सतलुज के दोनों ओर हैं कृषि प्रधान क्षेत्र

By: May 30th, 2018 12:05 am

सतलुज के दोनों ओर का क्षेत्र कृषि  प्रधान है। यहां गाय, भैंस,  भेड़-बकरी सभी प्रकार के पशु लोग पालते हैं। सतलुज के दोनों ओर बसे ग्रामों के लोग आज भी  जर्सी गाय और  कृत्रिम गर्भाधान द्वारा ब्याई हुई गाय  का दूध- घी देवपूजा अनुष्ठान आदि में प्रयोग में लाते हैं…

गतांक से आगे…

सतलुज घाटी : बिलासपुर, रामपुर, भावा आदि प्रमुख नगर जो इस नदी के किनारे पर बसे हैं, इस  घाटी के प्रमुख  स्थल हैं। सतलुज घाटी वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है, जहां कई जल विद्युत परियोजनाएं लगाई जा रही हैं। सतलुज के दोनों ओर का क्षेत्र कृषि  प्रधान है। यहां गाय, भैंस  भेड़-बकरी सभी प्रकार के पशु लोग पालते हैं। सतलुज के दोनों ओर बसे ग्रामों के लोग आज भी  जर्सी गाय और  कृत्रिम गर्भाधान द्वारा ब्याई हुई गाय  का दूध- घी देवपूजा अनुष्ठान आदि में प्रयोग में लाते हैं। चीता, भालू जैसे हिंसक जीव भी यहां के जंगलों  में रहते हैं, तो  ककड़, बारहसिंगा जैसे हिरण से मिलते- जुलते प्राणी भी, जो सीधे- सादे डरपोक होते हैं। शशक जैसे  चालाक प्राणी भी यहां रहते हैं। सर्प, गोधा, सराल जैसे लघु से भीमकाय तक के सरीसृप भी यहां पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। ऊपर के क्षेत्र  में  कस्तूरी मृग भी रहते हैं। मत्स्य सर्वत्र उपलब्ध है। शतदु्र के साथ लगने वाले ऊंचे पहाड़ों पर चीड़, देवदार रई, कैल आदि वृक्ष भी कम नहीं और इसी के किनारे निम्न क्षेत्रों में तून, चूई, खैर, पलाश एरंड और किंशुक (ढाक) शुहर के पेड़ भी हैं। दुग्धमय पशुओं के चारे से संबंधित खड़क, खड़की खड़की और ब्यूहल के वृक्ष भी यहां सतलुज के निम्न क्षेत्रों में तत्तापानी तक प्राप्त होते हैं। जंगल फल भी यहां इस घाटी के इधर-उधर होते हैं। घांई, कांगू आदि मीठे और  स्वादु फल भी होते हैं।

अपना सही जीवनसंगी चुनिए| केवल भारत मैट्रिमोनी पर-  निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App