अधर में लटका तीसरा एमडीआर सेंटर

By: Jun 25th, 2018 12:05 am

मंडी —मंडी में चलने वाला हिमाचल का तीसरा एमडीआर सेंटर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) अधर में लटक गया है। आम भाषा में बिगड़े हुए टीबी एमडीआर सेंटर के खुलने से सीधे-सीधे तीन जिलों मंडी, कुल्लू, बिलासपुर के रोगियों को लाभ मिलना था, लेकिन करीब नौ महीने बाद भी एमडीआर सेंटर शुरू नहीं हो पाया है। यहां बता दें कि प्रदेश के चार जिलों में एमडीआर सेंटर खुलने थे। इनमें चंबा, हमीरपुर, सिरमौर व मंडी जिला शामिल थे, लेकिन अब तक मंडी जिला में एमडीआर सेंटर का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। पहले विधानसभा चुनाव से ऐन पहले इसे शुरू करने की योजना थी, लेकिन आचार संहिता लगने के चलते एमडीआर सेंटर शुरू नहीं हो पाया था। हालांकि अब भी इतना समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक इसे शुरू नहीं किया रहा।  एमडीआर सेंटर खोलने के लिए अक्तूबर, 2017 में तत्कालीन स्पेशल हैल्थ सेक्रेटरी ने निर्देश दिए थे कि जहां पर भी एमडीआर सेंटर खुलने हैं, वहां पर उसका कार्य जल्द शुरू किया जाए, लेकिन जिला मंडी में प्रदेश के तीसरे मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) सेंटर का अभी तक कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस कारण यहां से टीबी के एमडीआर मरीजों को उपचार के लिए टांडा या सोलन के धर्मपुर में जाना पड़ रहा है। जिला मंडी में 15 लाख रुपए की लागत से एमडीआर सेंटर बनना है। इसके लिए स्वीकृत 15 लाख रुपए की राशि में से प्रदेश सरकार द्वारा पहली किस्त के तौर पर पांच लाख रुपए की राशि भी जारी कर दी गई थी, लेकिन बावजूद इसके अब तक इसका कार्य शुरू नहीं हो पाया है। हाल ही में घर-घर टीबी के मरीजों को ढूंढने पर जिला में दो मरीज एमडीआर के पाए गए थे, जिन्हें अस्पताल में उपचार न मिलने के कारण टांडा रैफर किया गया था।

क्यों जरूरी है एमडीआर सेंटर

हिमाचल में इस समय बिगड़ी हुए टीबी के इलाज के लिए मरीजों को टांडा या धर्मपुर (सोलन) जाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों को बीमारी की तकलीफ के साथ-साथ इतना दूर जाना पड़ता है। एमडीआर मरीजों पर टीबी की प्रथम पंक्ति की दवाइयां असर नहीं करतीं। ऐसे में एमडीआर मरीजों को सेंटर रख कर यह देखा जाता है कि उन पर दवाइयों के दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहे।


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