बच्चों के साथ पिकनिक का मजा
गांधी पार्क में अंदर जा कर मुन्नी ने देखा चारों तरफ हरियाली थी। वह इधर-उधर घूमने लगी। बहुत से पेड़ थे। कुछ दूर पर एक नहर भी थी। नहर के ऊपर पुल था। उसने पुल के ऊपर चढ़ कर देखा। बड़ा सा बाग था। एक तरफ फूलों की क्यारियां थीं। घूमते-घूमते मुन्नी को प्यास लगने लगी। मां ने मुन्नी को गिलास में संतरे का जूस दिया। मां और बाबा पार्क के बीच में बने लंबे रास्ते पर टहलने लगे। मुन्नी फूलों की क्यारियों के पास तितलियां पकड़ने लगी। उसने देखा पार्क में थोड़ी दूर पर झूले लगे थे…
मुन्नी घर पर बैठे कुछ सोचने लगी और उसन सोचते ही सोचते पिकनिक पर जाने का कार्यक्रम बनाया। अपने कमरे से उस कर मां के पास गई और मां से बोली मां, आज हम सब पिकनिक पर जाएंगे। पहले तो मां ने मन कर दिया फिर बेटी का दिल रखने के लिए कह दिया ठीक है सब अपना सारा काम करके तैयार हो जाओ। बस यह बोलने की देरी थी कि मन्नु ने अपना बैग बंद किया और सबसे पहले बाहर आ गया। मन्नु ने कहा मां गांधी पार्क चलते हैं। मां ने कहा गांधी पार्क बहुत दूर है। पर चलो ठीक है लबां सफर है जल्दी जाना होगा। हां, हमें कार से लंबा सफर करना होगा। सुबह के काम पूरे कर के सब लोग तैयार हुए। मां ने खाने पीने की कुछ चीजें साथ में लीं और वे सब कार में बैठ कर सैर को निकल पड़े। कार में गाने सुनते हुए रास्ता कब पार हो गया उन्हें पता ही नहीं चला। पापा ने कार रोकी। मां ने कहा सामान बाहर निकालो अब हम उतरेंगे। गांधी पार्क में अंदर जा कर मुन्नी ने देखा चारों तरफ हरियाली थी। वह इधर-उधर घूमने लगी। बहुत से पेड़ थे। कुछ दूर पर एक नहर भी थी। नहर के ऊपर पुल था। उसने पुल के ऊपर चढ़ कर देखा। बड़ा सा बाग था। एक तरफ फूलों की क्यारियां थीं। घूमते-घूमते मुन्नी को प्यास लगने लगी। मां ने मुन्नी को गिलास में संतरे का जूस दिया। मां और बाबा पार्क के बीच में बने लंबे रास्ते पर टहलने लगे। मुन्नी फूलों की क्यारियों के पास तितलियां पकड़ने लगी। उसने देखा पार्क में थोड़ी दूर पर झूले लगे थे। मन्नू एक फिसलपट्टी के ऊपर से मुन्नी को पुकार रहा था। मुन्नी-मुन्नी यहां आकर देखो कितना मजा आ रहा है। मुन्नी आराम करना भूल कर झूलों के पास चली गई। वे दोनों अलग-अलग तरह के झूलों का मजा लेते रहे। मन्नू -मुन्नी बहुत देर हो गई। घर नहीं चलना है क्या। मां और बाबा बच्चों से पूछ रहे थे। हां बस अभी आते हैं मां। दोनों बच्चे भाग कर पास आ गए। पार्क कैसा लगा बच्चों, मां ने पूछा। बहुत बढि़या मन्नू और मुन्नी ने कहा। वे खुश दिखाई दे रहे थे। चलो, अब वापस चलें, दिन सफल हो गया बच्चों ने सोचा। सब लोग कार में बैठ गए। बाबा ने कार मोड़ी और घर की ओर ले ली। सैर की सफलता के बाद सब घर लौट रहे थे। पर बच्चे बहुत ज्यादा खुश थे उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। बच्चों को देख कर उनके माता -पिता भी खुश हो रहे थे। और माता-पिता आपस में ही बाते कर रहे थे कि बच्चे हैं तो हम भी इनके साथ घूम आए नहीं तो अपने लिए समय कहां। हम तो घर के कामों में ही व्यस्त रहते हैं। बच्चों के साथ हमारा भी मन कुछ और हो गया।
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