प्रदेश का पहला बैच पासआउट
पालमपुर —भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के ‘ग्रामीण उद्यमिता जागरूकता विकास योजना’ रेडी के अंतर्गत प्रदेश के पहले बैच ने स्तानक शिक्षा पूर्ण कर ली है। योजना के तहत शिक्षा ग्रहण करने वाले प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के 70 विद्यार्थियों के विदाई अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कृषि महाविद्यालय के बीएससी (आनर्स) कृषि के अंतिम वर्ष के छात्रों के विदाई अवसर पर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने जीवन में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने का आह्वान किया, जिससे कृषि विश्वविद्यालय के किसी महाविद्यालय से निकलने के बाद यहां की गुणवतापूर्ण शिक्षा व प्रशिक्षण की झलक उनके ‘कार्य निष्पादन क्षमता’ में दिखाई देनी चाहिए। कुलपति ने कहा कि गत वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भरपूर प्रयास किए गए और कृषि में कार्य संस्कृति का सृजन किया गया। कुलपति ने उन प्रयासों का भी जिक्र किया, जिनकी बदौलत यहां के विद्यार्थी विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में अव्वल रहे और जिसकी झलक कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल की प्रगति रिपोर्ट में देखने को मिलती है कि यह विश्वविद्यालय राज्य कृषि विश्वविद्यालयों व देश के कृषि संस्थानों में कृषि वैज्ञानिक चयन के संदर्भ में दूसरे स्थान पर रहा। उन्होंने विश्वास दिलाया कि ‘अनुभवात्मक शिक्षा कार्यक्रम’ व ‘ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम’ को और अधिक प्रभावी व लाभदायक बनाया जाएगा। कृषि महाविद्यालय के डीन डा. पीके मेहता ने जानकारी दी कि 70 विद्यार्थियों का यह पहला बैच है, जिसने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के ‘ग्रामीण उद्यमिता जागरूकता विकास योजना’ के अंतर्गत अपनी स्तानक शिक्षा पूर्ण की। उन्होंने कहा कि कड़ी निगरानी में पांच कृषि विज्ञान केंद्रों में ‘अनुभवात्मक शिक्षा कार्यक्रम’ व ‘ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम’ संचालित किए जाते हैं और प्रयास किया जाता है कि विद्यार्थियों का चहुंमुखी विकास हो सके।
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