युवाओं को कृषि से जोड़कर समृद्ध होगा प्रदेश

By: May 23rd, 2018 12:10 am

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं

ऐसा क्या कारण या परिस्थितियां हैं जो युवा वर्ग कृषि व्यवस्था से मुंह मोड़ रहा है। कृषि व्यवस्था का मौसम पर निर्भर रहना, प्राचीन उपकरणों का इस्तेमाल, अंधविश्वासी कृषि व्यवस्था तथा समय पर बीज व खाद इत्यादि का उपलब्ध न होना ऐसे कारण हैं, जो युवाओं को कृषि व्यवस्था से अलग करते हैं…

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जिंदा रखने के लिए गांव में कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होगा। वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी की पहुंच से जहां मानव जीवन सुगम बना है, वहीं दूसरी तरफ किसानी घाटे का सौदा बन गया है। जब तक ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था को ईमानदार सरकारी दृष्टिकोण व नीतियों की धरातलीय पहुंच सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक कृषि व्यवस्था को नहीं सुधारा जा सकता। हिमाचल प्रदेश में करीब 70 फीसदी आबादी कृषि व्यवस्था से जुड़ी हुई है। आबादी पर  अधिकता होने के कारण प्रदेश की कृषि व्यवस्था को जिंदा रखना जरूरी है। इसके साथ-साथ युवा पीढ़ी को भी  कृषि व्यवस्था के साथ जोड़ना होगा। आज की युवा पीढ़ी शारीरिक श्रम करने से कतराती है। कृषि व्यवस्था शारीरिक श्रम मांगती है तथा बाद में फसल से प्राप्त आय बहुत ही कम प्राप्त होती है, जिस कारण से आज का युवा कृषि व्यवस्था से दूर हटता जा रहा है। प्रदेश में बेरोजगारों की फौज करीब 9 लाख तक पहुंच गई है। सरकारें जितना मर्जी दावा कर लें, लेकिन जब तक युवा पीढ़ी को कृषि व्यवस्था से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है।

कोई न कोई ऐसा विशिष्ट व संपन्न गुण इस कृषि व्यवस्था में रहा होगा, जो हजारों वर्षों तक लोगों को कृषि व्यवस्था से जोड़ने में सफल रहा, लेकिन अब ऐसा समय आ गया है कि कृषि का हस्तांतरण आगामी पीढ़ी में नहीं हो रहा है। इस बात को समझने की आवश्यकता है, ऐसा क्या कारण या परिस्थितियां हैं जो युवा वर्ग कृषि व्यवस्था से मुंह मोड़ रहा है। आज का युवा चंद रुपयों की नौकरी के लिए निजी कंपनियों का गुलाम बन जाता है, जहां उन्हें 10 से 12 घंटे का कठिन परिश्रम भी करना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि युवा वर्ग निजी कंपनियों में चंद रुपए की नौकरी को भी बड़े शानो-शौकत से करता है। ऐसी स्थिति में युवाओं का ध्यान कृषि व्यवस्था की ओर अग्रसर करना सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। कृषि व्यवस्था का मौसम पर निर्भर रहना, प्राचीन उपकरणों का इस्तेमाल, अंधविश्वासी कृषि व्यवस्था तथा समय पर बीज व खाद इत्यादि का उपलब्ध न होना ऐसे कारण हैं, जो युवाओं को कृषि व्यवस्था से अलग करते हैं। इस समस्या का सही समाधान खोजना चाहिए।

इससे बढ़ती हुई बेरोजगारी पर भी लगाम कसी जा सकती है। प्रदेश सरकार जैविक खेती को लेकर बहुत सजग दिख रही है, लेकिन जब तक युवा वर्ग को जैविक खेती का प्रशिक्षण नहीं दिया जाएगा, तब तक इस कृषि व्यवस्था की सफलता का आकलन कर पाना मुश्किल होगा। सरकार को अपनी नीतियों में कृषि व्यवस्था को लेकर युवाओं को जोड़ना गंभीरता से लेना चाहिए। इस लेख के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी से मेरा निवेदन रहेगा कि वह कृषि व्यवस्था में युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए अपनी योजनाओं में युवा वर्ग को विशेष वरीयता दें तथा सरकार द्वारा संचालित नीतियों में युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए कृषि कर्मचारियों व अधिकारियों को आदेश दें कि वह गांव-गांव में जाकर युवाओं को कृषि व्यवस्था अपनाने के लिए प्रेरित एवं प्रशिक्षित करें तथा उनकी समस्याओं का समाधान करें। कृषि व्यवस्था द्वारा किसानों को बीज उपलब्ध करवाने के जो सरकारी केंद्र हैं, उनमें बीज वितरण को लेकर भाई-भतीजावाद, जान-पहचान तथा अपनापन सिर चढ़कर बोलता है। एक आम किसान दिन भर बीज प्राप्त करने के लिए लाइनों में खड़ा रहता है तथा जान-पहचान वाला व्यक्ति तुरंत बीज प्राप्त कर वापस चला जाता है। बीज वितरण में सरकार अपने विशेष कर्मचारियों व अधिकारियों की ड्यूटी इन वितरण केंद्रों पर लगाए तथा कोताही बरतने पर कठोर से कठोर कदम उठाए जाएं, ताकि हर किसान को अच्छे व सस्ते दाम पर बीज प्राप्त हो सकें। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की फसलों की रक्षा करने के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है, लेकिन इस स्कीम के कार्यान्वयन में अनेक तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है जैसे-किसान फसल बीमा करवाने की फार्म प्रक्रिया कब करनी है, कैसे करनी है, इसका ज्ञान नहीं होगा तो किसान इस स्कीम का लाभ भी सही से नहीं उठा पा रहे हैं। अधिकतर किसानों को इसका ज्ञान ही नहीं है। मेरे गांव के किसान इस महत्त्वपूर्ण योजना से कोसों दूर हैं। मैंने उनको बार-बार अवगत भी करवाया, लेकिन हर बार सुनने में यही मिलता है कि कौन पड़ेगा इस पचड़े में। शायद प्रदेश के बहुत से गांवों में ऐसी ही परिस्थितियां होंगी।

इस संदर्भ में भी सरकार को सोचना होगा। किसान की खुशहाली में ही सब की खुशी है। यदि प्रदेश का किसान समृद्ध व खुशहाल बन गया, तो प्रदेश की ऋणी अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। युवाओं को रोजगार मिलेगा। सामाजिक जीवन का स्तर बढ़ेगा तथा प्रदेश आने वाले समय में अग्रणी राज्यों के रूप में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। सरकार को कृषि उपकरणों पर युवाओं को विशेष सबसिडी का प्रावधान करना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा कृषि क्षेत्र में भी अपना सुरक्षित भविष्य बना सकें। सरकार को कोई ऐसी विशेष योजना खोजनी होगी और ऐसे युवाओं की पहचान करनी होगी, जो कृषि व्यवस्था में अपना करियर बनाना चाहते हैं। उन्हें विशेष प्रोत्साहन देकर कृषि व्यवस्था से जोड़ना होगा, ताकि प्रदेश कृषि के क्षेत्र में भी ऊंचाइयों पर पहुंच सके।

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