आईपीएच विभाग देगा 2300 को नौकरियां

By: Jun 25th, 2018 12:05 am

शिमला— पेयजल योजनाओं से ठेकेदारों को हटाने के जयराम सरकार के चार महीने पुराने ऐलान को मूर्तरूप देने की तैयारी है। विभागीय सूत्रों के अनुसार आईपीएच विभाग अपने करीब 2300 कर्मचारी रखेगा, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था को देखेंगे। ठेकेदारों के हवाले की गई 517 स्कीमों में हालत खराब हैं, जिसके चलते सरकार आने वाले दिनों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से अपने कर्मचारी रखने पर फैसला लेगी। इसे लेकर आईपीएच महकमे में खासी सुगबुगाहट है और खुद आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की यह योजना है कि आउटसोर्स पर अपने कर्मचारी रखे जाएं। ऐसा होता है तो ग्रामीण इलाकों में पेयजल योजनाएं सुचारू रूप से चल सकेंगी, क्योंकि अभी ठेकेदार सही तरह से इन योजनाओं को नहीं चला रहे हैं, जिससे लोगों को पानी पहुंचने में दिक्कत पेश आ रही है। बता दें कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आईपीएच मंत्री ने इसकी समीक्षा करने को कहा था। तब यह कहा गया था कि ठेकेदारों पर शिकंजा कसा जाएगा या फिर उनको हटाया जाएगा। चूंकि आईपीएच विभाग के पास कर्मचारियों की कमी है, जिस कारण वह एकदम से ठेकेदारों को नहीं हटा सकता। ऐसे में अब आउटसोर्सिंग के माध्यम से इन 517 पेयजल योजनाओं में करीब 2300 तकनीकी कर्मचारी रखने की तैयारी है। इनमें फीटर, की-मैन, चौकीदार लगाए जाएंगे, जो कि पुरानी पेयजल योजनाओं को सही तरह से चलाएं और लोगों को रोजाना पानी मुहैया हो। अभी शिकायतें ये आ रही हैं कि ठेकेदार सही तरह से काम नहीं कर रहे। उनके पास शिकायत करने के बावजूद पानी नहीं आता। उनके द्वारा मनमर्जी की जा रही है, जिससे आम जनता को भारी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। चूंकि आईपीएच विभाग के पास कर्मचारियों की कमी है, इस कारण से योजनाओं को ठेके पर दिया गया है।

पेयजल स्कीमें बढ़ीं, कर्मचारी घटे : आईपीएच विभाग में कर्मचारियों की कमी को लेकर तथ्यों को खंगालने पर पता चलता है कि यहां वर्ष 2005 में 29500 विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारी थे। इनके पास 7500 पेयजल स्कीमों का काम था। वर्तमान में स्कीमें 12500 हो चुकी हैं और कर्मचारी 21 हजार रह गए हैं। इसमें से भी 11 हजार का डाइंग कॉडर है, जोकि तीन से चार साल में खत्म हो जाएगा। लिहाजा लाइव कॉडर 10 हजार का है। नई भर्तियां हो नहीं रही हैं। अलबत्ता आने वाले समय में यदि भर्तियां नहीं होती हैं तो विभाग का पूरा काम ठप पड़ जाएगा। इन हालातों में आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी रखने की बेहद जरूरत देखी जा रही है।


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