पकड़ कर रखें; छूटते जा रहे पिट्ठू, गिल्ली डंडा जैसे खेल

By: May 28th, 2018 12:05 am

मन की बात में मोदी का परंपरागत खेलों को बढ़ावा देने का आह्वान

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को देशवासियों से रेडियो के माध्यम से ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने मन की बात का आरंभ भारतीय नौ-सेना की छह महिला कमांडरों द्वारा 250 से भी ज्यादा दिन समुद्र के माध्यम से आईएनएस तारिणी में पूरी दुनिया की सैर कर 21 मई को भारत वापस आने पर उन्हें नौ सेना और भारत का मान-सम्मान बढ़ाने के लिये बधाई देते हुए किया। मन की बात के 44वें संस्करण को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने फिटनेस चैंलेज के बारे में बात की और कहा कि हम जितना खेलेंगे, देश उतना ही खिलेगा। साथ ही पीएम मोदी ने ईद की बधाई भी दी और कहा कि ईद का त्योहार समाज में सद्भाव का बंधन मजबूत करेगा। पीएम ने परंपरागत भारतीय खेलों को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए कहा कि इनकी विविधता में राष्ट्रीय एकता मौजूद है और इनसे पीढि़यों के अंतर (जेनेरेशन गैप) को समाप्त किया जा सकता है। श्री मोदी ने कहा कि कभी-कभी चिंता होती है कि कहीं हमारे ये खेल खो न जाएं और सिर्फ खेल ही नहीं खो जाएगा, कहीं बचपन ही खो जाएगा और फिर उस कविताओं को हम सुनते रहेंगे। श्री मोदी ने कहा कि इन खेलों को खेलने की कोई उम्र तो है ही नहीं। बच्चों से ले करके दादा-दादी, नाना-नानी जब सब खेलते हैं तो पीढि़यों का अंतर समाप्त हो जाता है। साथ ही यह संस्कृति और परंपराओं का ज्ञान कराते हैं। कई खेल समाज, पर्यावरण आदि के बारे में भी जागरूक करते हैं। श्री मोदी ने कहा कि परंपरागत खेलों की विविधता में राष्ट्रीय एकता छिपी है। पिट्ठू खेल को कई नामों से जाना जाता है। कोई उसे लागोरी, सातोलिया, सात पत्थर, डिकोरी, सतोदिया के नाम से जानता है।  उन्होंने कहा कि हमारे देश की विविधता के पीछे छिपी एकता इन खेलों में भी देखी जा सकती है। एक ही खेल अलग-अलग जगह, अलग-अलग नामों से जाना जाता है। गिल्ली-डंडा तो गांव से लेकर शहरों तक में खेले जाने वाला खेल है। यह भी देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उन्होंने विराट कोहली का उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह से लोग खुद और दूसरे को भी ‘फिट’ रख सकते हैं।

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