30.34 लाख रुपए चुका मिलेगा आरटीआई का जवाब

By: May 21st, 2018 12:09 am

मंडी के गोहर में अनूठा मामला, रकम जमा करवाने को जन सूचना अधिकारी का आवेदक को पत्र

चैलचौक— आरटीआई के जवाब की कीमत 30 लाख रुपए से ज्यादा मांगी जा सकती है, इसका किसी को अंदाजा नहीं होगा, लेकिन मंडी के गोहर में ऐसा मामला सामने आया है। विकास खंड गोहर में आरटीआई (राइट टू इन्फार्मेशन) का  यह संभवतः देश का इकलौता हैरत में डालने वाला मामला होगा। हुआ यूं कि चैलचौक की एक गैर सरकारी संस्था ने विकास खंड गोहर के अंतर्गत चल रहे 232 आंगनबाड़ी केंद्रों के पांच साल के डाटा की जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी थी। एनजीओ की ओर से आवेदक ने जो सूचनाएं मांगी, उन्हें जब एकत्रित कर जवाब तैयार करने का आकलन किया गया तो कागजों का भार ही करीब 22 क्विंटल हो गया और इन कागजों की लागत 30 लाख 34 हजार 738 रुपए बन रही है। अब जन सचूना अधिकारी (सीडीपीओ गोहर) ने आवेदक को सूचना लेने से पहले उक्त राशि जमा करने के लिए कहा है। यही नहीं, इसके अतिरिक्त डाक के माध्यम से आरटीआई के जवाब को भेजने के लिए भी अलग से 73 हजार 150 रुपए जमा करने के लिए लैटर भेजा गया है। यही नहीं, अभी रकम के आंकड़े खत्म नहीं हुए हैं। जवाब तैयार करने के लिए भी नौ लाख रुपए के बजट की डिमांड महिला एवं बाल विकास विभाग से की गई है। यह मामला है बाल विकास परियोजना अधिकारी गोहर के ध्यानरत है। जानकारी के मुताबिक चैलचौक की एक गैर सरकारी संस्था ने 21 अप्रैल को विकास खंड गोहर के अंतर्गत चल रहे सभी आंगनाबड़ी केंद्रों के चल रही 232 आंगनबाड़ी केंद्रों की डिटेल मांगी। जानकारी के अनुसार आरटीआई में पांच प्रश्न थे। इन पांच प्रश्नों का डाटा ही इतना ज्यादा बन रहा है कि जिसका करीब 22 क्विंटल वजन बन रहा है। अब इन कागजों का रेट भी 30 लाख से ज्यादा बन रहा है। जानकारी के अनुसार दुर्गम इलाकों में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों से करीब 25 किलोग्राम तक के डाटा रजिस्टर सीडीपीओ कार्यालय गोहर पहुंचाए गए हैं। अब पांच साल का डाटा मांगा गया तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्विंटल के हिसाब से डाटा इक्ट्ठा होगा। जन सूचना अधिकारी की ओर से कागजों के रेट भी आवेदक को भेजे गए हैं। इसमें बड़े पृष्ठ 20 रुपए प्रति पेज हैं। इसमें बड़े पृष्ठ के एक लाख 49 हजार 158 पेज लग रहे हैं, जिनकी राशि 29 लाख 83 हजार 160 रुपए बन रही है। इसके अलावा छोटे पृष्ठ दो रुपए प्रति पेज के हिसाब से हैं। छोटे पेज 25 हजार 789 छोटे पेज लग रहे हैं, जिनकी कीम करीब 51 हजार 578 रुपए है और कुल राशि करीब 30 लाख 34 हजार 738 रुपए है। इसमें मांगी गई सूचनाआें में 232 आंगनाबाड़ी केंद्रों में बच्चों की हाजिरी की प्रति, पोषाहार रजिस्ट्रर की प्रति, स्टॉक रजिस्टर, माताओं को दी जाने वाली और दी दवाइयों की लिस्ट, पूरे बच्चे जो 232 आंगनबाड़ी केंद्रों रजिस्टर हैं, वह भी आंगनबाड़ीवार। आंगनबाड़ी वर्कर्ज और हैल्पर का रिकार्ड, साथ में हाजिरी। गर्भाधात्री व बच्चों दिए जाने वाला पोषण आहार, बच्चों की हाजिरी, अभिभावकों के हस्ताक्षरित प्रतियां व समय-समय पर किए गए निरिक्षण की रिपोर्ट शामिल है।

रकम देने भी पहुंचे थे, पर सूचना तैयार नहीं

संस्था के अध्यक्ष सुरेश कुमार ने कहा कि आठ मई 2018 को संस्था के नाम पत्र मिला, इसमें जानकारी मांगने की ऐवज में पहले उक्त राशि जमा करवाने को कहा गया। टीम चेक बुक लेकर 14 मई को जनसूचना अधिकारी गोहर के कार्यालय में पहुंची तो पाया कि सूचना तैयार नहीं है। इस बाबत पूछने पर जनसूचना अधिकारी ने बताया कि पहले राशि जमा करवाएं फिर सूचना मिलेगी। मजबूरन 14 मई, 2018 को अध्यक्ष राइट एनजीओ ने उपायुक्त मंडी को इस बारे प्रथम अपील मेल द्वारा भेजी, लेकिन आज तक उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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