राजधानी… ज्यादा आबादी; कम सुविधाएं, बढ़ी परेशानी

By: May 25th, 2018 12:05 am

कहने को तो शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है, लेकिन यहां लोगों की परेशानियों भी कम नहीं हैं। शहर कंकरीट के जंगल में बदल गया है। यहां हुआ बेतरतीब निर्माण ने भी कई दिक्कतें खड़ी कर दी हैं। लोगों को कई-कई दिन पानी नहीं मिलता है। हर मोड़ पर लगता जाम भी लोगों के सब्र की परीक्षा लेता रहता है। शहर में बढ़ती वाहनों की तादाद के हिसाब से पार्किंग नहीं है….

कंकरीट का जंगल बना शहर

रंजना राणा का कहना है कि राजधानी कंकरीट के जंगल में तबदील हो गई है। शहर में सुविधाओं के साथ-साथ परेशानियां भी साथ-साथ चल रही हैं। शहर में लगातार आबादी का भार बढ़ने से मूलभूत सुविधाएं घटने लगी हैं। वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग नहीं है। जनता को चौथे-पांचवें दिन पानी मिल रहा है। शहर का विस्तार तो हुआ है, मगर सुविधाएं जस की तस हैं।

पानी-पार्किंग भी बड़ी समस्याएं

सुनील ठाकुर का कहना है कि राजधानी शिमला जनसंख्या का भार बढ़ने से मूलभूत सुविधाओं में कटौती आई है। जनता को कई-कई दिन बाद पानी मिल रहा है। वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग नहीं है। शहर में आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक है। जनता की समस्याओं के निपटारे के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, मगर धरातल पर व्यवस्था कुछ और ही कहानी बयां करती है।

बढ़ती जनसंख्या दिक्कत का सबब

अमित शर्मा का कहना है कि शिमला प्रदेश की राजधानी है, जिसके चलते शिमला में रहना फायदेमंद है। शिमला में बड़े शिक्षण संस्थानों के साथ बड़े अस्पताल भी हैं, मगर शहर में जनसंख्या का भार बढ़ने से मूलभूत सुविधाएं घटने लगी हैं, जो शहर के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो ये दिक्कतें आगामी समय में विकराल रूप धारण कर सकती हैं।

बेतरतीब ढंग से हो रहा निर्माण

डा. ओम प्रकाश शर्मा का कहना है कि राजधानी शिमला का विस्तार हुआ है। शहर में हर तरह के संस्थान हैं। ऐसे में यहां जनसंख्या का भार बढ़ गया है। शिमला का विस्तार अव्यवस्थित तरीके से हुआ है, जो मौजूदा समय में दिक्कतों को निमंत्रण दे रही है। सड़कों का विस्तार न होने से यहां रोजाना जाम लगा रहता है। इसके साथ ही अन्य मूलभूत सुविधाएं भी सिकुड़ने लगी हैं।

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