प्रेत बाधा निवारण को प्रयोग

By: May 26th, 2018 12:05 am

ओउम नमो नीलकंठाय, श्वेत शरीराय नमः। सर्पलिंकृत भूषणाय नमः। भुजंग परिकराय नागा यज्ञोपवीताय नमः। अनेक काल मृत्यु विनाशनाय नमः।। युग युगांत काल प्रलय प्रचंडाय नमः। ज्वलन्मुखाय नमः द्रष्टा कराल धोर रूपाय नमः। हुं हुं फट् स्वाहा। ज्वालामुखाय मंत्र करालाय नमः। प्रचंडाक सहस्राहंशु प्रचंडाय नमः। कर्पूरामोद वैडूर्यमणि माणिक्य मुकुट भूषणाय नमः…

-गतांक से आगे…

शल्य चिकित्सार्थ व भूत-प्रेत बाधा निवारणार्थ विशिष्ट प्रयोग

संकल्प ः ओउम अस्य श्री नीलकंठ स्रोत-मंत्रस्य ब्रह्म ऋषिः अनुष्टुप छंदः नीलकंठो सदा शिवो देवता ब्रह्मबीजभ पार्वती शक्तिः शिव इति कीलकम ममकाय जीवन संरक्षणार्थे सर्वारिष्ट विनाशर्थे चतुर्विधि पुरुषार्थ सिद्धदयर्थे भक्ति मुक्ति सिद्धयर्थे श्री परमेश्वर प्रीत्यर्थे च जपे विनियोगः। मंत्र प्रयोग ः ओउम नमो नीलकंठाय, श्वेत शरीराय नमः। सर्पलिंकृत भूषणाय नमः। भुजंग परिकराय नागा यज्ञोपवीताय नमः। अनेक काल मृत्यु विनाशनाय नमः।। युग युगांत काल प्रलय प्रचंडाय नमः। ज्वलन्मुखाय नमः द्रष्टा कराल धोर रूपाय नमः। हुं हुं फट् स्वाहा। ज्वालामुखाय मंत्र करालाय नमः। प्रचंडाक सहस्राहंशु प्रचंडाय नमः। कर्पूरामोद वैडूर्यमणि माणिक्य मुकुट भूषणाय नमः। श्री अघोरास्य मूल मंत्रास्य नमः। ओउम हां स्फुर 2 ओउम हीं स्फुर स्फुर अधोर धोरतरस्य नमः। रथ रथ तत्र तत्र चट् चट् कह कह मद मदन दहनाय नमः। श्री अधोरस्य मूल मंत्राय नमः। ज्वलन मरणभय फट् स्वाहा। अनंत धोर ज्वर मरण कुष्ठ व्याधि विनाशनाय नमः। डाकिनी शाकिनी ब्रह्मराक्षस दैत्य दानव बंधनाय नमः। अपर परभूत बेताल कूष्मांड सर्वग्रह विनाशनाय नमः। यंत्रा कोष्ठ करालाय नमः। सर्वापद् विच्छेदाय नमः यंत्रा कोष्ठ करालाय नमः। सर्वापद विच्छेदाय नमः। हुं हुं फट् स्वाहा। आत्म मंत्र सुरक्षणाय नमः। ओउम ह्रां ही हुं नमो भूत डामर ज्वाला वश भूतानां, द्वादश भूतानां त्रयोदश भूतानां पंचदश डाकिनानां, हन हन द्रह नाशन एकाहिक याहिक चतुराहिक पंचाहिक व्याप्ताय नमः। आपादांत सन्निपात वातदि हिक्का, कपादि, काफश्वासदिक दह दह छिंधि श्री महादेव निर्मित स्तंभन मोहन-वश्याकर्षणोच्याजनकीलन-उद्वासन इति षटकर्म विनाशनाय नमः। अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, शंखपाल विजय पद्म। महापद्म एलापत्र, नाना नागांनां, कुलकादि विषं छिंधि छिंधि भिंधि भिंधि प्रवेशन शीघ्रं शीघ्रं हुं हुं फट् स्वाहा। वातज्वर, मरणमय, छिन्न छिन्न हन हनः भतज्वर, प्रेतज्वर, पिशाच ज्वर, रात्रि ज्वर, शीत ज्वर, सन्निपात ज्वर, महेश ज्वर, आवश्यक ज्वर, कामाग्नि विषम ज्वर, मरीचिज्वरादि प्रबल दंडधराय नमः। परमेश्वराय नमः। आवेशय आवेशय शीघ्र हुं हुं फट् स्वाहा। चोर मृत्यु ग्रह व्याघ्रासर्पादि विषमय विनाशनाय नमः। मोहन मंत्राणां पर विद्याच्छेदन मंत्राणा ओउम हां हीं हुं कुलि लीं लीं हुं क्षं कुं कुं हुं हुं फट् स्वाहा। नमो नीलकंठाय नमः दक्षाध्वर हराय नमः श्री नीलकंठाय नमः। उक्त पाठ को प्रतिदिन करना चाहिए। यह 108 दिन में पूरी तरह सिद्ध हो जाता है। उसके बाद उसका झाड़ा लगाते हैं। नित्य पाठ करने से मनुष्य की सारी कामनाएं व आकांक्षाएं पूरी हो जाती हैं।

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