पर्यावरण की सुरक्षा पर भारी पड़ी अव्यवस्था

By: May 17th, 2018 12:08 am

मोहिंद्र सिंह चौहान

लेखक, हमीरपुर से हैं

पुलिस कर्मी दूसरों को सुरक्षा प्रदान करने की बजाय खुद की सुरक्षा करने में लगे रहे और अपराधी फरार हो गया। क्यों सरकार की सारी कार्रवाइयां घटना घटित होने के उपरांत ही प्रारंभ होती हैं। पहले कोई मुस्तैदी नजर नहीं आती। अपराधी फरार होने के बाद ही पुलिस क्यों चौकन्नी हुई…

हाल ही में हिमाचल प्रदेश की पर्यटक नगरी कसौली में हुए गोलीकांड में अपने प्राणों की आहुति देने वाली असिस्टेंट टाउन प्लानिंग आफिसर शैलबाला शर्मा को पर्यावरण की सुरक्षा हेतु अपने प्राणों को न्योछावर करना पड़ा, जो हिमाचल प्रदेश जैसे शांतिप्रिय एवं देवभूमि के नाम से पहचाने जाने वाले राज्य के लिए बहुत शर्मनाक है। इस घटना ने न केवल हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी, अपितु हिमाचल प्रदेश में उभरते हुए पर्यटन उद्योग की सुरक्षा को भी संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। पर्यटन व्यवसायी यदि सरकारी अधिकारी तक, जो कि अपनी ड्यूटी के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुपालना को कर्त्तव्यनिष्ठा से निभाते हुए कार्य कर रही थी, को ही गोली का शिकार बना सकते हैं, तो जो लोग पर्यटक के तौर पर इस देवभूमि में घूमने आते हैं, उनकी सुरक्षा की भी क्या गारंटी है? इस गोलीकांड की वजह से हिमाचल का पर्यटन प्रभावित होना स्वाभाविक है। समझ यह नहीं आता कि यह अवैध निर्माण निर्मित कैसे हो जाते हैं, जबकि सरकार और विभाग के पास निर्धारित मापदंड होते हैं। क्यों नहीं उन्हें शुरुआती दौर में लागू किया जाता? जब अवैध निर्माण होते हैं, उसी समय क्यों नहीं इन्हें रोका जाता? किसका आश्रय प्राप्त कर लोग अवैध निर्माण कर लेते हैं?

अदालतों में जाने की परिस्थितियां क्यों बन जाती हैं? सच यह है कि विभिन्न प्रकार की शुरुआती खामियां ही आखिर में ऐसी घटनाओं को अंजाम देती हैं, जिनमें राजनीतिक संरक्षण, स्वार्थ, सामाजिक अव्यवस्था की परिस्थितियां एवं अन्य कमियां हैं जिन्होंने हमारी सरकारी व्यवस्था को पंगु बनाकर रखा है। कसौली में ऐसे 12 अवैध निर्माण चिन्हित थे। अपराधी के विरुद्ध पहले भी अरेस्ट वारंट जारी हुए थे, तो समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या था जो पुलिस इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाई? नतीजतन निधड़क अधिकारियों को अपनी कर्त्तव्य परायणता निभाते हुए, अपने प्राणों की बलि देनी पड़ती है। यह मात्र कसौली की घटना नहीं है, अन्य क्षेत्रों में भी ऐसा अवश्य चल रहा होगा। ये केवल अवैध निर्माण नहीं, अवैध खनन, सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे, फोरेस्ट लैंड पर अवैध कब्जे सहित कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां माफिया लोग राजनीतिक संरक्षण के साए में हमारे सिस्टम पर हावी हैं। यह विडंबना ही है कि 140 पुलिस कर्मियों एवं एकत्रित भीड़ की उपस्थिति में एक अपराधी फरार हो जाता है, जो कि हमारी सुरक्षा प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।

पुलिस कर्मी दूसरों को सुरक्षा प्रदान करने की बजाय खुद की सुरक्षा करने में लगे रहे और अपराधी फरार हो गया। क्यों सरकार की सारी कार्रवाइयां घटना घटित होने के उपरांत ही प्रारंभ होती हैं। पहले कोई मुस्तैदी नजर नहीं आती। क्यों अपराधी के फरार हो जाने के बाद ही पुलिस चौकन्नी हुई? क्यों एक सरकारी अधिकारी की सुरक्षा के लिए पहले ही इंतजाम नहीं किए गए? हम कैसी व्यवस्था के सहारे चल रहे हैं, यह विचारणीय विषय है। 51 वर्षीय शैलबाला जिला मंडी के बलद्वाड़ा क्षेत्र से एक आम परिवार से संबंध रखती थी। कितने अरमानों और मेहनत से आम परिवारों के लोग अपने बच्चों को सम्मानजनक पदों तक पहुंचाते हैं, जो ईमानदारी से अपना कार्य करते हैं, इस संवेदना पर कोई विचार नहीं करता। बहुत से होनहार बच्चे ऐसी परिस्थितियों का शिकार होते हैं। अदालतें तो जनहित में अपने आदेश देती हैं, लेकिन धरातल की अव्यवस्थाएं किसी और परिस्थिति को ही अंजाम देती हैं। इसमें चाहे कई विभागों की शिथिल कार्यप्रणाली हो, राजनीतिक हस्तक्षेप या फिर स्टाफ की कमी के चलते आवश्यकता से अधिक कार्य की अपेक्षाएं हों , यह सब हमारे तंत्र पर भारी पड़ती हैं। आजकल यह देखने में आया है कि लगभग हर सरकारी / निजी क्षेत्र में भ्रष्ट कर्मियों का बोलबाला है। प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन को इस भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुहिम छेड़नी होगी, ताकि इस देवभूमि के गौरव पर आंच न आए। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को बेहद शर्मनाक करार देते हुए, अपने आदेशों की अवहेलना एवं भविष्य में ऐसे आदेश पारित न करने जैसी बात कही है, जो बहुत चिंतनीय है। देश में भ्रष्टाचार पहले ही अपने चरम पर है। ऐसे अवैध निर्माण हर जगह किए गए हैं, ऐसे में इन्हें हटाया जाना बहुत आवश्यक है। परंतु इसके साथ-साथ ऐसे कर्मचारियों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए, ताकि भविष्य में ऐसा फिर देखने को न मिले।

पुलिस व प्रशासन को भी अपने कर्त्तव्य के प्रति  सक्रिय होना पड़ेगा। यदि हम जल्द ही बेहतर व्यवस्था नही बना पाए तो निश्चित रूप से अव्यवस्था फैलेगी तथा गैर कानूनी कार्य करने वाले लोगों के हौसले उत्तरोत्तर बढ़ते जाएंगे। हमें इस पर तुरंत रोक लगानी होगी।

 

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