौर ट्रेनर सेवाएं दे रहे हैं। हास्पिटेलिटी (आतिथ्य) के क्षेत्र में करियर की क्या संभावनाएं हैं?

हास्पिटेलिटी में करियर की आपार संभावनाएं हैं। इस सेक्टर में होटल, एयरलाइंस, रेलवे कैटरिंग, यूनिवर्सिटी मैस, रेजिडेंशियल स्कूल मैस मैनेजर और फास्ट फूड सहित कई क्षेत्रों में आकर युवा अपना करियर बना सकते हैं।

इस फील्ड में पदार्पण के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता क्या है?

जहां तक मिनिमम क्वालिफिकेशन की बात है, तो करंट सनैरियो में दसवीं और 12वीं पास यूथ भी  हास्पिटेलिटी के फील्ड में अपना करियर शुरू कर सकता है।

क्या इसमें विशेषज्ञ कोर्स किए जा सकते हैं? यदि हैं तो वे कौन से हैं?

जी हां, कोई भी दसवीं और 12वीं पास युवा हास्पिटेलिटी में कोर्स कर सकता है। इनमें क्राफ्ट कोर्स, डिप्लोमा और डिवेलपमेंट कोर्स शामिल हैं। यह कोर्स दो महीने और छह महीने के हैं, जबकि डिप्लोमा एक साल का होता है। स्पेशल कोर्स में एफएंडबी (फूड एंड बैवर्ज) प्रोडक्शन, फ्रंट आफिस, हाउस कीपिंग सर्विस शामिल हैं।

इससे संबद्ध पाठ्यक्रम हिमाचल प्रदेश में कहां चलता है?

हिमाचल की बात करें तो आईएचएम, प्राइवेट होटल मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट और एफसीआई और फ्रेंकफिन शामिल हैं। यहां हास्पिटेलिटी से संबंधित पाठ्यक्रम उपलब्ध है।

आरंभिक आय इस फील्ड में कितनी है?

जहां तक इन्कम का सवाल है तो हास्पिटेलिटी के क्षेत्र में इसकी कोई लिमिटेशन नहीं। शुरुआत में अगर कोई छोटा संस्थान भी है तो आरंभ में 7 से 8 हजार तक की आय हो जाती है। आगे चलकर तो लाखों में इन्कम के स्कोप है। इसके अलावा रहने, खाने- पीने, बच्चों की स्कूलिंग जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं।

जो युवा इस फील्ड में आना चाहते हैं, उनमें क्या विशेष गुण होने चाहिएं?

सबसे बड़ा गुण उसमें अतिथि देवो भवः का होना चाहिए। जो भी इस फील्ड में आता है उसमें यह गुण हो कि वे अपने  गेस्ट को भगवान समझे, राजा के समान समझे। वह यह सोचकर अपने गेस्ट को सम्मान और सहूलियत दे कि जो सामने है वह मेरे लिए एक राजा के समान है। उसका कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होना चाहिए। पर्सनेलिटी होनी चाहिए। उसकी सोच ऐसी होनी चाहिए कि वह अपने गेस्ट के लिए और बेहतर क्या कर सकता है।

युवाओं को इस फील्ड में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

हास्पिटेलिटी ऐसी फील्ड है, जिसमें सेवाएं 24 घंटे चलती हैं। यहां आठ घंटे की ड्यूटी नहीं होती। आपको हरदम फ्रेश और स्माइलिंग मूड के साथ अपने गेस्ट की सेवा में हाजिर रहना पड़ता है। इस क्षेत्र में मानसिक और शारीरिक फिटनेस के अलावा सहनशीलता बहुत जरूरी होती है। कई बार दस गेस्ट होते हैं सभी के टेस्ट अलग-अलग होंगे, स्वभाव डिफरेंट होंगे जो उन्हें विनम्रता के साथ हैंडल करने के लिए सहनशील होना जरूरी होता है। आपका गेस्ट आपको किसी भी समय बुला लेता है। आपको हरदम उसकी सेवा में हाजिर रहना पड़ता है। इस फील्ड में ड्यूटी पर आने का समय तो होता है, पर जाने का नहीं।

जो युवा हास्पिटेलिटी के क्षेत्र में आना चाहते हैं उनके लिए कोई प्रेरणा संदेश दें?

सबसे पहले तो खुद को घरेलू शहर तक सीमित न रखें। बड़े शहरों में जाकर खुद को एक्सपोजर दें। निरंतर अपने नॉलेज को बढ़ाते रहें। जिस भी जगह जाएं, वहां की भाषा पर पकड़ बनाएं। ट्रेनिंग के दौरान खुद को ट्रेनर ही समझें न कि इंप्लाई। जहां आप सेवाएं देने जा रहे हैं उस इंडस्ट्री की भाषा क्या है, कौन किस पदवी पर है इसके बारे में पूरी तरह जानें। इस फील्ड में सफलता का एक बड़ा मूलमंत्र है एसओपी यानी स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर्स। अगर कोई भी इन नियमों को फॉलो करता है तो उसे बुलंदियां छूने से कोई रोक नहीं सकता।

-नीलकांत भारद्वाज, ब्यूरो चीफ, हमीरपुर

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