ये हैं भारत के सबसे बड़े दस अनसुलझे सवाल

By: May 19th, 2018 12:05 am

दिल्ली में कुतुबमीनार के पास ही सैकड़ों साल से अशोक की लाट शान से खड़ी है और आज तक इस पर जंग भी नहीं लगा है। कई देशों के वैज्ञानिकों ने इस पर अनेक बार अध्ययन किया है, लेकिन आज तक कोई इसका रहस्य नहीं जान पाया…

-गतांक से आगे…

  1. येती

येती हिमालय के सबसे रहस्यमयी प्राणियों में से एक है जिसे कुछ लोगों ने देखा तो है लेकिन पक्के तौर पर इसके बारे में आज तक कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन हिमालय में रहने वाले कुछ लोग इन पर वैसे ही विश्वास करते हैं जैसे आप और हम किसी भी ज्ञात प्राणी पर करते हैं। लद्दाख के कुछ बौद्ध मठों में इससे जुड़ी कई ऐसी अहम जानकारियां हैं जिन पर सहसा विश्वास नहीं होता, लेकिन आज तक इसे देखे जाने की खबरंे आती रहती हैं।

  1. कुलधारा

कुलधारा भूतिया वीरान गांव के रूप में कुख्यात है जो सन् 1800 से ही वीरान पड़ा है। इसके पीछे एक श्राप बताया जाता है जो कभी भी खत्म नहीं होगा। कहा जाता है कि यहां पर रहने वाले लोग एक ही रात में गायब हो गए थे जिसके बाद यह कभी नहीं बसा। यह गांव जो अब खंडहरों में तब्दील हो चुका है, 1291 में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था, जो बहुत ही समृद्ध जाती थी और अपने व्यापार और खेती के लिए प्रसिद्ध थी। कहा जाता है कि वर्ष 1825 की एक रात में कुलधारा के सभी लोग और 83 के करीब गांव अचानक ही बिना किसी कारण गायब हो गए और तब से ही यह एक रहस्य बना हुआ है जिसे आज तक नहीं सुलझाया गया।

  1. चुंबकीय पहाड़ी

हिमालय क्षेत्र का एक और रहस्य है जिसका हर कोई अनुभव कर सकता है और यह है हिमालय के लद्दाख में स्थित ‘चुंबकीय पहाड़ी’। कहते हैं कि इस क्षेत्र का चुंबकीय प्रभाव इतना ज्यादा है कि अगर आप न्यूट्रल में गाड़ी खड़ी कर दें तो यह अपने आप तेजी से खिसकने लगती है। इसके बारे में स्थानीय लोग भी अनजान नहीं हैं। वह भी इसके बारे में काफी कुछ बताते हैं और कई वैज्ञानिक दल भी यहां पर कई रिसर्च कर चुके हैं।

  1. जोधपुर का रहस्यमयी धमाका

18 दिसंबर 2012 को जोधपुर में एक ऐसी घटना हुई जिसे आज तक नहीं सुलझाया गया है और जिसे लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि 18 दिसंबर को अचानक ही उन्होंने एक बहुत ही बड़े और भयानक विस्फोट की आवाज सुनी जिसे सुनकर ऐसा लगा कि मानो कोई बड़ा प्लेन हवा में फट गया हो। इस विस्फोट को सुनकर वह दहल गए लेकिन बाद में पता लगा कि कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई है और न ही कोई विस्फोट हुआ। किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं थी।

  1. अशोक की लाट

दिल्ली में कुतुबमीनार के पास ही सैकड़ों साल से अशोक की लाट शान से खड़ी है और आज तक इस पर जंग भी नहीं लगा है। कई देशों के वैज्ञानिकों ने इस पर अनेक बार अध्ययन किया है, लेकिन आज तक कोई इसका रहस्य नहीं जान पाया और वह इस बात पर हैरान है कि आखिर हजारों साल पहले क्या भारत में वास्तव में इतनी उन्नत तकनीक थी जो ऐसी धातु बना सकते थे। जिस तरह इस लाट को प्रदर्शन हेतु स्थापित किया गया है उससे तो पता लगता है कि वास्तव में प्राचीन भारतीय आधुनिक विज्ञान से भी कहीं ज्यादा आगे थे और इस लाट के कारण ‘9 लोगों की संस्था’ सिद्धांत को भी बल मिला। अगर आप इस देश के कुंठित बुद्धिजीवियों से इसके बारे में पूछोगे तो वे बगलंे झांकने लगेंगे।

  1. विमान

भारत के कई प्राचीन ग्रंथों में विमानों का उल्लेख है और इन ग्रंथों में इनके बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसे में अटकलंे उठती हैं कि क्या भारतीयों के पास पहले से ही विमानों का ज्ञान था जो समय की धूल में कहीं लुप्त हो गया। सैकड़ों साल पहले लिखे गए ऋषि भारद्वाज के ग्रंथों में विमानों के बारे में विस्तार से वर्णन है और पश्चिम जगत में भी इस ग्रंथ के ऊपर गहन शोध चल रहे हैं। लेकिन एक रहस्य और भी है कि क्या राइट बंधुओं से पहले किसी भारतीय ने विमान बनाने में सफलता हासिल कर ली थी। अगर ऐतिहासिक तथ्यों पर विश्वास करंे तो पहला विमान बनाने से आठ साल पहले ही महाराष्ट्र के शिवकर बापूजी तलपड़े ने विमान बना लिया था जिसका इन्होंने जनसमुदाय के सामने प्रदर्शन भी किया था। लेकिन धन के अभाव के चलते वह इसमें ज्यादा सफल न हो सके

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