वैराग्य और उत्सव

By: May 19th, 2018 12:02 am

श्रीश्री रवि शंकर

कोई भी उत्सव तभी वास्तविक हो सकता हैं जब दिल मे वैराग्य का भाव हो। जब मन भीतर की ओर मुड़कर उस अनंत और कभी नहीं बदलने वाले स्वरूप की ओर चला हैं और जब आप अपने भीतर के गहन में उस अनंत को देखते हैं, तो फिर जन्म और मृत्यु का अर्थ क्या रह जाता हैं। यह उसी तरह हैं जब लोग कहते हैं सूर्य का उदय हो रहा हैं और सूर्यास्त हो रहा है। जैसे सूर्य का उदय या सूर्यास्त नहीं होता, उसी तरह आपका जन्म या मृत्यु नहीं होती। आप हैं और आप यहीं रहेंगे, आपको चेतना के उस स्वरूप पर ध्यान देने की आवश्यकता है और वही आध्यात्मिक पथ हैं। सामान्यता आपने अपने भीतर के गहन में यह अनुभव किया हैं कि आपको यह एहसास होता रहता है कि मुझमें कोई बदलाव नहीं हो रहा है, सब कुछ बदल रहा है परंतु मेरी आयु में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। मुझे भी नहीं लगता कि मेरी आयु 50 का पड़ाव पार कर चुकी है और उसी तरह आप सब को भी यही लगता है कि आपकी उम्र मे बढ़ोतरी नहीं हो रही है। आप में कुछ ऐसा है जो कहता है,  मुझ में कोई बदलाव नहीं आया, मेरी उम्र नहीं बढ़ रही है वास्तव में आपकी कोई आयु ही नहीं है फिर भी आप इस प्रकार के उत्सव मनाते हैं।

यदि उत्सव और अधिक सेवा कार्यों को निर्मित करते हैं, तो मैं रोज उत्सव मनाऊंगा, साल मे सिर्फ  एक बार ही क्यों? मेरी खुशी है कि सारे विश्व में हजारों से भी अधिक स्वयंसेवी आज किसी न किसी तरह की सेवा कार्यों में व्यस्त हैं। कितने सारे रक्त दान शिविर और कई अन्य सेवा कार्य हो रहे हैं। जैसे आज मैं यहां पर बोल रहा हूं और इसी समय पर कितने सारे सत्संग आयोजित हो रहे हैं और जैसे इस कार्यक्रम का वेब प्रसारण हो रहा है, लाखों लोग इस प्रसारण को देख रहे हैं और मैं उन सब को बधाई देता हूं। आज आपने कई सेवा कार्यों को किया। इसे जारी रखे और सेवा कार्यों को करने के लिए कोई न कोई बहाने को खोजें।

जीवन में परम सुख प्राप्त करने के लिए दो बातें आवश्यक हैं। पहला है वैराग्य, उस कभी न बदलने वाले स्वरूप से गांठ बांध लीजिए। सिर्फ  इस बात का स्मरण करें कि आपके भीतर बदलाव नहीं आता और आपके भीतर कुछ नहीं बदलता, आप अनंत है। जब आप उस वैराग्य का सहारा लेते हैं, तो जीवन उत्सव बन जाता है और फिर उसी समय आपके द्वारा सेवा कार्य तुरंत अपने आप होने लगते हैं। इसलिए जब आप सेवा कार्य करते हैं, तो आपको आदान-प्रदान करना चाहिए, आपके पास जो कुछ भी है, उसका आपको सबके साथ आदान प्रदान करना चाहिए और जब हम स्वयं के गहन में जाते हैं तो वैराग्य प्रकट होता है। यह दो बातें, वैराग्य और सेवा जीवन को उत्सव बना सकते हैं। इन दो मूल्यों प्राप्त करने के लिए कोई भी अवसर को झपट लीजिए। कोई भी उत्सव वैराग्य के बिना सतही होता है। सतही होने के कारण उसमें कोई गहराई नहीं होती हैं। उसी तरह वैराग्य के बिना की हुई सेवा उत्तम गुणवत्ता की नहीं होती क्योंकि वह आपको थका देती हैं। आपमें और अधिक वैराग्य होना चाहिए और फिर सेवा को करते हुए जीवन उत्सव बन जाता है। मेरा यहां पर होना आपको सिर्फ यह याद दिलाना है कि आप अनंत हैं।

अपना सही जीवनसंगी चुनिए| केवल भारत मैट्रिमोनी पर-  निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App