हिंदोस्तान की तुलना पाकिस्तान से

By: May 19th, 2018 12:05 am

लोकतंत्र खतरे में है, लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, संविधान को मजाक बना दिया गया है, संविधान की अलग-अलग व्याख्याएं की जा रही हैं, देश के 70 सालों में पहली बार ‘तानाशाही’ का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसा तो पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों में ही होता है, ये तमाम कथन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हैं। कर्नाटक में चुनाव हारने और सरकार न बना पाने की बौखलाहट से उपजे हैं ये कथन। क्या इन कथनों पर यकीन किया जा सकता है? दक्षिण एशिया में एकमात्र मजबूत लोकतांत्रिक देश है-भारत! लोकतंत्र के लिए हिंदुस्तान की मिसालें दी जाती रही हैं। क्या हिंदुस्तान की तुलना पाकिस्तान से की जा सकती है? हिंदुस्तान एक आबाद लोकतंत्र है, जबकि पाकिस्तान हर मामले में बर्बाद देश है। आखिर राहुल गांधी को पाकिस्तान क्यों याद आया? क्या चुनाव और सियासत में हारने के बाद हिंदुस्तान पाकिस्तान सरीखा महसूस होने लगता है? क्या राहुल की राजनीतिक कुंठाएं पराकाष्ठा पर हैं, क्योंकि भारत की आम जनता ने कांग्रेस को देश की करीब 2.5 फीसदी आबादी तक समेट कर रख दिया है? क्या राहुल गांधी का मानसिक संतुलन सवालिया हो गया है? बेशक पाकिस्तान भारत का ही एक हिस्सा है, जो 1947 में विभाजन के बाद एक नया देश बना, लेकिन इन दो देशों की क्या तुलना…? पाकिस्तान दुनिया के शीर्ष 10 अस्थिर और आतंकी देशों में से एक है। पाकिस्तान का हर तीसरा आदमी गरीब है। औसतन 10 लोग गरीबी से तंग आकर हर रोज खुदकुशी करते हैं। पाकिस्तान की औसतन साक्षरता दर करीब 58 फीसदी है, जबकि हिंदुस्तान की साक्षरता दर करीब 75 फीसदी है। पाकिस्तान की 19 करोड़ आबादी में से करीब 14 करोड़ लोगों को बिजली ही मुहैया नहीं है। दरअसल पाकिस्तान औसतन एक दिवालिया देश है, जबकि हिंदुस्तान दुनिया की पहली पांच आर्थिक शक्तियों में शामिल है। हिंदुस्तान और पाकिस्तान की आपसी तुलना कोई ‘असामान्य’ व्यक्ति ही कर सकता है। पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन और उनके दर्जनों टे्रनिंग कैंप देश की मुख्यधारा के हिस्से हैं, जबकि भारत में मुट्ठी भर आतंकी कश्मीर घाटी के एक छोटे से हिस्से में ही सक्रिय हैं। उन आतंकियों को भी पाकिस्तान की शह है। क्या राहुल गांधी इन तथ्यों और आंकड़ों से वाकिफ हैं? हमारा विश्वास है कि राहुल गांधी पाकिस्तान की हकीकत तो क्या, हिंदुस्तान के यथार्थ से भी परिचित नहीं हैं। तभी वह आज भी योजना आयोग को याद कर रहे हैं और सर्वोच्च न्यायालय के कथित असंतुष्ट चार न्यायाधीशों के बयानों को गलत पेश कर रहे हैं। न्यायाधीशों ने डराने-धमकाने की बात ही नहीं की। बहरहाल हिंदुस्तान की तुलना पाकिस्तान से कर राहुल गांधी ने देश को अपमानित किया है, लिहाजा देशद्रोह की हरकत तो बनती है। बेशक मोदी सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करे। दरअसल आज लोकतंत्र खतरे में नहीं, बल्कि गांधी परिवार की सत्ता और हैसियत खतरे में है। संविधान भी खतरे में नहीं हो सकता, बल्कि कांग्रेस का अस्तित्व ही खतरे में पड़ता जा रहा है। आज कांग्रेस की हैसियत क्षेत्रीय दलों से भी ‘बौनी’ हो गई है। तृणमूल कांग्रेस देश की 7.55 फीसदी, तेलुगूदेशम पार्टी 4.08 फीसदी, सीपीएम 2.76 फीसदी आबादी पर काबिज हैं। ये सभी क्षेत्रीय दल हैं। इनकी तुलना में भाजपा का विस्तार और उसकी सत्ता करीब 69.22 फीसदी आबादी तक है। दरअसल देश में ‘खानदान’ का राज खत्म होता जा रहा है, लिहाजा हिंदुस्तान पाकिस्तान बनता लग रहा है। कांग्रेस के संदर्भ में एक ही उदाहरण पर्याप्त है-आपातकाल। उस दौरान लोकतंत्र की भी हत्या की गई और संविधान भी ‘इंदिरामय’ हो गया था। कांग्रेस सरकारों ने राज्यों की कितनी चुनी हुई सरकारें बर्खास्त कीं, कितने मुख्यमंत्री बदले, कितने राज्यों में राष्ट्रपति शासन चस्पां किए, राहुल गांधी को अपनी विरासत का इतिहास जरा पढ़ लेना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हमारी एक नेक सलाह है कि वह सिर्फ पदयात्राएं ही करें, भाषण न दें। वह जितना बोलेंगे, कांग्रेस उतना ही हारेगी।

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