मानद उपाधियां बांटने में एचपीयू नंबर-एक

By: May 28th, 2018 12:01 am

शिमला  – प्रदेश के विश्वविद्यालयों में हर वर्ष छात्रों को डिग्रियां देने के लिए आयोजित होने वाले दीक्षांत समारोह में मानद उपाधियां देने का चलन बढ़ता जा रहा है। विश्वविद्यालय हर वर्ष न सही दो या तीन वर्षों के अंतराल के बाद भी दीक्षांत समारोह करवा रहे हैं, तो इसमें मानद उपाधियां मुख्यातिथि या अन्य अधिकारियों को प्रदान की जा रही हैं। प्रदेश के तीन बड़े विश्वविद्यालयों की बात की जाए, तो इनमें से एचपीयू ही ऐसा एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसने सबसे अधिक मानद उपाधियां अभी तक दी हैं। एचपीयू  में दीक्षांत समारोह 23  बार हो चुके हैं, लेकिन एचपीयू ने वर्ष 2011 से 19वें दीक्षांत समारोह से ही मानद उपाधियां देने की प्रक्रिया शुरू की है। दीक्षांत समारोह सुचारू रूप से करवाने और इसमें मानद उपाधियां बांटने की प्रक्रिया विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी ने शुरू की थी। एचपीयू में अभी तक वर्ष 2011 से 2016 तक हुए दीक्षांत समारोह में 16 मानद उपाधियां दी जा चुकी हैं। एचपीयू में 12 नंवबर,  2011 को हुए दीक्षांत समारोह में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री राजीव शुक्ला, निदेशक प्रिंसीपल मौलाना आजाद इंस्टीच्यूट ऑफ  डेंटल साइंस, प्रो. महेश वर्मा, अलक्षेंद्र स्वरूप कानपुर, पद्मश्री प्रताप सिंह गणपतराव जाधव महाराष्ट्रा को मानद उपाधि दी गई थी। वर्ष 2013 में 24 मई को हुए दीक्षांत समारोह में पद्मश्री विजय शर्मा और संजय डी पाटिल, 19 मार्च, 2014 को तिब्बती गुरु दलाईलामा, डा. आरके पचौरी, प्रो. एसके मल्होत्रा, डा. प्रियादर्शनी और कालेरा को, नौ जून, 2015 को डा. रघुराम जी राजन, प्रो. विप्पा राव, डा. के राधाकृष्णन सहित डा. गोबिंद व्यास, वर्ष 2016 में 20 अगस्त हुए दीक्षांत समारोह में जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस भवानी सिंह को मानद उपाधियां प्रदान की हैं। इसके बाद वर्ष 2017 में एचपीयू का दीक्षांत समारोह आयोजित ही नहीं किया गया है। मानद उपाधियां प्रदान करने में दूसरे स्थान डा.वाईएस परमार बागबानी और वानिकी विवि नौणी का है। इस विश्वविद्यालय में स्थापना से अभी तक तीन ही दीक्षांत समारोह में मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं। वहीं कृषि विश्वविद्यालय ने अभी तक कोई भी मानद उपाधि किसी को नहीं दी है।

कुलपति तय करते हैं …

किसी भी विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि किसे दी जानी है, यह फैसला विवि कुलपति द्वारा लिया जाता है, जिसके बाद तय नामों पर विवि की सर्वोच्च संस्था में सभी सदस्यों द्वारा मुहर लगाई जाती है। मानद उपाधि किसी भी व्यक्ति को क्षेत्र में किए गए सराहनीय कार्यों का समाजिक योगदान के लिए दी जाती है।

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