सुधार मांगती शिक्षा

By: May 28th, 2018 12:05 am

रूप सिंह नेगी, सोलन

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर, गुणवत्ता और विद्यार्थियों की संख्या में निरंतर गिरावट पिछले कई दशकों से चर्चा का विषय तो रहा है, लेकिन लगता नहीं है कि किसी भी आती-जाती सरकार ने कोई खास कारगर कदम उठाए हों, क्योंकि हालात साल- दर- साल बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम से पता चलता है कि प्रदेश के कई ऐसे भी स्कूल हैं, जिन का परिणम ही शून्य है। बताया जाता है कि कई स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 5 से कम है, कहीं 10 या 20 से कम है,  स्थानीय बच्चे निजी स्कूलों का रुख करते हैं और मौजूदा समय में जो बच्चे स्कूलों में हैं, उनमें से ज्यादातर बच्चे प्रवासी मजदूरों के हैं। कई स्कूलों में अध्यापक ही नहीं हैं या कम हैं और कई स्कूलों में जरूरत से ज्यादा हैं। सरकार से अपेक्षा की जाती है कि उन स्कूलों को तत्काल बंद करे जिन स्कूलों में 30 से कम बच्चे हैं। अध्यापकों की भर्ती करने का कोई औचित्य नहीं होगा, क्योंकि अगले 5-10 सालों में कई सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या या तो बहुत कम हो सकती या फिर शून्य भी हो सकती है। बारीकी से समीक्षा और आने वाले वक्त में क्या स्थिति हो सकती है, इस पर चिंतन करने की जरूरत है।

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